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कैल्शियम की कमी (हाइपरकैल्सीमिया): कारण और लक्षण

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कैल्शियम की कमी (हाइपरकैल्सीमिया): कारण और लक्षण

Endocrinology | by Dr. Sudip Kumar Mukherjee | Published on 21/06/2024



हमारे शरीर को सही रूप से कार्य करने के लिए कई चीजों की आवश्यकता होती है, जिसमें से कैल्शियम एक महत्वपूर्ण कारक है। कैल्शियम का कार्य हमारे हड्डियों और दांतों को मजबूत करना है। इसके अतिरिक्त हमारे हृदय और अन्य मांसपेशियों को भी अच्छे से कार्य करने के लिए कैल्शियम की आवश्यकता पड़ती है। जब शरीर को पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम नहीं मिल पाता है, तो व्यक्ति को निम्न समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है - 

  • ऑस्टियोपोरोसिस - Osteoporosis
  • ऑस्टियोपीनिया - Osteopenia 
  • कैल्शियम की कमी से होने वाली अन्य बीमारियां

जिन बच्चों को कैल्शियम पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाता है, वह वयस्क होने पर संभावित लंबाई प्राप्त नहीं कर पाते हैं। यही कारण है कि कैल्शियम की मात्रा सही ढंग से मैनेज करने की आवश्यकता होती है। 

कैल्शियम की कमी के कारण

शरीर में कैल्शियम की कमी का कोई एक निश्चित कारण नहीं है। हालांकि कुछ स्वास्थ्य समस्याएं और आपकी कुछ आदते हैं, जो शरीर में कैल्शियम की कमी के मुख्य कारण हैं जैसे - 

  • कम कैल्शियम वाला आहार: यदि आपके खाने में कैल्शियम की मात्रा बहुत कम है, तो शरीर में कैल्शियम की कमी होगी ही। यह एक महत्वपूर्ण कारक है।
  • विटामिन डी की कमी: विटामिन डी की सहायता से शरीर कैल्शियम का सही से उपयोग कर पाता है। यदि शरीर में विटामिन डी की कमी होगी तो शरीर कैल्शियम का उपयोग अच्छे से नहीं कर पाएगा और वह शरीर से बाहर निकल जाएगा। 
  • कुछ स्वास्थ्य समस्याएं: क्रोहन रोग और सीलिएक रोग जैसे कुछ स्वास्थ्य समस्याएं है, जिसके कारण भी कैल्शियम का उपयोग शरीर सही से नहीं कर पाता है। 
  • दवाएं: स्टेरॉयड और एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन के कारण भी शरीर में कैल्शियम का स्तर बहुत कम होता है। 
  • गर्भावस्था और स्तनपान: प्रेगनेंसी और स्तनपान के दौरान महिलाओं के शरीर को अधिक कैल्शियम की जरूरत होती है, क्योंकि इस दौरान महिलाओं और बच्चे, दोनों को ही कैल्शियम की आवश्यकता होती है। इस दौरान पर्याप्त कैल्शियम न मिलने पर शरीर में कैल्शियम की कमी होने लगती है। 

कैल्शियम की कमी के लक्षण

कैल्शियम की कमी कोई ऐसी बीमारी नहीं है, जिससे कोई जान का खतरा हो। हालांकि कैल्शियम की कमी के कारण स्वास्थ्य पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। कैल्शियम की कमी के कुछ सामान्य लक्षण होते हैं जैसे - 

  • हड्डियों का कमजोर होना
  • मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन
  • दांतों का कमजोर होना
  • नींद और सांस में समस्याएं
  • कब्ज, गैस और पेट दर्द
  • नाखून टूटने के साथ-साथ अत्यधिक थकान और कमजोरी 
  • नसों और मांसपेशियों में दर्द
  • जोड़ों का दर्द

महिलाओं में कैल्शियम की कमी के लक्षण

महिलाओं में कैल्शियम की कमी के लक्षण हड्डियों से संबंधित होते हैं। यही कारण है कि जिन महिलाओं में मेनोपॉज आ जाता है, वह ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे के दायरे में आ जाती हैं। सामान्य तौर पर महिलाएं निम्न लक्षणों का अनुभव सबसे अधिक करती हैं - 

