जानिए क्या है हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी?
Orthopaedics & Joint Replacement |
Posted on 03/15/2024 by Dr. Aashish K. Sharma
लंबे समय से कूल्हे में दर्द, गठिया, चलने में समस्या या शरीर के निचले भाग में कमजोरी संकेत देता है कि अब आपको कूल्हे बदलने की सर्जरी की आवश्यकता है। सामान्य तौर पर ऑस्टियोआर्थराइटिस या किसी गहरी चोट के इलाज के लिए ही डॉक्टर हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी का सुझाव देते हैं। इन सभी स्थितियों में कूल्हे का दर्द असहनीय हो जाता है, जिसका कारण जोड़ का क्षतिग्रस्त होना है।
यदि आप भी कूल्हे में दर्द, ऑस्टियोआर्थराइटिस, या फिर ऑस्टियोपोरोसिस जैसे गंभीर समस्या से परेशान है, तो इस ब्लॉग से आपको अपनी समस्या का हल मिल जाएगा। लेकिन किसी भी प्रकार की समस्या या फिर रोग के इलाज के लिए हम सलाह देंगे कि आप सबसे पहले एक अच्छे हड्डी रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।
क्या है हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी?
यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें ओर्थोपेडिक सर्जन क्षतिग्रस्त जोड़ को आर्टिफिशियल इंप्लांट से बदल देते हैं। सफल सर्जरी के बाद रोगी के जोड़ों की कार्यक्षमता फिर से बहाल हो जाती है और वह सभी लक्षणों से मुक्त भी हो जाते हैं। हिप रिप्लेसमेंट का सुझाव जॉइंट आर्थराइटिस या नेक्रोसिस के रोगियों को दिया जाता है। इस दर्द के कारण रोगी को चलने-फिरने और कुछ दैनिक कार्यों को करने में समस्या आ सकती है। ऑपरेशन के दौरान सर्जन प्रभावित जोड़ को बदलते हैं।
टोटल हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी का सुझाव डॉक्टर सबसे गंभीर मामलों में ही देते हैं। सबसे पहले डॉक्टर कुछ दवाओं और डीकंप्रेशन तकनीक का प्रयोग करके स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास करते हैं। यदि स्थिति फिर भी नियंत्रित नहीं होती है तो फिर टोटल हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी का सुझाव दिया जाता है।
हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी के प्रकार
मुख्यतः हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी दो प्रकार की होती हैं -
- पार्शियल हिप रिप्लेसमेंट: पार्शियल या फिर आंशिक हिप रिप्लेसमेंट के दौरान, सर्जन कूल्हे के जोड़ के केवल एक तरफ को बदलते हैं। आमतौर पर इस प्रकार का ऑपरेशन तब किया जाता है, जब रोगी को कूल्हे में फ्रैक्चर और ट्यूमर की शिकायत होती है।
- कंप्लीट हिप रिप्लेसमेंट: कंप्लीट या टोटल हिप रिप्लेसमेंट के दौरान सर्जन कूल्हे को पूरी तरह से बदल देते हैं। यदि कूल्हे पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं को कंप्लीट हिप रिप्लेसमेंट की जाती है।
हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी क्यों की जाती है?
निम्न स्थितियों वाले रोगियों में हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी की जाती है -
- हिप ऑस्टियोआर्थराइटिस: ऑस्टियोआर्थराइटिस, जिसे डिजेनेरेटिव जॉइंट डिजीज (डीजेडी) के रूप में भी जाना जाता है, जो कि गठिया का सबसे आम रूप है। हिप ऑस्टियोआर्थराइटिस आमतौर पर उम्र बढ़ने और चोट के कारण उत्पन्न होने वाली समस्या है।
- रूमेटाइड अर्थराइटिस: रुमेटीइड गठिया एक ऑटोइम्यून डिजीज है, जो सीधे कूल्हे के जोड़ में सूजन और समस्या को दर्शाता है।
- ऑस्टियोनेक्रोसिस: यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर की हड्डियों के ऊतकों में रक्त प्रवाह कम हो जाता है, जिसके कारण हड्डी की मृत्यु भी हो सकती है। कूल्हों के साथ-साथ यह समस्या घुटनों, कंधों और टखनों को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है।
इसके अतिरिक्त कुछ अन्य स्थितियों में भी टोटल हिप रिप्लेसमेंट की आवश्यकता पड़ सकती है जैसे -
- गंभीर चोटें, जैसे कार दुर्घटनाएं या कहीं से गिरना।
- फेमोरोएसेटाबुलर इम्पिंगमेंट सिंड्रोम (एफएआई या हिप इम्पिंगमेंट) जिसमें कूल्हे का आकार ही बदल जाता है। इसके कारण कूल्हे के आसपास की हड्डियां आपस में रगड़ने लगती है, जिससे रोगी को बहुत दर्द भी होता है।
