स्कोलियोसिस रीढ़ की हड्डी की असामान्य स्थिति है, जो किशोरावस्था में आम है। इसके कारण अज्ञात हो सकते हैं, लेकिन यह आपके जीवन को कष्टों से भर सकते हैं। लक्षणों में असामान्य कंधे, कूल्हों और पीठ दर्द शामिल हैं। लक्षणों के दिखने पर परामर्श लें और जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाएं।
क्या आपकी या आपके बच्चे की रीढ़ में हल्का सा टेढ़ापन दिखाई दे रहा है? या बैठते/चलते समय कपड़े बार-बार एक तरफ लटकते हैं? आपको यह समझना होगा कि यह सिर्फ एक पोस्चर की समस्या नहीं है, यह स्कोलियोसिस (Scoliosis) भी हो सकता है। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें रीढ़ की हड्डी टेढ़ी हो जाती है। यदि इस स्थिति को जल्द पहचान लिया जाए तो आपका जीवन बेहतर हो सकता है। यह रोग किसी भी उम्र में, लेकिन ज़्यादा किशोरावस्था (10–16 वर्ष) में दिखाई देता है। वैसे वयस्कों में डिजेनेरेटिव (उम्र के साथ) स्कोलियोसिस भी हो सकता है।
सही सलाह, भावनात्मक समर्थन और समय से इलाज से आप या आपके परिवार वाले बिल्कुल सामान्य और सक्रिय जीवन जी सकते हैं। यदि आपने इनमें से कोई लक्षण दिखे, तो तुरंत एक अनुभवी हड्डी रोग विशेषज्ञ से मिलें और इलाज के सभी विकल्पों पर विचार करें। हर जल्द उठाया गया कदम जिंदगी बदल सकता है।
स्कोलियोसिस रीढ़ की हड्डी की एक ऐसी स्थिति है, जिसमें रीढ़ दाईं या बाईं ओर C या S आकार की हो जाती है। आमतौर पर, पीठ की प्राकृतिक बनावट आगे-पीछे हल्के वक्र की होती है, लेकिन स्कोलियोसिस में यह साइड की ओर मुड़ती है। कई बार कशेरुकाएं घूमती भी हैं, जिसकी वजह से पोस्चर और शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है।
भारत में किशोर आयडियोपैथिक स्कोलियोसिस (adolescent idiopathic scoliosis) की औसत दर अभी भी 0.67% से कम है। हालांकि शहरी इलाकों में इस समस्या की समझ बढ़ रही है, जो सभी के लिए एक अच्छी बात है।
शुरुआती चरण में स्कोलियोसिस का अक्सर कोई लक्षण नहीं उत्पन्न होते हैं। लेकिन जैसे-जैसे रीढ़ की हड्डी में टेढ़ापन आता है, लक्षण स्पष्ट होने शुरू हो जाते हैं जैसे कि -
यह लक्षण बच्चों, किशोरों और वयस्कों सब में उत्पन्न हो सकते हैं और कई बार शुरुआती संकेत माता-पिता, शिक्षक या खेल कोच देखकर नोटिस करते हैं।
स्कोलियोसिस भी कई प्रकार के होते हैं और उन्हीं प्रकारों की मदद से कारणों का भी पता चलता है जैसे कि -
अभी भी इस स्थिति के कारणों पर रिसर्च चल रही है, क्योंकि अभी इसके कई अज्ञात कारण है, जिनसे हम अभी भी अंजान है।
स्कोलियोसिस की जांच इलाज की सही दिशा तय कर देती है। निम्न जांच के विकल्प इसमें आपकी मदद कर सकते हैं -
स्क्रीनिंग के दौरान अक्सर एचसीआई, स्पाइन सर्जन एवं नर्सें भी बच्चों की मेडिकल हिस्ट्री लेते हैं, जिससे इस स्थिति के कारण की सही जांच हो पाए।
स्कोलियोसिस का इलाज अक्सर रीढ़ की हड्डी के मोड़, स्थिति की गंभीरता और उम्र पर निर्भर करती है। चलिए स्कोलियोसिस के इलाज के सभी विकल्पों के बारे में जानते हैं और समझते हैं -
जीवनशैली में छोटे बदलाव और सही एक्सरसाइज से एक बेहतर जीवन जीने में मदद मिल सकती है -
यदि आपके बच्चे या परिवार में किसी को भी नीचे दिए गए लक्षण नज़र आ रहे हों, जल्द से जल्द विशेषज्ञ से सलाह लें -
यदि आप इन लक्षणों को अनदेखी स्वयं कर रहे हैं, तो यह आपको लंबे समय तक परेशान कर सकते हैं।
स्कोलियोसिस कोई डराने वाली स्थिति नहीं है। ठीक जानकारी, जल्दी पहचान और मानव-केंद्रित इलाज से लोगों के जीवन में सुधार हो सकता है। यदि आप अपने बच्चे या किसी प्रियजन में चुपचाप बदलता पोस्चर या कोई ऊपर बताए लक्षण देख रहे हैं, आज ही पहल करें और हमारे अनुभवी विशेषज्ञों से मिल कर स्थिति की गंभीरता को समझें और अपने जीवन को बेहतर बनाएं।
हाँ, स्कोलियोसिस हर उम्र में हो सकता है। इससे प्रभावित होने वाले लोगों की सूचि में शिशु, किशोर, वयस्क और बुजुर्ग सब हैं।
नहीं। ज्यादातर हल्के/मध्यम मामलों में ब्रेसिंग, व्यायाम और निगरानी पर्याप्त है। सर्जरी सिर्फ गंभीर, तेज़ प्रगति और अंगों पर असर वाले केस में ही जरूरत होती है।
स्कोलियोसिस स्पेसिफिक स्ट्रेचिंग, योग, पिलेट्स, कोर एक्सरसाइज, पीठ की मांसपेशियां मजबूत करने वाले व्यायाम सबसे अच्छे हैं।
बहुत सा केस painless होते हैं, लेकिन बढ़े हुए वक्रता में chronic pain, muscle fatigue या स्टीफनेस हो सकती है।
कपड़ों का ठीक से न लटकना, कंधा/कूल्हे का असमान होना, पीठ का झुकाव या एक तरफ prominent पसलियां – ये शुरुआती संकेत हैं।
Written and Verified by:
Dr. Aashish Sharma is one of the most reputed Joint Replacement, Arthroscopy & Sports Medicine specialist in Rajasthan, with more than 29 years of experience. He has performed more than 6500 Joint Replacements, more than 7000 Arthroscopic Surgeries including 3000 ACL Reconstruction Arthroscopy Surgery .Along with extensive education and training in India; he has also done advanced fellowships with practices in Australia and Germany. Dr. Sharma is one of the founding members of the Society of Knee Surgeons in India. Rukmani Birla Hospital Jaipur is proud to have him as the Director - Department of Orthopaedics & Joint Replacement.
Similar Orthopaedics & Joint Replacement Blogs
Book Your Appointment TODAY
© 2024 RBH Jaipur. All Rights Reserved.