वहीं गंभीर मामलों में महिलाओं को निम्न लक्षणों का अनुभव हो सकता है - 

  • हड्डियों में विकृति
  • सांस लेने में तकलीफ
  • भ्रम और दौरे की स्थिति उत्पन्न होना।

पुरुषों में कैल्शियम की कमी के लक्षण

पुरुषों में कैल्शियम की कमी के लक्षण महिलाओं की तुलना में अलग होते हैं। हालांकि ज्यादातर मामलों में सामान्य लक्षण ही लोगों में देखने को मिलते हैं, लेकिन कुछ पुरुषों में निम्न लक्षण अक्सर देखने को मिलते हैं - 

  • शरीर का सुन्न होना और झनझनाहट
  • चिड़चिड़ापन 
  • हड्डियों, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द। 
  • दर्द के साथ कमजोरी
  • दांतों की समस्या

आपने देखा ही होगा कि सभी लक्षण लगभग एक समान ही है, बस महिलाओं और पुरुषों में उत्पन्न होने वाले लक्षणों में हल्के बदलाव देखा जाता है। इसलिए जब भी आपको शरीर में कैल्शियम की कमी लगे तो एंडोक्राइनोलॉजिस्ट से तुरंत परामर्श लें।

बच्चों में कैल्शियम की कमी के लक्षण

बच्चों में कैल्शियम की कमी के लक्षण थोड़े कम ही होते हैं, क्योंकि सामान्य तौर पर बच्चों में यह समस्या देखने को ही नहीं मिलती है। यदि होती भी है तो किसी भी मुख्य लक्षण का अनुभव नहीं होता है, जिसके कारण यह समस्या बच्चों में अनदेखी और अनुपचारित रह जाती है। हालांकि कुछ लक्षणों का अनुभव बच्चों को हो सकता है जैसे - 

  • हड्डियों का कमजोर होना और बार-बार फ्रैक्चर होना
  • दांतों में समस्या
  • विकास में देरी
  • मांसपेशियों में ऐंठन और दर्द
  • अनिद्रा और चिड़चिड़ापन

कैल्शियम की कमी से होने वाले रोग

कैल्शियम की कमी के कारण एक व्यक्ति को निम्नलिखित स्वास्थ्य समस्या घेर सकती है - 

  • रिकेट्स (सूखा रोग): यह रोग एक व्यक्ति को तब अधिक परेशान करता है, जब शरीर में विटामिन डी और कैल्शियम की कमी होने लगती है। इस रोग के कारण शरीर में हड्डियां नरम और कमजोर तो हो ही जाती हैं, लेकिन इसके कारण हड्डियां भी मुडने और टूटने लगती है। इस प्रकार की समस्या बच्चों में बहुत आम है।
  • ऑस्टियोपोरोसिस: इस रोग में हड्डियां कमजोर भी होती है और धीरे-धीरे वह अपना आकार भी बदलने लगती हैं। यह रोग बढ़ती उम्र के साथ तो आम है ही, लेकिन उन महिलाओं को भी यह अधिक प्रभावित करता है, जिनमें मेनोपोज शुरु हो जाता है। ऑस्टियोपोरोसिस के कारण फ्रैक्चर होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इसके कारण कूल्हे, कलाई और रीढ़ की हड्डी में भी समस्या देखी जाती है।
  • टेटनी: यह समस्या तब होती है, जब रक्त में कैल्शियम की मात्रा कम हो जाती है। इसके लक्षण भी कैल्शियम की कमी के लक्षण के समान ही होते हैं, लेकिन कुछ मामलों में इस रोग के कारण मृत्यु भी हो सकती है। 
  • ऑस्टियोमैलेसिया: इस स्थिति में हड्डियां कमजोर और नरम हो जाती हैं। यह रोग मुख्य रूप से व्यसकों और महिलाओं में अधिक आम है। 
  • रूमेटाइड गठिया: यह एक ऑटोइम्यून रोग है, जिसके कारण व्यक्ति को सूजन, दर्द और अकड़न का सामना करना पड़ता है। यह समस्या एक व्यक्ति को किसी भी उम्र में प्रभावित कर सकता है, लेकिन 30-60 वर्ष की आयु के लोगों को यह रोग अधिक प्रभावित करता है।

कैल्शियम की कमी के उपाय

कैल्शियम की कमी को फिर से दुरुस्त करने के लिए निम्न उपायों का पालन किया जा सकता है - 

