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डर्मेटाइटिस: जानिए इसके कारण, लक्षण और उपचार

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डर्मेटाइटिस: जानिए इसके कारण, लक्षण और उपचार

Dermatology | by Dr. Poonam Jalan | Published on 03/04/2024



डर्मेटाइटिस एक त्वचा रोग है, जिसमें त्वचा की ऊपरी सतह पर लालिमा और सूजन की समस्या होती है। यह अलग-अलग प्रकार के होते हैं, जिसका नियंत्रण सही समय पर उत्तम इलाज से ही संभव है। इस ब्लॉग में हम डर्मेटाइटिस के बारे में विस्तार से बात करेंगे, जैसे इसके कारण और लक्षण क्या है और इस स्थिति का इलाज कैसे होता है। इसके अतिरिक्त आप हमारे विशेषज्ञ से बात कर त्वचा संबंधिक समस्याओं का समाधान भी प्राप्त कर सकते हैं। 

इस ब्लॉग में मौजूद जानकारी एक सामान्य जानकारी है। यदि आप डर्मटाइटिस के गंभीर मामलों का सामना कर रहे हैं, तो हम आपको सलाह देंगे कि आप तुरंत एक अच्छे त्वचा रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें और सही समय पर उत्तम इलाज प्राप्त करें।

डर्मेटाइटिस क्या है?

हमारी त्वचा को रक्षा कवच भी कहा जाता है। इसका कार्य हानिकारक पदार्थों, बैक्टीरिया और वायरस से रक्षा करना है। लेकिन कुछ मामलों में यह कमजोर होने लगती हैं और त्वचा संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। डर्मेटाइटिस ऐसी ही एक समस्या है, जिसका प्रभाव त्वचा पर सबसे ज्यादा होता है। इसमें व्यक्ति को त्वचा में सूजन और जलन का सामना करना पड़ता है। आमतौर पर इस रोग के कारण व्यक्ति को त्वचा पर लालिमा, सूजन व खुजली का सामना करना पड़ता है। यहां आपको एक बात समझनी होगी कि डर्मेटाइटिस एक्जिमा नहीं है, लेकिन सभी एक्जिमा डर्मेटाइटिस के प्रकार होते हैं। 

त्वचा में सूजन और जलन सामान्य और गंभीर दोनों होते हैं। इस रोग की स्थिति इसके कारण पर निर्भर करती है। यहां आपको एक बात और समझनी होगी कि डर्मेटाइटिस के कारण शरीर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है और न ही यह संक्रमण की तरह फैलता है। लेकिन इस रोग के लक्षण जीवनशैली को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं। उचित समय पर उचित इलाज लक्षणों को काफी हद तक कम करने में मदद कर सकते हैं।

डर्मेटाइटिस के प्रकार

अलग-अलग लोगों में डर्मेटाइटिस के अलग-अलग प्रकार होते हैं। इसके कुछ प्रकार के बारे में नीचे बताया गया है - 

  • एटॉपिक डर्मेटाइटिस (एक्जिमा): एटोपिक डर्मेटाइटिस या एक्जिमा एक ऐसी स्थिति है, जिसमें रोगी को त्वचा में सूखापन, खुजली और सूजन का सामना करना पड़ता है। सामान्यतः यह रोग छोटे बच्चों को प्रभावित करता है, लेकिन किसी भी उम्र के लोग इस रोग से पीडित हो सकते हैं। यह रोगी को परेशान तो करता है, लेकिन यह संक्रामक नहीं है। 
  • कॉटैक्ट डर्मेटाइटिस: यह एक ऐसी स्थिति है, जो तब उत्पन्न होती है जब आपकी त्वचा बाहरी वस्तु के संपर्क में आती है। इसके कारण डर्मेटाइटिस के लक्षणों में वृद्धि होती है। इस स्थिति में रोगी को त्वचा में लालिमा का सामना करना पड़ता है और कई बार इसके कारण छाले भी बन जाते हैं। 
  • सेबोरीक डर्मेटाइटिस: इस स्थिति में रोगी को त्वचा पर पपड़ीदार पैच, लालिमा और बहुत अधिक खुजली का सामना करना पड़ता है। चहरे, छाती के ऊपरी भाग और पीठ पर यह समस्या सबसे अधिक प्रभावी होती है। सेबोरीक डर्मेटाइटिस लंबे समय तक रहने वाली समस्या है। जैसे कि हमने आपको बताया है कि यह रोग बच्चों को प्रभावित करता है इसलिए इस स्थिति को क्रैडल कैप भी कहा जाता है।
  • फोलिक्यूलर एक्जिमा: इस स्थिति में त्वचा के प्रभावित भाग में सूजन आ जाती है। एटोपिक डर्मेटाइटिस में सूजन तब होती है, जब त्वचा की बाहरी परत आपको बाहरी खतरों, जैसे एलर्जी, बैक्टीरिया या अन्य समस्याओं से नहीं बचा पाती है। 

