कोलन कैंसर के शुरुआती लक्षण और बचाव के उपाय
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कोलन कैंसर के शुरुआती लक्षण और बचाव के उपाय

Oncology | by Dr. Subrata Saha on 06/10/2025

Table of Contents
  1. कोलन कैंसर क्या है? - कोलन कैंसर किसे कहते हैं?
  2. कोलन कैंसर के शुरुआती लक्षण - First Symptoms of Colon Cancer
  3. कोलन कैंसर के प्रमुख कारण - Main Causes of Colon Cancer
  4. कोलन कैंसर की जांच - Colon Cancer Screening and Diagnosis
  5. कोलन कैंसर से बचाव के उपाय - Prevention Tips For Colon Cancer
    1. नियमित स्क्रीनिंग करवाएं
    2. संतुलित डाइट अपनाएं - Colon Cancer Diet Recommendations
    3. शारीरिक सक्रियता
    4. तंबाकू और शराब से दूरी बनाएं
  6. कोलन कैंसर का उपचार - Colon Cancer Treatment
  7. निष्कर्ष
  8. अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल
    1. क्या कोलन कैंसर शुरुआती स्टेज में ठीक हो सकता है?
    2. कोलन कैंसर के लिए कौन-सी स्क्रीनिंग टेस्ट जरूरी है?
    3. कोलन कैंसर से बचने के लिए डाइट में क्या शामिल करें?
    4. क्या कोलन कैंसर आनुवांशिक होता है?
    5. कोलन कैंसर के मरीज के लिए कौन-से व्यायाम लाभकारी है?

Summary

कोलन कैंसर के शुरुआती लक्षण पहचानना, समय पर जांच कराना, संतुलित डाइट अपनाना और सक्रिय जीवन शैली अपनाना, इन सब उपायों से शुरुआत में ही कोलन कैंसर को रोका या नियंत्रित किया जा सकता है।

कब्ज, हल्का दर्द या अचानक थकान जैसे लक्षणों को अक्सर हम पेट की छोटी समस्याएं समझ कर नजरअंदाज कर देते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि ये बदलाव कई बार शरीर के अदृश्य खतरे का संकेत हो सकते हैं? कोलन कैंसर आज भारत में तेजी से बढ़ता स्वास्थ्य संकट बन चुका है। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर साल दुनियाभर में लगभग 19 लाख लोग कोलन कैंसर का शिकार हो रहे हैं, और समय रहते लक्षण पहचानने से आपके जीवन को बचा सकते हैं। यदि आप या आपके परिवार में से कोई भी इन शुरुआती संकेतों को नजरअंदाज कर रहा है, तो आज ही सतर्क हो जाएं, क्योंकि समय पर जांच और बचाव ही सबसे बड़ा इलाज है। जांच के लिए ही आपको हमारे अनुभवी विशेषज्ञों से परामर्श लेना चाहिए।

कोलन कैंसर क्या है? - कोलन कैंसर किसे कहते हैं?

कोलन कैंसर (Colon Cancer) बड़ी आंत के पहले और मुख्य हिस्से (कोलन) में होने वाला कैंसर है। आमतौर पर यह कोलन की भीतरी लाइनिंग में बनने वाले छोटे पोलिप्स (Polyps) से शुरू होता है। शुरुआत में यह पोलिप्स बेजान होते हैं, लेकिन वक्त के साथ कैंसरजन्य टिश्यू में बदल सकते हैं। जब इसे समय रहते नहीं पहचाना जाता, तो यह कोलन के अलावा शरीर के अन्य भाग में भी फैल सकता है। इसे ही कोलन कैंसर कहते हैं।

भारत में कोलन कैंसर का प्रतिशत युवाओं में भी बढ़ रहा है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research - ICMR) के हाल के रिपोर्ट के अनुसार शहरी क्षेत्रों में पांचवां सबसे आम कैंसर कोलन कैंसर बन चुका है।