- हिप डिस्प्लेसिया वह स्थिति है, जिसमें जांघ की हड्डी (फीमर) हिप सॉकेट में ठीक से फिट नहीं होती है। हिप डिस्प्लेसिया के अधिकांश मामले जन्मजात है।
- गैर-कैंसरयुक्त ट्यूमर
- कैंसर
हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी रिकवरी टाइम
हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी के बाद रिकवरी में थोड़ा ज्यादा समय लगता है। सर्जरी के प्रकार के आधार पर रिकवरी की टाइमलाइन अलग-अलग होती है। आमतौर पर हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी के बाद अलग-अलग चरणों में रोगी रिकवर होता है जैसे -
- पहला सप्ताह: सर्जरी के बाद पहले सप्ताह में डॉक्टर कंप्लीट बेड रेस्ट का सुझाव देते हैं। इस दौरान धीरे-धीरे सहारे की सहायता से उठने और चलने को डॉक्टर कहते हैं। कुछ दवाएं डॉक्टर दे सकते हैं जिससे कूल्हे और मांसपेशियों में दर्द से आराम मिलता है। ऑपरेशन के 3-4 दिनों के बाद वॉकर या बैसाखी की मदद से रोगी चलने लगते हैं। सर्जरी के बाद कुछ जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं, जिससे बचने के लिए अपने ऑर्थोपेडिक डॉक्टर द्वारा दिए गए दिशानिर्देशों का पालन करें। इससे लाभ अवश्य होगा।
- दूसरा सप्ताह: सर्जरी का मुख्य कार्य होता है कूल्हे के जोड़ की गतिशीलता को फिर से बहाल करना। इसके लिए फिजियोथेरेपी सत्रों की आवश्यकता होती है। दवाओं और फिजियोथेरेपी से स्थिति में बहुत आराम मिलेगा। पैरों में रक्त के थक्के बन सकते हैं, जिससे बचने के लिए स्टॉकिंग्स पहनने का सुझाव डॉक्टर देते हैं।
- तीसरे से पांचवां सप्ताह: इस दौरान रोगी हल्की गतिविधियां कर सकते हैं। हालांकि अभी उन कार्यों को करने से बचना चाहिए, जिसमें अधिक जोर लगे। ड्राइविंग जैसे कार्यों को करने से पहले एक बार डॉक्टर से परामर्श लें।
हिप रिप्लेसमेंट के बाद सावधानियां
हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी के बाद जीवन की ट्रेन को सही ट्रैक पर लाने के लिए कुछ सावधानियों का पालन किया जाना चाहिए। निम्नलिखित दिशा-निर्देशों का पालन करने से रोगी को बहुत मदद मिल सकती है -
- प्रयास करें कि सीढ़ियां न चढ़ें। यदि आवश्यकता हो तो एक या दो बार ही सीढ़ी चढ़े।
- रिक्लाइनर कुर्सी से दूरी बनाएं।
- संभल कर चलें और किसी भी सामान से टकराने से बचे।
- अंग्रेजी टॉयलेट सीट का प्रयोग करें।
- ऐसे पालतू जानवरों को दूर रखें जो अधिक कूद फांद करते हैं।
इसके अतिरिक्त कुछ और बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए जैसे -
- स्वस्थ वजन बनाए रखें।
- उन कार्यों को करने से बचें, जिसमें अधिक जोर लगे।
- अधिक तीव्र व्यायाम से दूरी बनाएं।
- सर्जरी के बाद रिकवरी के लिए तैराकी, लंबे समय की पैदल यात्रा, गोल्फ, बाइकिंग और नृत्य जैसे कार्यों को करने से बचें।
- समय-समय पर डॉक्टर से मिलें और इलाज लें।
अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न
हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी में कितना खर्च आता है?
हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी का खर्च कई कारकों पर निर्भर करता है जैसे - शहर, अस्पताल, सर्जन का अनुभव, सर्जरी का प्रकार, इम्प्लांट का प्रकार, इत्यादि। भारत में हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी का औसत खर्च ₹2.5 लाख से ₹5 लाख तक होता है। कूल्हे की सर्जरी में कितना खर्च आएगा इसका पता डॉक्टर से मिलकर ही चलेगा।
क्या हिप रिप्लेसमेंट के बाद फिजियोथेरेपी की आवश्यकता होती है?
हिप रिप्लेसमेंट प्रक्रिया के बाद डॉक्टर अक्सर फिजियोथेरेपी का सुझाव देते है। ऐसा करने से ऑपरेशन के बाद रिकवरी तेज होती है। इस थेरेपी से जटिलताओं का खतरा भी कम होता है।
बाएं कूल्हे में दर्द का क्या कारण है?
बाएं कूल्हे में दर्द के कई कारण होते हैं जैसे -
- ऑस्टियोआर्थराइटिस
- रूमेटाइड गठिया
- अवसाद या डिप्रेशन
- मांसपेशियों में खिंचाव या मोच
- संक्रमण
बाएं कूल्हे में दर्द का कारण जानने के लिए डॉक्टर से सलाह लेना महत्वपूर्ण है। डॉक्टर शारीरिक परीक्षा करेंगे और कुछ टेस्ट करवाएंगे जैसे एक्स-रे, एमआरआई, या सीटी स्कैन।