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फ्लू (इंफ्लुएंज़ा): कारण, लक्षण और उपचार

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फ्लू (इंफ्लुएंज़ा): कारण, लक्षण और उपचार

Internal Medicine | by Prof.(Dr) Sukumar Mukherjee | Published on 08/06/2024



इंफ्लुएंज़ा या फ्लू एक संक्रामक श्वसन रोग है, जिसके पीछे का मुख्य कारण इन्फ्लूएंजा वायरस होता है। यह वायरस हवा में छींक के माध्यम से फैलता है। फ्लू के कारण हल्के से लेकर गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं और कुछ मामलों में इसके कारण जान को भी खतरा होता है। इस स्वास्थ्य स्थिति से आसानी से बचा जा सकता है, लेकिन इसके लिए हर व्यक्ति को फ्लू से संबंधित पूर्ण जानकारी होनी चाहिए जैसे इसके पीछे का सटीक कारण क्या है, इसके लक्षण क्या है और इसका इलाज कैसे होता है। 

इन्फ्लूएंजा के कारण

जैसा कि हम जानते हैं कि इन्फ्लूएंजा एक वायरल संक्रमण है, जिसके पीछे का मुख्य कारण इन्फ्लूएंजा वायरस होता है। इस वायरस के कारण नाक, गले और फेफड़ों के ऊपरी भाग को प्रभावित होते हैं। यह वायरस भी अलग-अलग प्रकार के होते हैं जैसे - इन्फ्लूएंजा A, इन्फ्लूएंजा B और इन्फ्लूएंजा C।

यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आता है, तो वह भी इस रोग का शिकार हो सकता है। जब संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है तो यह वायरस हवा के माध्यम से यह दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। 

जैसे ही व्यक्ति इन्फ्लूएंजा से संक्रमित होता है, उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने लगती है। यही कारण है कि वह व्यक्ति संक्रमित होने के बाद बीमार होने लगता है। इस रोग से सबसे ज्यादा प्रेग्नेंट महिलाएं, बच्चे, बूढ़े व्यक्ति और विभिन्न अन्य शारीरिक स्थितियों वाले व्यक्ति अधिक प्रभावित होते हैं।

हालांकि फ्लू के कई अन्य जोखिम कारक भी होते हैं जैसे - 

  • इन्फ्लूएंजा की समस्या छह महीने से 5 साल तक और 65 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों को अधिक प्रभावित करती है। 
  • एचआईवी/एड्स, खराब पोषण, धूम्रपान एवं शराब, लंबे समय तक स्टेरॉयड का उपयोग, ऑर्गन ट्रांसप्लांट, कैंसर, इत्यादि के कारण शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने लगती है, जिसके बाद फ्लू होने की संभावना बढ़ जाती है। 
  • कोई क्रोनिक बीमारियां इन्फ्लूएंजा की समस्या को बढ़ा सकती हैं।
  • फेफड़ों के रोग के कारण कई सारी जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त डायबिटीज, दिल की बीमारी, कोलेस्ट्रॉल से संबंधित असामान्यताएं भी इस स्थिति में हानिकारक साबित हो सकती है। 
  • प्रेग्नेंट महिलाएं दूसरी और तीसरी तिमाही के दौरान इन्फ्लूएंजा के खतरे के दायरे में होती हैं। बच्चे के जन्म के कुछ समय के बाद तक भी महिलाएं इस रोग से पीड़ित हो सकती हैं, क्योंकि उस दौरान महिलाओं का शरीर कमजोर होता है।

इन्फ्लूएंजा के लक्षण

सामान्य तौर पर फ्लू के लक्षण अचानक से प्रकट होते हैं, इसलिए इन्फ्लूएंजा की स्थिति में निम्न लक्षणों का अनुभव व्यक्ति कर सकते हैं - 

  • बुखार के साथ नाक बहना
  • खांसी और गले में खराश
  • मांसपेशियों में दर्द
  • थकान और सिरदर्द
  • कभी-कभी, मतली और उल्टी

यदि ऊपर बताए गए लक्षण लगातार बने रहते हैं, तो हम आपको सलाह देंगे कि अपने जनरल फिजिशियन से सलाह लें और इलाज के सभी विकल्पों पर विचार करें। आपको ध्यान रखना होगा कि यह लक्षण मौसम बदलने की स्थिति में बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं। 