डर्मेटाइटिस के लक्षण

डर्मेटाइटिस की स्थिति हर व्यक्ति को अलग-अलग तरीके से प्रभावित करती है। कुछ लोगों को हल्के लक्षण महसूस होते हैं, तो कुछ लोगों को गंभीर लक्षणों का सामना करना पडता है। डर्मेटाइटिस के चार प्रकार होते हैं और उनके लक्षण भी उन्ही के आधार पर भिन्न होते हैं। लेकिन कुछ ऐसे लक्षण भी होते हैं जो सभी स्थितियों में एक समान ही होते हैं जैसे - 

  • चकत्ते या त्वचा का सूखना या फटना
  • फफोले के साथ खुजली होना
  • चुभन और जलन के साथ प्रभावित भाग में दर्द
  • लालिमा और सूजन 

डर्मेटाइटिस के कारण 

इस रोग के होने के पीछे कई कारण हैं लेकिन कुछ मुख्य कारणों को नीचे बताया गया है - 

  • एलर्जी
  • जेनेटिक कारण
  • घर परिवार में इस रोग का होना
  • स्वास्थ्य या त्वचा संबंधी किसी अन्य समस्या का होना

इसके अतिरिक्त यदि आपकी त्वचा किसी दूसरे रसायन के संपर्क में आती है, तो भी यह रोग आपको परेशान कर सकता है।

डर्मेटाइटिस से जुड़े रिस्क फैक्टर

डर्मेटाइटिस से जुड़े कुछ रिस्क फैक्टर्स होते हैं, जिनकी वजह से डर्मेटाइटिस की समस्या विकराल रूप ले लेती है - 

  • उम्र: सामान्यतः डर्मेटाइटिस की समस्या किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है। लेकिन एटॉपिक डर्मेटाइटिस बच्चों में ज्यादा आम है।
  • एलर्जी और अस्थमा: यदि आपको या आपके परिवार के किसी सदस्य को एलर्जी जैसे हे फीवर (एलर्जिक राइनाइटिस) या अस्थमा है, तो आपको डर्मेटाइटिस होने का खतरा ज्यादा होता है।
  • व्यवसाय: कुछ ऐसे काम होते हैं, जिसमें कुछ ऐसे तत्व के संपर्क में आना पड़ता है जो डर्मटाइटिस का कारण होते हैं। हेल्थकेयर वर्करों में हाथों से जुड़ा एग्जीमा होने का खतरा अधिक होता है।
  • स्वास्थ्य स्थितियां: कुछ स्वास्थ्य स्थितियां, जैसे कंजेस्टिव हार्ट फेलियर, पार्किंसन्स रोग, और एचआईवी/एड्स के कारण सेबोरहाइक डर्मेटाइटिस का खतरा अधिक होता है।

डर्मेटाइटिस से बचाव

डर्मेटाइटिस के इलाज से बेहतर विकल्प है बचाव। कुछ सावधानियों का पालन कर आप इस रोग से खुद को बचा सकते हैं। निम्नलिखित सावधानियों का पालन करने से आपको बहुत लाभ मिलेगा - 

