लिम्फोमा एक प्रकार का कैंसर है, जो लिम्फैटिक सिस्टम की कोशिकाओं में शुरू होता है। इसके शुरुआती लक्षणों में गर्दन या बगल में सूजन, थकान, बुखार और रात में पसीना आता है। समय रहते पहचान और इलाज आपको एक बेहतर गुणवत्ता वाला जीवन प्रदान कर सकता है।
यदि आपके शरीर में अचानक बिना वजह सूजन, बार-बार बुखार या जल्दी थकान और शरीर में किसी भी प्रकार के आकार संबंधित बदलाव को आप महसूस कर रहे हैं, तो यह महज आम बीमारी नहीं बल्कि लिम्फोमा के शुरुआती लक्षण भी हो सकते हैं। लिम्फोमा एक ऐसी बीमारी है, जिसमें समय पर विशेषज्ञ से जांच और उपचार जीवन बचाने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
भारत में हर साल हजारों लोग लिम्फोमा का सामना करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सही जानकारी और इलाज से यह स्थिति को मैनेज किया जा सकता है। यदि आप या आपके अपनों को लिम्फोमा के लक्षण दिखे, तो तुरंत डॉक्टर या लिम्फोमा के विशेषज्ञ से संपर्क करें और अपनी सेहत के प्रति जागरूक बनें। यदि आपको इस स्थिति के लक्षण नजर आते हैं जैसे कि गर्दन या बगल में सूजन, थकान, बुखार और रात में पसीना आना, तो बिना देर किए कैंसर डॉक्टर से मिलें और इलाज के सभी विकल्पों पर उनसे बात करें।
लिम्फोमा एक तरह का कैंसर है, जो हमारे इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा तंत्र) के महत्वपूर्ण हिस्से ‘लिम्फैटिक सिस्टम’ पर असर डालता है। लिम्फैटिक सिस्टम शरीर में संक्रमण और बीमारियों से लड़ने का काम करता है। इसमें लिम्फ नोड्स, तिल्ली (स्प्लीन), थाइमस, बोन मैरो (अस्थि मज्जा) और लिम्फोसाइट्स (सफेद रक्त कणिकाएं) शामिल होते हैं। जब इन लिम्फोसाइट्स में अनियंत्रित वृद्धि और बदलाव शुरू हो जाते हैं, तो वह लिम्फोमा कैंसर बना सकते हैं। लिम्फोमा की जांच शुरुआती चरण में ज़रूरी है ताकि उपचार समय पर शुरू किया जा सके और एक बेहतर गुणवत्ता वाला जीवन जीने में मदद कर सकता है।
मुख्य रूप से लिम्फोमा दो प्रकार होते हैं -
नॉन-हॉजकिन लिम्फोमा के प्रमुख उपप्रकार:
चलिए समझते हैं कि नॉन-हॉजकिन लिम्फोमा कैसे फैलता है -
लिम्फोमा के शुरुआती लक्षण अन्य आम बीमारियों जैसे लग सकते हैं, इसलिए इन्हें नज़रअंदाज़ करना खतरनाक हो सकता है। चलिए लिम्फोमा के प्रमुख लक्षणों को जानते हैं -
यदि इन लक्षणों में से एक या अधिक दिखे, तो ‘लिम्फोमा के विशेषज्ञ’ से संपर्क करना आपके लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
लिम्फोमा कैंसर के असली कारण कई बार स्पष्ट नहीं होते, लेकिन कुछ प्रमुख लिम्फोमा के कारण माने जाते हैं -
डॉक्टर सबसे पहले मरीज की शारीरिक जांच करते हैं, जिसमें लिम्फ नोड्स (गांठों) की सूजन, आकार और सख्ती की जांच होती है। इसके बाद खून की जांच की जाती है, जिसमें ब्लड CBC (कंप्लीट ब्लड काउंट) और अन्य जरूरी परीक्षण शामिल होते हैं, ताकि शरीर की स्थिति और रक्त कोशिकाओं की संख्या पता चल सके। बीमारी के फैलाव का पता लगाने के लिए CT स्कैन, MRI और PET स्कैन जैसी आधुनिक इमेजिंग तकनीकों का सहारा लिया जाता है। यह टेस्ट लिम्फ नोड्स और शरीर के अन्य अंगों में कैंसर के विस्तार को दिखाते हैं।
