ओवरी कैंसर: शुरुआती संकेत, कारण, और इलाज के विकल्प

ओवरी कैंसर: शुरुआती संकेत, कारण, और इलाज के विकल्प

Medical Oncology |by Dr. Umesh Khandelwal| Published on 23/01/2025

मैं अपने 25 वर्षों के अनुभव से यह दावे से कह सकती हूं कि अधिकतर महिलाओं को ओवरी कैंसर का पता तब चलता है, जब वह रोग अपने अगले चरण में चली जाती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि ओवरी कैंसर के शुरुआत में लक्षण अस्पष्ट ही होते हैं, जिसके ऊपर अक्सर कम ध्यान दिया जाता है।

इस ब्लॉग को लिखने का मेरा लक्ष्य यह है कि आपको ओवरी के कैंसर के लक्षण, कारण और इलाज को आसान भाषा में समझाया जाए, जिससे आप समय रहते अपनी सेहत का ध्यान अच्छे से रख पाए। यदि आप या फिर आपका कोई परिचित इस ब्लॉग में बताए गए लक्षणों को महसूस कर रही है, तो बिना देर किए हमसे मिलें और इलाज लें। सीके बिरला अस्पताल, जयपुर में हम आपको हर कदम पर मार्गदर्शन करने के लिए मौजूद हैं।

ओवरी का कैंसर क्या है?

ओवेरियन कैंसर या अंडाशयी कैंसर एक ऐसी स्थिति है, जिसमें अंडाशय में असामान्य कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगते हैं, जो धीरे-धीरे ट्यूमर बनता है, जो शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकता है। हम सभी जानते हैं कि ओवरी महिला के प्रजनन तंत्र का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसका कार्य अंडे और एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन का निर्माण करना है। 

तीन प्रकार के ओवरी के कैंसर होते हैं, जिससे महिलाएं परेशान हो सकती हैं जैसे कि - 

  • एपिथेलियल ओवेरियन कार्सिनोमा: अधिकतर मामले में महिलाएं इस प्रकार के कैंसर का सामना करती हैं। इसमें कैंसर औवरी के बाहरी भाग को प्रभावित करते हैं। 
  • जर्म सेल ट्यूमर: यह अंडे बनाने वाली कोशिकाओं से उत्पन्न होते हैं और अधिकतर मामलों में युवा महिलाओं को प्रभावित करते हैं। 
  • स्ट्रोमल ट्यूमर: दुर्लभ मामलों में इस प्रकार का कैंसर होता है और यह उन ऊतकों को प्रभावित करते हैं, जो शरीर में हार्मोन के निर्माण में मदद करते हैं। 

ओवरी कैंसर के लक्षण - Early Symptoms of Ovarian Cancer

हम सभी को यह समझना होगा कि अपने और अपनों की सेहत हम सबके लिए पहला कदम होना चाहिए। यदि आप ओवरी कैंसर के शुरुआती लक्षणों की पहचान जल्दी कर लेते हैं, तो आप स्वयं इस चुनौतीपूर्ण स्थिति से खुद को बचा सकते हैं। ओवरी कैंसर के शुरुआती लक्षण इस प्रकार हैं -

  • पेट या पेल्विक क्षेत्र में सूजन के साथ असुविधा और दर्द होना।
  • खाना खाने में कठिनाई या पेट भरा हुआ महसूस होना। 
  • बार-बार पेशाब जाने की इच्छा व्यक्त होना।
  • थकान या ऊर्जा में कमी।
  • पीरियड्स के समय में बदलाव या अनियमितता 

अंडाशयी कैंसर के लक्षण कभी-कभी अन्य रोग जैसे कि मूत्र पथ पर संक्रमण, और फूड पाइप में संक्रमण के समान ही लगते हैं। इसलिए अपने लक्षणों का खास ध्यान रखें और लक्षण दिखने पर तुरंत एक अच्छे डॉक्टर से परामर्श लें।

ओवरी का कैंसर कैसे होता है?

ओवरी में कैंसर की समस्या तब उत्पन्न होती है, जब अंडाशय की कोशिकाओं के डीएनए में बदलाव आता है। इसे आप जेनेटिक म्युटेशन भी कह सकते हैं। इसके कारण यह कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती है। धीरे-धीरे समय के साथ यह कोशिकाएं ट्यूमर का रूप भी ले लेती हैं, जिसके बाद यह आस-पास के अंग में भी फैल सकता है। यह म्युटेशन क्यों होता है, इसकी कोई प्रमाणित जानकारी नहीं है, लेकिन कुछ जोखिम कारकों के बारे में हम आपको बता सकते हैं, जो इस ट्यूमर के शरीर के बाकी हिस्से में फैलने का प्रबल कारण बन सकता हैं जैसे कि - 

