Orthopaedics & Joint Replacement | Posted on 07/25/2024 by Dr. Hitesh Joshi
हड्डियों के कमजोर होने की स्थिति को ऑस्टियोपोरोसिस के नाम से जाना जाता है। मेडिकल भाषा में कहा जाए तो ऑस्टियोपोरोसिस को बोन मास डेंसिटी का कम होना भी कहा जाता है, जिसके कारण हड्डियों के फ्रैक्चर होने का खतरा बढ़ जाता है। यदि ऑस्टियोपोरोसिस के शुरुआती चरण में ही इस स्थिति की पुष्टि हो जाए, तो इस रोग के कारण होने वाला नुकसान को आसानी से कम किया जा सकता है।
सरल शब्दों में कहा जाए तो हड्डियों के कमजोर होने की स्थिति को ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) कहा जाता है। ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि जिन लोगों की उम्र 50 से अधिक होती है, वह इस स्थिति का सामना करते हैं, लेकिन पुरुषों की तुलना में महिलाएं इस स्थिति से अधिक प्रभावित होती हैं। कुछ लोग मानते हैं कि ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या सिर्फ कैल्शियम की कमी के कारण उत्पन्न होती है, जो कि एक बहुत बड़ा मिथक है।
महिलाओं में जब एस्ट्रोजन के लेवल में बदलाव आता है, तो इसके कारण ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसके अतिरिक्त मेनोपॉज के बाद भी शरीर में एस्ट्रोजन लेवल कम होने लगता है, जिससे हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। इसके अतिरिक्त खराब जीवनशैली, खाने-पीने की आदतों में बदलाव और व्यायाम का आभाव ऑस्टियोपोरोसिस का मुख्य कारण साबित हो सकते हैं।
यह एक ऐसा रोग है, जिसे 'साइलेंट किलर' के नाम से भी जाना जाता है। इस रोग के शुरुआती स्तर पर कोई खास प्रभाव देखने को नहीं मिलता है। यही कारण है कि अक्सर यह स्थिति शुरुआती चरणों में अनुपचारित रह जाती है। इस स्थिति की पुष्टि तब होती है, जब व्यक्ति को कोई फ्रैक्चर होता है। कुछ मामलों में निम्न लक्षण नजर आ सकते हैं -
ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या का कोई एक कारण नहीं है। ऑस्टियोपोरोसिस वह समस्या है, जिसमें हड्डियों के घनत्व में कमी देखने को मिलती है। इसके कारण हड्डियां अधिक कमजोर होने लगती हैं और आसानी से टूट भी सकती है। हालांकि कुछ जोखिम कारक होते हैं, जो दर्शाते हैं कि आपको ऑस्टियोपोरोसिस होने की अधिक संभावना है जैसे -
ऑस्टियोपोरोसिस की स्थिति में शरीर को बाहर से देखकर अंदाजा लगाना मुश्किल है कि व्यक्ति को यह समस्या है। हालांकि, उम्र बढ़ने के साथ-साथ शरीर में कैल्शियम और फॉस्फेट की कमी के कारण हड्डियों में डेंसिटी भी कम हो जाती हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस के उपचार के लिए कई सारी प्रक्रियाएं की जाती हैं। किस उपचार के विकल्प का चयन होगा इसका निर्णय ऑर्थोपेडिक डॉक्टर रोगी के स्वास्थ्य स्थिति और ऑस्टियोपोरोसिस के ग्रेड के आधार पर लेते हैं। इलाज के लिए निम्न विकल्पों का सहारा लिया जा सकता है -
ऑस्टियोपोरोसिस की स्थिति में रोकथाम इलाज से अधिक बेहतर विकल्प माना जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि रोकथाम की मदद से हड्डियों की डेंसिटी को आसानी से बचाया जा सकता है और हड्डियों को होने वाले नुकसान से भी बचाया जा सकता है। ऑस्टियोपोरोसिस की स्थिति में निम्न उपायों को करने से लाभ मिल सकता है -
इसलिए ऑस्टियोपोरोसिस की पुष्टि होने के बाद या इसके लक्षण दिखते ही सबसे पहले आपको एक अच्छे हड्डी रोग विशेषज्ञ या फिर ऑर्थोपेडिक डॉक्टर से बात करनी चाहिए।
ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें हड्डियां कमजोर और भुरभुरी हो जाती हैं, जिससे फ्रैक्चर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। यह खासकर कूल्हों, रीढ़ की हड्डी और कलाई में होता है।
मुख्य रूप से ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या कैल्शियम और विटामिन D की कमी के कारण होता है। इसके अतिरिक्त अन्य जोखिम कारक भी होते हैं, जिनके बारे में इस ब्लॉग में बात की गई है।