  • ज्यादा देर तक स्नान करने से बचें: नहाने के लिए 10 मिनट से ज्यादा का समय न लें। यदि आप नहाने के लिए हल्के गुनगुने पानी का प्रयोग करते हैं, तो इससे आपको लाभ मिलेगा। इसके अतिरिक्त बाथ ऑयल का उपयोग आपके लिए लाभकारी साबित होगा।
  • अच्छे गुणवत्ता वाले साबुन का प्रयोग करें: साबुन को बनाने के लिए केमिकल का प्रयोग किया जाता है। यदि आप हर्बल साबुन का प्रयोग करते हैं, तो यह आपको त्वचा संबंधित समस्याओं से बचा सकता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि केमिकल वाले साबुन आपकी त्वचा को सुखा देते हैं। 
  • त्वचा में नमी न होने दें: स्नान करने के पश्चात अपने शरीर को अच्छे से सुखाएं। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो शरीर में नमी रह जाएगी, जिससे खुजली और डर्मेटाइटिस जैसी समस्याएं आपको परेशान कर सकती है। 
  • मॉइस्चराइजर का प्रयोग करें: त्वचा को मॉइस्चराइज करने के लिए आप तेल, क्रीम या मॉइस्चराइजर का प्रयोग कर सकते हैं। शिशुयों की त्वचा को अच्छे से मॉइस्चराइज करने से एटोपिक डर्मेटाइटिस का खतरा कम हो जाता है। 
  • अधिक सावधानी बरतें: यदि आप कोई ऐसा कार्य करते हैं, जिसमें आपकी त्वचा रसायनिक पदार्थों के संपर्क में आते हैं तो आपको अधिक सावधान रहना चाहिए। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इससे आपको खुजली या जलन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इससे बचने के लिए काम के दौरान ग्लव्स पहनें या ऐसे कपडे पहनें, जिससे आप उन वस्तुओं के सीधे संपर्क में न आए।

डर्मेटाइटिस का निदान

डर्मेटाइटिस एक त्वचा रोग है, जिसकी जांच एक त्वचा रोग विशेषज्ञ के द्वारा ही संभव है। जांच के दौरान डॉक्टर रोगी से कुछ प्रश्न पूछते हैं और उनसे उनके द्वारा महसूस किए जा रहे लक्षणों के बारे में जानते हैं। लक्षणों के आधार पर डर्मेटाइटिस के प्रकार और कारण को सुनिश्चित कर पाने में बहुत मदद मिलती है। कुछ मामलों में एलर्जी का पता लगाने के लिए पैच टेस्ट का सुझाव भी डॉक्टर देते हैं। 

रिपीटेड ओपन एप्लीकेशन टेस्ट (ROAT) एक ऐसा टेस्ट है जिसका सुझाव इलाज से पहले डॉक्टर अवश्य देते हैं। अधिक जानकारी के लिए आप हमारे विशेषज्ञ से परामर्श कर सकते हैं।

डर्मेटाइटिस का इलाज

डर्मेटाइटिस का इलाज कारण और लक्षणों के आधार पर भिन्न होता है। सबसे पहले डॉक्टर उपायों के साथ कुछ दवाएं देते हैं। निम्न तीरकों से इस स्थिति का इलाज संभव है -

  • कॉर्टिकोस्टेरॉइड क्रीम या जेल का उपयोग करने को कहा जा सकता है। इससे लक्षणों से राहत मिलती है।
  • फोटोथेरपी
  • खुजली को कम करने के लिए ओटमील बाथ भी प्रभावी है।
  • अधिक गंभीर मामलों में डॉक्टर कुछ सपलिमेंट्स का सुझाव दे सकते हैं। 
  • गंभीर एटोपिक डर्मेटाइटिस के मामलों में गीली पट्टी का प्रयोग कारगर साबित हो सकता है। कॉर्टिकोस्टेरॉइड के साथ गीली पट्टियां बहुत प्रभावी होती है। 
  • यदि इस रोग के पीछे का कारण कोई संक्रमण है, तो डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक्स या एंटिफंगल दवाओं का सुझाव दे सकते हैं। 

उपायों और दवाओं के साथ कई बार डॉक्टर आहार में कुछ बदलाव करने को कहते हैं। वह ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि कुछ खाद्य पदार्थ एक्जिमा के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं। 

डर्मेटाइटिस से संबंधित अधितकर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या डर्मेटाइटिस में हमेशा खुजली होती है?

नहीं, डर्मेटाइटिस में हमेशा खुजली नहीं होती है। कुछ मामलों में, डर्मेटाइटिस में खुजली के साथ-साथ अन्य लक्षण भी नजर आते हैं जैसे जलन, लालिमा, सूजन, और रैशेस।

डर्मेटाइटिस रोग किसकी कमी से होता है?

डर्मेटाइटिस किसी एक चीज़ की कमी से नहीं होता है। इस रोग के कई कारण होते हैं जैसे - 

  • एलर्जी
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना
  • त्वचा में जलन
  • हार्मोनल बदलाव
  • कुछ दवाओं का सेवन

क्या डर्मेटाइटिस ठीक हो सकता है?

डर्मेटाइटिस को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। डर्मेटाइटिस के इलाज में आमतौर पर दवाओं, क्रीम, और लोशन का इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ-साथ कुछ उपायों से स्थिति को लंबे समय तक नियंत्रित किया जा सकता है।