कोलन कैंसर के शुरुआती लक्षण - First Symptoms of Colon Cancer

कोलन कैंसर के लक्षण अक्सर शुरुआत में बहुत हल्के या अनदेखे रह जाते हैं। यही कारण है कि अधिकांश मरीज देर से डॉक्टर के पास पहुंचते हैं। यदि यह लक्षण आपकी स्थिति में भी नजर आएं या लंबे समय तक बने रहें, तो तुरंत डॉक्टर से परीक्षण करवाएं - 

  • मल त्याग की आदत में बदलाव—बार-बार डायरिया या कब्ज होना।
  • मल में खून आना या गहरे रंग का मल होना।
  • पेट में लगातार दर्द, ऐंठन, गैस या भारीपन महसूस होना।
  • कमजोरी या अचानक वजन घटना।
  • ऐसा महसूस होना कि मल त्याग के बाद भी पेट पूरी तरह साफ नहीं हुआ है।
  • लगातार थकावट या सांस फूलना जो एनीमिया का भी संकेत है।

याद रखें, हर व्यक्ति के लक्षण अलग हो सकते हैं। भारत में प्रत्येक वर्ष लगभग 47,000 से अधिक लोगों को कोलन कैंसर का डायग्नोसिस होता है, जिनमें से अधिकतर के लक्षण शुरुआत में मामूली ही होते हैं या उन्हें पता ही नहीं चलते हैं।

कोलन कैंसर के प्रमुख कारण - Main Causes of Colon Cancer

कोलन कैंसर कई कारणों से एक व्यक्ति को परेशान कर सकता है जैसे कि - 

  • आयु: 50 साल से अधिक उम्र वालों में खतरा ज्यादा होता है, लेकिन अब 30-40 की उम्र वालों में भी यह समस्या बढ़ रही है।
  • परिवार/आनुवंशिकता: यदि परिवार में पहले किसी को कोलन कैंसर या पॉलीप्स हुआ है, तो आप भी इस रोग के जोखिम (colon cancer risk) के दायरे में आते हैं।
  • गंभीर आंतों की बीमारी: अल्सरेटिव कोलाइटिसक्रोहन डिजीज जैसी इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (IBD) भी इस रोग का मुख्य कारण है।
  • अनियमित रहन-सहन और डाइट: हाई-फैट व कम फाइबर डाइट (colon cancer diet), लाल मांस/प्रोसेस्ड फूड्स का ज्यादा सेवन।
  • मोटापा, डायबिटीज व शारीरिक निष्क्रियता: जो लोग व्यायाम नहीं करते, या मोटापे व डायबिटीज से जूझ रहे हैं, उन्हें ज्यादा खतरा होता है।
  • धूम्रपान और शराब का अत्यधिक सेवन: जो लोग अधिक शराब का सेवन करते हैं या फिर जिन्हें धूम्रपान की आदत है, उन्हें भी इस रोग का खतरा अधिक होता है।
  • पिछली रेडिएशन थेरेपी: पहले कभी कोई थेरेपी यदि हुई है, तो उसके साइड इफेक्ट के तौर पर यह समस्या हो सकती है।

इन कारणों से बचना या इनका सही तरीके से प्रबंध करना ही कोलन कैंसर से बचाव की दिशा में पहला कदम है।

कोलन कैंसर की जांच - Colon Cancer Screening and Diagnosis

कोलन कैंसर डायग्नोसिस और स्क्रीनिंग नियमित रूप से करना न सिर्फ शुरुआती अवस्था में कैंसर पकड़ने में मदद करता है, बल्कि बचाव भी कर सकता है (colon cancer screening)। इस स्थिति में कुछ जांच आवश्यक होते हैं जैसे कि - 