लिम्फ नोड की बायोप्सी सबसे महत्वपूर्ण जांच है, जिसमें लिम्फ नोड से ऊतक का नमूना लेकर लैब में टेस्ट किया जाता है। इससे पता चलता है कि लिम्फोमा किस प्रकार का है और उसकी गंभीरता क्या है। इसके साथ ही, हड्डियों की अस्थिमज्जा की जांच (बोन मैरो बायोप्सी) भी की जाती है, जिससे पता चलता है कि कैंसर अस्थि मज्जा तक पहुंचा है या नहीं।
लिम्फोमा के स्टेज जानना इलाज के लिए अहम होता है। स्टेज 1 में कैंसर केवल एक लिम्फ नोड या अंग तक सीमित रहता है। स्टेज 2 में एक ही साइड के दो या अधिक लिम्फ नोड प्रभावित होते हैं। स्टेज 3 में डायाफ्राम के दोनों तरफ लिम्फ नोड्स शामिल होते हैं। स्टेज 4 सबसे गंभीर होता है, जिसमें कैंसर शरीर के अन्य महत्वपूर्ण अंगों जैसे लिवर, फेफड़े या अस्थि मज्जा में फैल जाता है।
सटीक स्टेजिंग से डॉक्टर इलाज की सबसे सही योजना बनाते हैं, जिससे मरीज को बेहतरीन परिणाम मिल सके। इसलिए, जांच और स्टेजिंग की यह प्रक्रिया नॉन-हॉजकिन लिम्फोमा के निदान और प्रभावी उपचार के लिए आवश्यक है।
लिम्फोमा का इलाज मुख्य रूप से उसके प्रकार, स्टेज और मरीज की स्थिति के अनुसार तय होता है।
लिम्फोमा के इलाज में कुछ ट्रीटमेंट के विकल्प और जीवनशैली में बदलाव होते हैं, जिनका पालन करने से आपको बहुत मदद मिल सकती है जैसे कि -
यदि आप या आपके किसी जानने वाले में लिम्फोमा के लक्षण दिखें तो देरी न करें। तुरंत योग्य लिम्फोमा के विशेषज्ञ से संपर्क करें, क्योंकि समय रहते इलाज करवाना ही जीवन बचाने का सबसे बड़ा कदम हो सकता है। आपकी जागरूकता और समय पर इलाज, लिम्फोमा जैसी बीमारी को भी परास्त कर सकती है। इसके अतिरिक्त हमारे अनुभवी डॉक्टर लिम्फोमा जैसे गंभीर स्वास्थ्य समस्या के इलाज में भी माहिर हैं, जो आपको फिर से दुरुस्त करने में मदद कर सकते हैं।
अगर सही समय पर डायग्नोसिस और इलाज हो तो लिम्फोमा में अच्छा रिकवरी रेट है। कई मामलों में मरीज पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। लेट या लापरवाही की स्थिति में यह गंभीर रूप ले सकता है।
हाँ, शुरुआती स्टेज में उचित इलाज और जीवनशैली से मरीज पूरी तरह ठीक हो सकते हैं। हॉजकिंस लिम्फोमा के मामलों में रिकवरी रेट 85-90% तक रहती है।
लिम्फोमा लिम्फ सिस्टम में शुरू होता है, जबकि ल्यूकेमिया बोन मैरो (अस्थि मज्जा) और खून में उत्पन्न होता है। दोनों ब्लड कैंसर है, लेकिन इसके लक्षण व इलाज में फर्क होता है।
मरीज को हाई प्रोटीन, ताजे फल-सब्जियां, पर्याप्त पानी और डॉक्टर की सलाह अनुसार संतुलित आहार लेना चाहिए। जंक फूड, कच्चे या अधपके खाद्य पदार्थ, और इंफेक्शन फैलाने वाले आहार से बचना चाहिए।
Written and Verified by:
Dr. Indranil Khan is a Consultant in Clinical Oncology Dept. at CMRI, Kolkata, with over 8 years of experience. He specializes in chemotherapy, radiotherapy, immunotherapy and advanced cancer treatment modalities with a focus on precision, palliative care, and patient-centred treatment
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