  • आहार में बदलाव करें: प्रयास करें कि आप अपने आहार में कैल्शियम की मात्रा को बढ़ाएं। दूध और डेयरी उत्पाद, हरी पत्तेदार सब्जियां, सोया उत्पाद, तिल, बादाम और अंजीर इसमें लाभकारी साबित होंगे। कैल्शियम के साथ-साथ विटामिन डी को बढ़ाएं और कैफीन और नशीले पदार्थों से दूरी बनाएं।  
  • सप्लीमेंट्स: डॉक्टर से सलाह लेकर कैल्शियम और विटामिन डी का सप्लीमेंट लें। बिना प्रिस्क्रिप्शन के कोई दवा न लें। इससे आपको ही नुकसान होगा।
  • जीवनशैली में बदलाव: नियमित व्यायाम, धूम्रपान एवं शराब से दूरी, और पर्याप्त नींद लेने से लाभ होगा। 

वहीं महिलाओं में कैल्शियम की कमी के लिए कुछ अतिरिक्त उपाय किए जा सकते हैं - 

  • हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT): मेनोपॉज के बाद महिलाओं को इस थेरेपी की आवश्यकता पड़ती है। इसमें धमनियों को होने वाले नुकसान और कैल्शियम के स्तर को बनाए रखने में मदद मिलती है।  
  • बोन डेंसिटी टेस्ट कराएं: इस टेस्ट की सहायता से महिलाएं अपनी हड्डियों के घनत्व की जांच करवा सकती हैं। इससे ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे से आसानी से बचा जा सकता है और जरूरत पड़ने पर इलाज के विकल्पों को देखा जा सकता है। 

कैल्शियम की कमी के संबंध में स्वयं इलाज से बेहतर है कि आप जयपुर में एंडोक्राइनोलॉजिस्ट से संपर्क करें और इलाज के सभी मौजूद इलाज के विकल्पों को जानें।

कैल्शियम की कमी से संबंधित अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) -

 

कैल्शियम की कमी होने पर क्या खाएं?

कैल्शियम की कमी होने पर निम्न खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करें - 

  • दूध, दही, पनीर जैसे डेयरी उत्पाद
  • हरी पत्तेदार सब्जियां
  • सूखे मेवे और बीज
  • मछली

कैल्शियम की कमी क्यों होती है?

कैल्शियम की कमी के पीछे कई कारण है जैसे - 

  • पर्याप्त कैल्शियम युक्त भोजन न खाना
  • विटामिन डी की कमी
  • कुछ दवाएं
  • पाचन तंत्र की समस्याएं
  • वृद्धावस्था

कैल्शियम की कमी कैसे दूर करें?

कैल्शियम की कमी दूर करने के कई तरीके हैं जैसे - 

  • कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थों को अपने आहार में बढ़ाएं।
  • सप्लीमेंट लें (प्रिस्क्रिप्शन के साथ)
  • नियमित व्यायाम करें और धूम्रपान और शराब से बचें

ज्यादा कैल्शियम खाने के नुकसान?

यदि कोई भी कैल्शियम का अधिक सेवन करता है, तो उन्हें निम्नलिखित स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है - 

  • पथरी
  • कब्ज
  • पाचन में समस्याएं
  • हृदय रोग

1 दिन में कितना कैल्शियम लेना चाहिए?

एक दिन में कैल्शियम की मात्रा हर व्यक्ति के अनुसार अलग-अलग होती है जैसे - 

  • वयस्क को 1,000-1,200 मिलीग्राम कैल्शियम की आवश्यकता होती है। 
  • बच्चों को 700-1,300 मिलीग्राम (उम्र के अनुसार) कैल्शियम की आवश्यकता होती है।
  • महिलाएं (गर्भवती या स्तनपान कराने वाली) को 1,300 मिलीग्राम कैल्शियम की आवश्यकता होती है। 

बच्चों में कैल्शियम की कमी कैसे दूर करें?

बच्चों में कैल्शियम की कमी को दूर करने के लिए सामान्य दिशा-निर्देशों का पालन करें, जिनके बारे में हमने आपको ऊपर बताया है। दो उपाय और हैं जिनका आपको पालन करना चाहिए - 

  • बच्चों को नियमित रूप से धूप दिखाएं
  • परामर्श लें