  • कोलोनोस्कोपी: यह सबसे विश्वसनीय टेस्ट में एक है, जिसमें पूरी बड़ी आंत की जांच की जाती है।
  • स्टूल टेस्ट (FIT, FOBT): मल में छिपे खून की जांच के लिए मल का सैंपल लिया जाता है और उसकी जांच होती है। 
  • सीटी-कालोनोग्राफी, सिग्मोइडोस्कोपी: कुछ मामलों में डॉक्टर इन जांचों का सुझाव देते हैं। 
  • बायोप्सी: पॉलीप्स या संदिग्ध क्षेत्र से टिश्यू निकालकर परीक्षण किया जाता है। इस टिश्यू को लेने के लिए एक छोटी सी सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है।

डब्ल्यूएचओ व विभिन्न कैंसर एजेंसियां सलाह देते हैं कि 45 वर्ष के बाद नियमित स्क्रीनिंग करानी चाहिए, खासकर जिन लोगों के परिवार में कोलन कैंसर की हिस्ट्री है, उन्हें तो बिल्कुल रिस्क नहीं लेना चाहिए। 

कोलन कैंसर से बचाव के उपाय - Prevention Tips For Colon Cancer

नियमित स्क्रीनिंग करवाएं

समय-समय पर जांच करवाना सबसे अहम कदम है। कोलन कैंसर के 90% से अधिक मरीजों में शुरुआती स्टेज में इलाज संभव है। इसलिए जांच सबसे ज्यादा जरूरी है।

संतुलित डाइट अपनाएं - Colon Cancer Diet Recommendations

निम्न टिप्स का पालन कर आप कोलन कैंसर की समस्या को आसानी से मैनेज कर सकते हैं - 

  • फाइबर युक्त आहार लें जिसमें होल ग्रेन्स, ताज़ी हरी सब्जियां और फल शामिल हो।
  • कम फैट और रेड मीट का सेवन सीमित करें।
  • प्रोसेस्ड फूड्स और ज्यादा मीठा खाने से बचें।
  • फिट और हाइड्रेटेड रहें और पर्याप्त मात्रा में पानी और नारियल पानी पीते रहें।

शारीरिक सक्रियता

  • हफ्ते में कम-से-कम 150 मिनट (30 मिनट रोज़ाना) सक्रिय व्यायाम करें। तेज़ चलना, योग, साइकिलिंग या कोई खेल इसमें आपकी मदद कर सकता है।
  • यह डाइट और स्ट्रेस मैनेजमेंट दोनों में मदद करता है।

तंबाकू और शराब से दूरी बनाएं

धूम्रपान छोड़ें, शराब का सेवन सीमित करें या बिल्कुल न करें। इससे कोलन कैंसर की समस्या से आराम तो मिलता ही है, लेकिन इसके साथ-साथ ब्लड प्रेशर को भी सीमित करें। इन सभी के अतिरिक्त अपने वजन को भी नियंत्रित करें। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि ऐसा करने से आप कई अन्य स्वास्थ्य समस्या से भी बच सकते हैं। 

कोलन कैंसर का उपचार - Colon Cancer Treatment

कोलन कैंसर का इलाज पूरी तरह से उसकी स्टेज, मरीज की उम्र और उसकी संपूर्ण स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है। शुरुआती स्टेज वाले कोलन कैंसर के लिए सर्जरी सबसे ज्यादा कारगर मानी जाती है, जिसमें कैंसरग्रस्त हिस्से को हटाने के लिए 'कोलेक्टॉमी' या 'पॉलीपेक्टॉमी' जैसी प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं। अत्यधिक एडवांस स्टेज या जहां कैंसर फैल चुका हो, वहां कीमोथेरेपी दी जाती है ताकि कैंसर कोशिकाओं का और अधिक विस्तार रोका जा सके। कुछ विशेष मामलों में टार्गेटेड थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी दी जाती है, जो कैंसर के ग्रोथ सिग्नल्स को ब्लॉक करती है या शरीर की प्रतिरक्षा शक्ति को मजबूत करती हैं। उन्नत और मेटास्टेटिक स्टेज में, विशेष तौर पर रेक्टल या मलाशय संबंधित कैंसर में रेडिएशन थेरेपी लाभकारी साबित हो सकती है।