  • बढ़ती उम्र: मेनोपॉज के बाद महिलाओं में ओवरी कैंसर का खतरा लगातार बना रहता है। 
  • फैमिली हिस्ट्री: ओवरी, ब्रेस्ट या कोलोरेक्टल कैंसर की फैमिली हिस्ट्री भी इस रोग का एक मुख्य जोखिम कारक है। 
  • जेनेटिक परिवर्तन: BRCA1 और BRCA2, यह दोनों जेनेटिक परिवर्तन है, जो इस रोग का एक और जोखिम कारक है। 
  • फर्टिलिटी की हिस्ट्री: जिन महिलाओं की उम्र 35 वर्ष से अधिक है और वह प्रेग्नेंट नहीं हुई है या बच्चे नहीं हुए है, तो वह इसके कारण अधिक संवेदनशील होती है।
  • हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी: यदि मेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन-ओनली थेरेपी का उपयोग लंबे समय तक होता है, तो भी ओवरी कैंसर होने की संभावना अधिक होती है। 
  • एंडोमेट्रियोसिस: यह एक दर्दनाक बीमारी है, जिसमें कैंसर बच्चेदानी के बाहर बढ़ने लगती है। यदि यह स्थिति अनुपचारित रह जाए, तो ओवरी कैंसर की संभावना बहुत ज्यादा प्रबल हो जाती है। 

सबसे पहले आप अपने सभी जोखिम कारकों को समझें और आवश्यकता पड़ने पर तुरंत स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से संपर्क करें। 

ओवरी के कैंसर के लिए उपचार विकल्प

अंडाशयी कैंसर के निदान के बाद आपको सबसे पहले मुझसे या फिर किसी भी स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलना होगा। इलाज का विकल्प कैंसर के कारण और प्रकार के आधार पर निर्भर करता है। ओवरी के कैंसर की स्थिति में इलाज के निम्न विकल्पों में से एक का सुझाव दिया जा सकता है - 

  • सर्जरी: कैंसर की स्थिति में प्राथमिक उपचार सर्जरी ही है। इसमें ओवरी के उस भाग को सर्जरी की मदद से निकाल दिया जाता है, जहां तक कैंसर फैल जाता है। 
  • कीमोथेरेपी: इस प्रक्रिया का उपयोग अक्सर सर्जरी के बाद ही होता है। इसमें सर्जरी के बाद बचे हुए कोशिकाओं को मारा जाता है। 
  • टारगेटेड थेरेपी: कई बार कैंसर की कोशिकाएं किसी विशिष्ट स्थान पर जा कर रुक जाती है, जिसके इलाज के लिए PARP अवरोधकों जैसी दवाओं का उपयोग किया जाता है।
  • हार्मोन थेरेपी: इस थेरेपी की मदद से उन हार्मोन को रोकने में मदद मिलती है, जिससे कैंसर की कोशिकाओं की संख्या बढ़ने लगती है। 
  • रेडिएशन थेरेपी: हालांकि ओवरी कैंसर के मामलों में इस थेरेपी का उपयोग बहुत कम होता है, लेकिन कुछ मामलों में इसका उपयोग होता ही है। 

हर इलाज के अपने कुछ जोखिम और जटिलताएं होती हैं, इसलिए सभी के बारे में अपने डॉक्टर से ज़रूर बात करें। आपका पूरा हक है यह जानना कि आपके लिए कौन सा इलाज का विकल्प सबसे सर्वश्रेष्ठ रहेगा। 

एक डॉक्टर के तौर पर मेरी प्राथमिकता महिलाओं को वह सारी जानकारी प्रदान करना है, जिससे वह अपने स्वास्थ्य का ख्याल अच्छे से रख पाए और सही समय पर उचित निर्णय ले पाए। ओवरी कैंसर एक डरावने सपने के जैसा हो सकता है, लेकिन आप घबराए नहीं। सीके बिरला अस्पताल, जयपुर में, हम आपके सेहत के आधार पर ही इलाज के विकल्प का सुझाव देते हैं और व्यक्तिगत देखभाल प्रदान करते हैं। 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

 

क्या ओवरी का कैंसर घातक है?

जबकि ओवरी का कैंसर जीवन के लिए खतरा हो सकता है, इसलिए प्रयास करें कि निदान के बाद तुरंत इलाज लें। प्रारंभिक चरण में कैंसर की पुष्टि से 90% मामलों में महिला की उम्र बढ़ी है। 

क्या रक्त परीक्षण से ओवरी के कैंसर का पता लगाया जा सकता है?

सीए-125 के स्तर को मापने वाले ब्लड टेस्ट से ओवरी के कैंसर का पता लगाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त अल्ट्रासाउंड या सीटी स्कैन से इस रोग की पुष्टि हो सकती है। 

ओवरी के कैंसर को कैसे रोकें? 

ओवरी के कैंसर को रोकने का कोई विशिष्ट तरीका नहीं है, लेकिन आप कुछ उपायों से इस रोग के जोखिम को कम कर सकते हैं जैसे कि ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव, स्वस्थ वजन बनाए रखना, प्रेगनेंसी, इत्यादि। 

ओवरी के कैंसर होने का अधिक जोखिम किसे है? 

50 वर्ष से अधिक आयु की महिलाएं, जिनके परिवार में ओवरी या स्तन कैंसर का इतिहास रहा हो, तथा BRCA1 या BRCA2 जैसे जैनेटिक परिवर्तन वाले व्यक्तियों में इसका अधिक खतरा रहता है।

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