इंफ्लुएंज़ा या फ्लू एक संक्रामक श्वसन रोग है, जिसके पीछे का मुख्य कारण इन्फ्लूएंजा वायरस होता है। यह वायरस हवा में छींक के माध्यम से फैलता है। फ्लू के कारण हल्के से लेकर गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं और कुछ मामलों में इसके कारण जान को भी खतरा होता है।
इंफ्लुएंज़ा या फ्लू एक संक्रामक श्वसन रोग है, जिसके पीछे का मुख्य कारण इन्फ्लूएंजा वायरस होता है। यह वायरस हवा में छींक के माध्यम से फैलता है। फ्लू के कारण हल्के से लेकर गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं और कुछ मामलों में इसके कारण जान को भी खतरा होता है। इस स्वास्थ्य स्थिति से आसानी से बचा जा सकता है, लेकिन इसके लिए हर व्यक्ति को फ्लू से संबंधित पूर्ण जानकारी होनी चाहिए जैसे इसके पीछे का सटीक कारण क्या है, इसके लक्षण क्या है और इसका इलाज कैसे होता है।
जैसा कि हम जानते हैं कि इन्फ्लूएंजा एक वायरल संक्रमण है, जिसके पीछे का मुख्य कारण इन्फ्लूएंजा वायरस होता है। इस वायरस के कारण नाक, गले और फेफड़ों के ऊपरी भाग को प्रभावित होते हैं। यह वायरस भी अलग-अलग प्रकार के होते हैं जैसे - इन्फ्लूएंजा A, इन्फ्लूएंजा B और इन्फ्लूएंजा C।
यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आता है, तो वह भी इस रोग का शिकार हो सकता है। जब संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है तो यह वायरस हवा के माध्यम से यह दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है।
जैसे ही व्यक्ति इन्फ्लूएंजा से संक्रमित होता है, उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने लगती है। यही कारण है कि वह व्यक्ति संक्रमित होने के बाद बीमार होने लगता है। इस रोग से सबसे ज्यादा प्रेग्नेंट महिलाएं, बच्चे, बूढ़े व्यक्ति और विभिन्न अन्य शारीरिक स्थितियों वाले व्यक्ति अधिक प्रभावित होते हैं।
हालांकि फ्लू के कई अन्य जोखिम कारक भी होते हैं जैसे -
सामान्य तौर पर फ्लू के लक्षण अचानक से प्रकट होते हैं, इसलिए इन्फ्लूएंजा की स्थिति में निम्न लक्षणों का अनुभव व्यक्ति कर सकते हैं -
यदि ऊपर बताए गए लक्षण लगातार बने रहते हैं, तो हम आपको सलाह देंगे कि अपने जनरल फिजिशियन से सलाह लें और इलाज के सभी विकल्पों पर विचार करें। आपको ध्यान रखना होगा कि यह लक्षण मौसम बदलने की स्थिति में बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं।
इन्फ्लुएंजा से बचने के लिए आप निम्न तरीकों का सहारा ले सकते हैं -
इन सभी बातों में एक बात सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है और वह है फ्लू का टीका। फ्लू का टीका एक सुरक्षित और प्रभावी तरीका है, जिसकी मदद से वायरस से होने वाले मौसमी फ्लू से बचाव संभव है। आपको यह समझना होगा कि यह वायरस हर साल बदलता है। चिकित्सा भाषा में कहा जाए तो यह वायरस म्यूटेट होता है, इसलिए 6 माह से बड़े बच्चों को हर साल फ्लू का टीका जरूर लगवाना चाहिए।
टीका लगाने के कई लाभ होते हैं जैसे -
फ्लू का टीका कब लगवाना चाहिए? इस प्रश्न का उत्तर मुश्किल नहीं है। फ्लू का मौसम जैसे ही शुरू होता है, टीका लगवा लेना चाहिए। आदर्श रूप से अक्टूबर के अंत तक फ्लू का टाकी ज़रूर लगवाएं। इसकी सहायता से बच्चों के शरीर में एंटीबॉडी बनती हैं जिससे बच्चे फ्लू के शिकार होने से बच जाते हैं।
इन्फ्लूएंजा के इलाज के लिए कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होता है जैसे -
इसके अतिरिक्त यदि तेज बुखार, सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, या गंभीर लक्षण दिखते हैं, तो तुरंत परामर्श लें और इलाज के सभी विकल्पों पर विचार करें।
इंसेफेलाइटिस वह समस्या है, जिसमें वायरल संक्रमण के कारण मस्तिष्क में सूजन आ जाती है। ऐसे मामले बहुत देखने को मिलते हैं, लेकिन इंसेफेलाइटिस इन्फ्लूएंजा के मामले बहुत कम देखने को मिलते हैं।
इन्फ्लूएंजा के होने के पीछे निम्न कारण होते हैं -
हां, फ्लू का टीका एकदम सुरक्षित और प्रभावी है। इसके कारण गंभीर दुष्प्रभाव देखने को मिलते हैं। इसके कारण इंजेक्शन वाले क्षेत्र पर हल्का दर्द, सूजन या लालिमा की समस्या देखने को मिलती है। कुछ मामलों में साइड इफेक्ट के तौर पर थकान, सिरदर्द या मांसपेशियों में दर्द हो सकता है।
हां, गर्भवती महिलाएं के लिए फ्लू का टीका एकदम सुरक्षित है। गर्भावस्था में फ्लू गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है, इसलिए इस स्थिति का इलाज बहुत ज्यादा आवश्यक है।
Written and Verified by:
(Prof) Dr. Sukumar Mukherjee has been associated with CMRI since 1990. His area of interest has been Internal Medicine and Rheumatology. He has been awarded the Life Time Bangabishuan Award by the Govt. West Bengal in the year 2014, Jamini Anand Life Time Achievement Award as Medical Teacher in 2011-MCESA. He has also been awarded the Dhanwantari Award in 2008. He has been awarded the WHO Fellowship on Clinical Management of AIDS in Sydney and Melbourne, Australia in 1989. He has been the Dean of the Indian College of Physicians, President of the Indian Association of Clinical Medicine (2003-2004).
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