गर्भावस्था के दौरान किडनी की समस्याएं

गर्भावस्था के दौरान किडनी की समस्याएं

Renal Sciences |by Dr. Ashwini Sharma| Published on 26/07/2024

गर्भावस्था या प्रेगनेंसी हर महिला के लिए एक खूबसूरत सपने जैसा है, क्योंकि इस दौरान उनमें एक नई जान पल रही होती है। प्रेगनेंसी का समय थोड़ा महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दौरान महिला के शरीर में कई बदलाव आते हैं। इसी समय कुछ समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जो दोनों मां और बच्चे को परेशान कर सकती हैं। किडनी की समस्या उनमें से मुख्य समस्या है। 

प्रेगनेंसी में मां की किडनी से संबंधित समस्याएं

प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को किडनी की कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जैसे - 

  • प्री-एक्लेम्पसिया (Preeclampsia): आमतौर पर यह समस्या प्रेगनेंसी के 20वें सप्ताह के बाद विकसित होती है। इसमें हाई ब्लड प्रेशर और प्रोटीन्यूरिया की समस्या होती है। इससे मां और बच्चे के स्वास्थ्य को खतरा होता है।
  • एक्यूट किडनी रोग: इसमें अचानक किडनी अपना सामान्य काम करना बंद कर देती है। गंभीर संक्रमण, डिहाइड्रेशन या प्री-एक्लेम्पसिया के कारण एक्यूट किडनी रोग हो सकता है। 
  • क्रोनिक किडनी डिजीज: यदि प्रेगनेंसी से पहले से ही महिला किडनी रोग से पीड़ित होती हैं, तो प्रेगनेंसी में भी जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं।

गर्भ में बच्चे की किडनी से जुड़ी समस्याएं

गर्भ में बच्चे की किडनी में भी कई समस्या उत्पन्न हो सकती है। इनमें से मुख्यतः दो प्रकार की समस्याएं होती हैं जैसे कि - 

  • पेशाब की नली में रुकावट: मूत्र को किडनी से मूत्राशय तक ले जाने वाली नली में रुकावट आ जाती है।
  • एम्ब्र्यो हाइड्रोनफ्रोसिस: यह गर्भ में बच्चे की किडनी में सूजन है, जिसका कारण पेशाब की नली में रुकावट हो सकती है। 

गर्भवती महिलाओं में किडनी की समस्याओं के लक्षण

गर्भवती महिलाओं में किडनी की समस्याओं का पता कुछ लक्षणों से चल सकता है जैसे - 

  • हाई ब्लड प्रेशर या उच्च रक्तचाप
  • पेशाब कम आना या इसमें प्रोटीन की मात्रा में वृद्धि होना।
  • चेहरे, हाथ और पैर में सूजन।
  • थकान के साथ मतली और उल्टी होना।
  • भूख में कमी और पीठ दर्द होना।

गर्भ में बच्चे की किडनी से जुड़ी समस्याएं का पता कैसे चलता है?

प्रेगनेंसी में हर कुछ समय में अल्ट्रासाउंड होता है। इस जांच की मदद से एम्ब्र्यो हाइड्रोनफ्रोसिस का पता चलता है। बच्चा गर्भ में होता है, इसलिए बच्चों में किडनी की समस्या का कोई संकेत नहीं मिलता है। नियमित अल्ट्रासाउंड जांच से बच्चे के विकास की जानकारी मिलती है, जो किडनी की संभावित समस्याओं के बारे में जानकारी प्रदान कर सकता है। 

गर्भ में बच्चे की किडनी से जुड़ी समस्याएं का कारण

एम्ब्र्यो हाइड्रोनफ्रोसिस या फिर गर्भ में बच्चे की किडनी से जुड़ी समस्याएं के कई संभावित कारण हैं, जैसे कि - 

  • जन्मजात दोष: अक्सर यह समस्या अज्ञात कारणों से मां और फिर बच्चे को परेशान करती है। इसमें बच्चे के मूत्रवाहिनी के विकास में बाधा आती है, जिससे बच्चे के किडनी में सूजन आ जाती है। 
  • गर्भावस्था के दौरान होने वाली समस्याएं: मूत्रवाहिनी में पथरी, संक्रमण या ट्यूमर जैसी स्थितियां भी किडनी के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है। 
  • कुछ दवाओं का सेवन:फ़ूड एण्ड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के अनुसार यदि महिलाएं प्रेगनेंसी के 20 या उससे अधिक सप्ताह के बाद नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं लेते हैं, तो इसके कारण गंभीर किडनी की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। नॉनस्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं में आइबुप्रोफेन, नेप्रोक्सेन, डाइक्लोफेनेक, और सेलेकोक्सिब शामिल है। 

