धीरे-धीरे आंख की रोशनी का धुंधला पड़ना मोतियाबिंद या फिर कैटरेक्ट का संकेत है। मोतियाबिंद की स्थिति में आंखों के प्राकृतिक लेंस में धुंधलापन आ जाता है। इस लेंस का कार्य साफ दृष्टि प्रदान करना है। भारत में मोतियाबिंद आंखों की रोशनी के जाने का प्रमुख कारण है। लेकिन डरने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि मोतियाबिंद का इलाज आधुनिक तकनीक से संभव है। चलिए इस ब्लॉग से मोतियाबिंद से संबंधित कुछ प्रश्नों के उत्तर जानते हैं जैसे, यह क्यों होता है, इसकी पहचान कैसे करें और इसका इलाज कैसे संभव है।
धीरे-धीरे आंख की रोशनी का धुंधला पड़ना मोतियाबिंद या फिर कैटरेक्ट का संकेत है। मोतियाबिंद की स्थिति में आंखों के प्राकृतिक लेंस में धुंधलापन आ जाता है। इस लेंस का कार्य साफ दृष्टि प्रदान करना है। भारत में मोतियाबिंद आंखों की रोशनी के जाने का प्रमुख कारण है। लेकिन डरने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि मोतियाबिंद का इलाज आधुनिक तकनीक से संभव है। चलिए इस ब्लॉग से मोतियाबिंद से संबंधित कुछ प्रश्नों के उत्तर जानते हैं जैसे, यह क्यों होता है, इसकी पहचान कैसे करें और इसका इलाज कैसे संभव है।
मोतियाबिंद वह स्थिति है, जिसमें आंख का प्राकृतिक लेंस धुंधला हो जाता है। आमतौर पर यह स्थिति बढ़ती उम्र के साथ उत्पन्न होती है। यदि मोतियाबिंद का इलाज समय पर नहीं होता है, तो यह धुंधलापन धीरे-धीरे बढ़ता जाता है और रोशनी की किरणों को लेंस तक पहुंचने से रोकता है। इसके कारण धीरे-धीरे चीजें दिखाई देना कम हो जाती हैं और रंग भी फीका पड़ने लगता है।
बहुत कम लोगों को पता होता है कि मोतियाबिंद चार प्रकार के होते हैं। चलिए मोतियाबिंद के उन चारों प्रकारों के बारे में जानते हैं -
इसके अतिरिक्त सभी प्रकार के मोतियाबिंद को दो अलग-अलग प्रकारों में बांटा गया है - काला मोतियाबिंद और सफेद मोतियाबिंद। सफेद मोतिया में आंख के बीच में सफेद धब्बे जैसा निर्माण होना शुरू हो जाता है, वहीं दूसरी तरफ काले मोतिया में आंख की रोशनी धीरे-धीरे कम होती है।
मोतियाबिंद एक आम आंखों की समस्या है, जो ज्यादातर उम्र बढ़ने के साथ उत्पन्न होती है। हालांकि वर्तमान में छोटी उम्र के बच्चे भी मोतियाबिंद का शिकार हो रहे हैं। उम्र के अतिरिक्त मोतियाबिंद के अन्य कारण भी हैं जैसे -
आमतौर पर मोतियाबिंद की वजह से दर्द नहीं होता है और न ही इस रोग के शुरुआती समय में कोई खास बदलाव होता है। मोतियाबिंद की स्थिति में नजर धीरे-धीरे कमजोर होती है। जैसे-जैसे यह समस्या बढ़ती है, निम्नलिखित लक्षणों का अनुभव रोगी करते हैं -
यह निर्धारित करने के लिए कि आपको मोतियाबिंद है या नहीं, आई स्पेशलिस्ट (Eye Specialist) आपके आंख और आपके द्वारा अनुभव हो रहे लक्षणों की जांच करते हैं। जब चश्मे या लेंस से भी मरीज को साफ दिखाई न दे तो सर्जरी ही एकमात्र विकल्प बचता है। अंत में सर्जरी की सलाह तभी दी जाती है, जब इसके कारण रोगी को सामान्य जीवन व्यतीत करने में समस्या हो। हालांकि मोतियाबिंद सर्जरी कोई इमरजेंसी सर्जरी नहीं है, लेकिन डायबिटीज की स्थिति में बिना देर किए इलाज आवश्यक होता है।
सर्जरी के साथ-साथ कुछ रोकथाम भी है, जिससे मोतियाबिंद की समस्या का समय रहते इलाज हो जाता है जैसे -
आमतौर पर मोतियाबिंद का ऑपरेशन सिर्फ एक बार ही होता है। यदि सर्जरी में मोतियाबिंद को आंख से पूरी तरह से ऑपरेशन में नहीं निकाला जाता है तो एक और ऑपरेशन की आवश्यकता पड़ सकती है।
यदि मोतियाबिंद का इलाज नहीं होता है, तो यह धीरे-धीरे बढ़ता रहता है और आंख की रोशनी भी कम होने लगती हैं। इस स्थिति को मोतियाबिंद का पकना कहा जाता है और इसके कारण निम्न परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं -
आमतौर पर, मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद एक या दो दिन आराम करने की सलाह दी जाती है। अधिकांश लोग कुछ दिनों के भीतर अपनी सामान्य गतिविधियों को फिर से शुरू करने में सक्षम हो जाते हैं।
Written and Verified by:
Dr. Bhaskar Ray Chaudhuri is a Consultant in Ophthalmology Dept. at CMRI, Kolkata, with over 25 years of experience. He specializes in cataract surgery, corneal transplants, keratoconus management, dry eye disease treatment, and glaucoma management.
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