इन्फ्लूएंजा की रोकथाम

इन्फ्लुएंजा से बचने के लिए आप निम्न तरीकों का सहारा ले सकते हैं - 

  • फ्लू का टीका लगवाएं। इससे बहुत लाभ होगा।
  • समय-समय पर हाथ धोएं। ऐसा तब ज्यादा करें जब आप जाने-अनजाने में किसी बीमार व्यक्ति के संपर्क में आए या उनके आस-पास रहें।
  • खांसते या छींकते समय मुंह और नाक को ढकें।
  • बीमार होने पर घर पर रहें और बिना कारण घर से बाहर न निकलें।

इन सभी बातों में एक बात सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है और वह है फ्लू का टीका। फ्लू का टीका एक सुरक्षित और प्रभावी तरीका है, जिसकी मदद से वायरस से होने वाले मौसमी फ्लू से बचाव संभव है। आपको यह समझना होगा कि यह वायरस हर साल बदलता है। चिकित्सा भाषा में कहा जाए तो यह वायरस म्यूटेट होता है, इसलिए 6 माह से बड़े बच्चों को हर साल फ्लू का टीका जरूर लगवाना चाहिए। 

टीका लगाने के कई लाभ होते हैं जैसे -

  • फ्लू से होने वाली हॉस्पिटलाइजेशन और मृत्यु के जोखिम को कम कर सकता है। 
  • प्रेग्नेंट महिलाएं, बुजुर्गों और क्रोनिक बीमारियों से पीड़ित लोगों को बहुत लाभ होगा।

फ्लू का टीका कब लगवाना चाहिए? इस प्रश्न का उत्तर मुश्किल नहीं है। फ्लू का मौसम जैसे ही शुरू होता है, टीका लगवा लेना चाहिए। आदर्श रूप से अक्टूबर के अंत तक फ्लू का टाकी ज़रूर लगवाएं। इसकी सहायता से बच्चों के शरीर में एंटीबॉडी बनती हैं जिससे बच्चे फ्लू के शिकार होने से बच जाते हैं। 

इन्फ्लुएंजा का इलाज

इन्फ्लूएंजा के इलाज के लिए कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होता है जैसे - 

  • आराम करें: भरपूर आराम करने और पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन करें। इससे बहुत लाभ मिलेगा।
  • दवाएं: कुछ दवाएं निर्धारित की जा सकती है, जिसकी मदद से बुखार और दर्द से आराम मिल जाता है। एसिटामिनोफेन (टाइलेनॉल) या इबुप्रोफेन (एडविल) जैसी दवाएं अक्सर दी जाती हैं। लेकिन बिना प्रिस्क्रिप्शन के उन दवाओं का सेवन न करें। 
  • एंटीवायरल दवाएं: कुछ मामलों में एंटीवायरल दवाएं कारगर साबित हो सकती है। इस प्रकार की दवाएं अक्सर गंभीर जटिलताओं के जोखिम को कम करने के लिए दी जाती है। 

इसके अतिरिक्त यदि तेज बुखार, सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, या गंभीर लक्षण दिखते हैं, तो तुरंत परामर्श लें और इलाज के सभी विकल्पों पर विचार करें।

इन्फ्लूएंजा से संबंधित अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

 

इंसेफेलाइटिस क्या है?

इंसेफेलाइटिस वह समस्या है, जिसमें वायरल संक्रमण के कारण मस्तिष्क में सूजन आ जाती है। ऐसे मामले बहुत देखने को मिलते हैं, लेकिन इंसेफेलाइटिस इन्फ्लूएंजा के मामले बहुत कम देखने को मिलते हैं। 

इन्फ्लूएंजा किसके कारण होता है?

इन्फ्लूएंजा के होने के पीछे निम्न कारण होते हैं - 

  • इन्फ्लूएंजा वायरस A और B 
  • संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना

क्या फ्लू का टीका सुरक्षित है?

हां, फ्लू का टीका एकदम सुरक्षित और प्रभावी है। इसके कारण गंभीर दुष्प्रभाव देखने को मिलते हैं। इसके कारण इंजेक्शन वाले क्षेत्र पर हल्का दर्द, सूजन या लालिमा की समस्या देखने को मिलती है। कुछ मामलों में साइड इफेक्ट के तौर पर थकान, सिरदर्द या मांसपेशियों में दर्द हो सकता है। 

क्या गर्भवती होने पर फ्लू का टीका लगाया जा सकता है?

हां, गर्भवती महिलाएं के लिए फ्लू का टीका एकदम सुरक्षित है। गर्भावस्था में फ्लू गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है, इसलिए इस स्थिति का इलाज बहुत ज्यादा आवश्यक है।