गर्भावस्था के दौरान बच्चे के गुर्दे की सूजन का इलाज

एम्ब्र्यो हाइड्रोनेफ्रोसिस का इलाज कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे सूजन की गंभीरता और अन्य स्वास्थ्य समस्या। अधिकतर मामलों में देखा जाता है कि संतान के जन्म के बाद महिलाएं इस रोग से मुक्त हो जाती हैं। इसलिए गर्भवती माताओं को घबराने की आवश्यकता नहीं है। 

सामान्यतः बच्चों में भी समस्या जन्म के बाद ही ठीक होने लग जाती है। यदि जन्म के बाद भी किडनी में सूजन रहती है, तो तुरंत बच्चों के डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी जाती है। वह दवाओं और कुछ बदलावों से आपकी मदद कर सकते हैं। 

हालांकि आप कुछ उपायों का पालन कर स्वयं और बच्चे दोनों के सेहत का ख्याल अच्छे से रख सकते हैं। इसके अतिरिक्त समय-समय पर यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर से परामर्श इस स्थिति के इलाज में आपकी मदद कर सकते हैं। 

गर्भवती महिलाओं में किडनी की समस्याओं से बचाव

गर्भवती महिलाओं में किडनी की समस्याओं से बचाव में निम्नलिखित उपाय आपकी बहुत मदद कर सकते हैं - 

  • नियमित जांच: प्रेगनेंसी में नियमित जांच बहुत आवश्यक होता है। इसकी मदद से संभावित समस्या की पुष्टि हो जाती है और इलाज भी आसानी से हो जाता है। 
  • स्वस्थ जीवनशैली: यदि आप स्वस्थ आहार लेते हैं और गतिहीनता से दूरी बनाते हैं, तो इससे आपको बहुत मदद मिलेगी। 
  • वजन की निगरानी करें:अपने वजन का खास ध्यान रखें और ज्यादा वजन न बढ़ने दें। प्रयास करें कि आप अपना डाइट मैनेज कर लें।
  • दवाओं में सावधानी: प्रेगनेंसी के दौरान ली जाने वाली दवाएं किडनी को प्रभावित कर सकती हैं।
  • धूम्रपान और शराब से परहेज: धूम्रपान और शराब मां से स्वास्थ्य के साथ-साथ शिशु के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है। 

निष्कर्ष

यदि आपको निम्न में से कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत अपने यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर से संपर्क करें - 

  • पेट में तेज दर्द।
  • बुखार और पेशाब में जलन या रक्त बहना।
  • पेशाब में कमी।

इस ब्लॉग की मदद से आप प्रेगनेंसी में उत्पन्न होने वाली समस्याओं के बारे में पहले से सूचित रहेंगे। नियमित जांच और डॉक्टरी सलाह इसमें आपकी मदद कर सकते हैं। 

अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

किडनी खराब होने में कितना समय लगता है?

इस प्रश्न का उत्तर किडनी की समस्या के प्रकार के आधार पर निर्भर करता है। क्रोनिक किडनी रोग में किडनी को खराब होने में कई महीने लग जाते हैं, तो वहीं एक्यूट किडनी रोग में किडनी तुरंत एक या दो दिन में खराब हो जाती है। 

क्या प्रेगनेंसी में किडनी की समस्याएं होना आम है?

प्रेगनेंसी में किडनी पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, लेकिन किडनी की गंभीर समस्या बहुत कम मामलों में देखने को मिलती है। नियमित जांच कराते रहें। 

क्या गर्भावस्था से पहले किडनी की बीमारी होने से मेरे बच्चे को भी किडनी की समस्या हो सकती है?

यदि मां को किडनी की समस्या है, तो बच्चा भी इस रोग से पीड़ित हो सकता है। हालांकि यह प्रमाणित नहीं है, लेकिन कुछ मामलों में ऐसा हुआ है। 

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