लेप्रोस्कोपिक (मिनिमली इनवेसिव) व ओपन सर्जरी के विकल्प मौजूद हैं, जिससे मरीज को जल्दी रिकवरी मिलती है। कई बार ऑपरेशन के बाद 'कोलोस्टॉमी' की भी आवश्यकता पड़ सकती है। उपचार के दौरान पोषण, मानसिक स्वास्थ्य और रेगुलर फॉलोअप भी बेहद जरूरी है। अगर समय रहते इस बीमारी की पहचान हो जाए और सही ट्रीटमेंट मिले, तो मरीज की 5 साल जीवित रहने की संभावना 90% से अधिक होती है।

निष्कर्ष

कोलन कैंसर एक भयानक स्थिति में तभी उत्पन्न हो सकती है, जब लापरवाही की जाती है या लक्षणों को नजरअंदाज कर दिया जाता है। जागरूक रहना, सही लाइफस्टाइल, और समय-समय पर की गई जांच आपके और आपके परिवार के लिए जीवन रक्षक साबित हो सकती है। यदि कोई लक्षण दिख रहा है, समय न गंवाएं, आज ही अपना कंसल्टेशन बुक करें। स्वस्थ जीवन की ओर पहला कदम उठाएं और कोलन कैंसर को हराएं।

अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल

क्या कोलन कैंसर शुरुआती स्टेज में ठीक हो सकता है?

हाँ! अगर शुरुआत में ही कोलन कैंसर पकड़ लिया जाए और सही ट्रीटमेंट मिले, तो मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो सकता है। इसी वजह से स्क्रीनिंग और समय पर डायग्नोसिस बेहद जरूरी है।

कोलन कैंसर के लिए कौन-सी स्क्रीनिंग टेस्ट जरूरी है?

सबसे जरूरी टेस्ट है, कोलोनोस्कोपी, जो बड़ी आंत की पूरी जांच करती है। इसके अलावा FIT, FOBT, CT कालोनोग्राफी, सिग्मोइडोस्कोपी आदि भी किए जाते हैं।

कोलन कैंसर से बचने के लिए डाइट में क्या शामिल करें?

होल ग्रेन्स, हरी पत्तेदार सब्जियां, रंग-बिरंगे फल, लो-फैट डेयरी, सोया, दाल, बादाम व फ्लैक्स सीड्स जैसी हेल्दी फैट्स, और पर्याप्त पानी जरूर शामिल करें। रेड मीट/प्रोसेस्ड फूड्स, शराब व धूम्रपान से दूरी बनाएं।

क्या कोलन कैंसर आनुवांशिक होता है?

हां, कई मामलों में कोलन कैंसर के पीछे जेनेटिक फैक्टर होते हैं, जैसे लिंच सिंड्रोम या फैमिलियल एडिनोमेटस पॉलीपोमेटोसिस। यदि आपके परिवार में किसी को यह बीमारी रही है, तो समय पर स्क्रीनिंग करवाएं और डॉक्टर से सलाह लें।

कोलन कैंसर के मरीज के लिए कौन-से व्यायाम लाभकारी है?

हल्की-फुल्की एक्सरसाइज जैसे कि वॉकिंग, योग, स्ट्रेचिंग, पानी में एक्सरसाइज मरीज की सेहत और ट्रीटमेंट के बाद रिकवरी में बहुत मददगार हैं। डॉक्टर की सलाह लेकर या फिर फिजियोथेरेपिस्ट की मदद से पर्सनलाइज्ड वर्कआउट ले सकते हैं।

Written and Verified by:

Dr. Subrata Saha

Dr. Subrata Saha

Consultant - Oncologist Exp: 41 Yr

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Dr. Subrata Saha is a Consultant Oncologist in Clinical Oncology at CMRI, Kolkata with over 41 years of experience. He specializes in comprehensive cancer care, combining medical oncology and advanced fellowship training to manage and treat a wide range of malignancies.

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