बवासीर में परहेज क्यों जरूरी है? देखें, बवासीर में क्या खाना चाहिए

बवासीर में परहेज क्यों जरूरी है? देखें, बवासीर में क्या खाना चाहिए

Gastro Science |by Dr. Abhinav Sharma| Published on 18/03/2025

बवासीर जिसे हेमोराइड या पाइल्स भी कहा जाता है, एक गुदा रोग है, जिससे कई लोग प्रभावित होते हैं। भारत के लगभग 11% लोग बवासीर की समस्या का सामना कर रहे हैं। यह एक ऐसा रोग है, जिसमें इलाज से पहले परहेज को अहमियत दी जाती है। बवासीर के इलाज के लिए सबसे पहले हम आपको सलाह देंगे कि आप एक अनुभवी गुदा रोग विशेषज्ञ से मिलें और इलाज लें। 

बवासीर क्या है?

बवासीर की स्थिति में गुदा के अंदर और बाहरी भाग में और मलाशय के निचले भाग की नसें सूज जाती है। इस सूजन के कारण उस स्थान पर मस्सों का निर्माण हो जाता है। यह मस्से गुदा के अंदर और बाहर बन सकते हैं। यह समस्या लगभग 60 प्रतिशत लोगों को किसी न किसी उम्र में परेशान करती है। इसके अतिरिक्त, रिसर्च से यह पता चलता है कि लगभग 66.67% रोगी पुरुष हैं और 33.33% महिलाएं इस रोग से प्रभावित होती हैं।

यह सारे आंकड़े बताते हैं कि बवासीर एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जिसका इलाज और परहेज, बहुत ज्यादा जरूरी है। यदि समय पर इस स्थिति का इलाज नहीं होता है, तो इसके कारण गुदा में होने वाली सूजन बहुत ज्यादा बढ़ जाती है, जिसके कारण बवासीर के मस्से गुदा के अंदर से बाहर की तरफ आ जाते हैं। बवासीर की समस्या के चार ग्रेड होते हैं - 

  • ग्रेड I: यह बवासीर का शुरुआती चरण है, जिसमें लक्षण हल्के होते हैं, लेकिन असहजता बहुत कम होती है। 
  • ग्रेड II: इस ग्रेड के बवासीर में आकार बहुत कम होता है, जिससे हल्के ही लक्षण उत्पन्न होते हैं। इस ग्रेड तक के बवासीर में इलाज की आवश्यकता नहीं पड़ती है और यह कुछ परहेज करने से तुरंत ठीक हो सकते हैं। 
  • ग्रेड III: इस ग्रेड का बवासीर आपके जीवनशैली को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। इस स्थिति में बवासीर गुदा के बाहर की तरफ आ जाते हैं और परेशान करते हैं।
  • ग्रेड IV: यह बवासीर का अंतिम ग्रेड है, जिसमें मल त्याग में दर्द और रक्त की मौजूदगी इस स्थिति के मुख्य लक्षण है। इस स्थिति को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें।

बवासीर की रोकथाम और प्रबंधन में आहार की भूमिका

बवासीर को रोकने और इसे मैनेज करने के लिए आहार एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि आप अपने आहार में फाइबर को जोड़ते हैं, तो मल त्याग में असहजता कम होती है, और मल त्याग के दौरान आपको अधिक जोर भी नहीं लगाना पड़ता है। यदि आप अपने आहार में बदलाव नहीं करते हैं, तो इसके कारण आपके लक्षण गंभीर हो जाएंगे, जिससे आपका जीवन और भी अधिक कष्टदायक हो जाएगा। 

बवासीर होने पर क्या खाना चाहिए?

बवासीर की स्थिति में आपको निम्न चीजों के सेवन की सलाह दी जाती है और यह बवासीर के उपायों की सूची का पहला कदम होता है - 

  • फलियां: बीन्स, दाल और मटर फाइबर के ऐसे स्रोत हैं, जिससे मल त्याग में आसानी होती है और बवासीर की नसों पर दबाव कम होता है। 
  • होल ग्रेन्स: ब्राउन राइस, क्विनोआ और ओट्स जैसे खाद्य पदार्थों में अधिक फाइबर होता है। इसकी मदद से कब्ज की समस्या से राहत मिलती है। 
  • फल: जामुन, सेब और नाशपाती (छिलके सहित) में फाइबर और पानी की मात्रा अधिक होती है, जो मल को नरम करते हैं और उनके मार्ग को आसान बनाते हैं।
  • सब्जियां: ब्रोकोली, ब्रसेल्स स्प्राउट्स और अन्य क्रूसिफेरस सब्जियां कब्ज की समस्या से राहत दिलाने और पाचन तंत्र को दुरुस्त करने में मदद करते हैं। 
  • जड़ वाली सब्जियां: शकरकंद और गाजर, खास तौर पर जब उनके छिलके के साथ खाए जाते हैं, तो वह बवासीर की समस्या में फाइबर प्रदान करता है, जो कब्ज को रोकने में सहायता करता है।
  • नट्स और बीज: बादाम, अखरोट, चिया सीड्स और अलसी के बीज फाइबर और स्वस्थ वसा प्रदान करते हैं, जो पाचन स्वास्थ्य में योगदान करते हैं।

बवासीर में क्या न खाएं

बवासीर की स्थिति में आपको निम्न खाद्य पदार्थों के सेवन की सलाह नहीं दी जाती है - 

  • कम फाइबर वाले खाद्य पदार्थ: वाइट ब्रेड, सफेद चावल और पेस्ट्री जैसी चीज़ें कब्ज का कारण बन सकती है। 
  • डेयरी उत्पाद: दूध, पनीर और आइसक्रीम कुछ व्यक्तियों में कब्ज का कारण बन सकते हैं, इसलिए इनसे दूरी बनाएं। 
  • रेड और प्रोसेस्ड मीट: इनमें फाइबर की मात्रा कम होती है और इन्हें पचाना मुश्किल हो सकता है, जिससे मल त्याग में भी समस्या होती है। 
  • तले और मसालेदार खाद्य पदार्थ: यह पाचन तंत्र को परेशान कर सकता है, जिससे बवासीर के लक्षण और भी अधिक खराब हो सकते हैं।
  • कैफीन युक्त पेय पदार्थ और शराब: दोनों ही शरीर को हाइड्रेट कर सकते हैं। इसके कारण मल बहुत ज्यादा सख्त हो जाता है, जिससे मल त्याग के दौरान दर्द बहुत ज्यादा होता है, जो बवासीर का एक मुख्य लक्षण भी है। 

निष्कर्ष 

बवासीर की रोकथाम और प्रबंधन आहार विकल्पों पर बहुत अधिक निर्भर करता है। यदि आप आहार में फाइबर की मात्रा को बढ़ाते हैं, खुद को हाइड्रेट रखते हैं, तो आपको बवासीर के लक्षणों से आराम मिल सकता है। हालांकि बवासीर का इलाज पूर्ण रूप से संभव नहीं है, लेकिन परहेज और प्रबंधन से एक अच्छा जीवन व्यतीत किया जा सकता है। यदि अधिक परेशानी होती है और आप सोच रहे हैं कि बवासीर कैसे ठीक करें, तो बिना किसी देरी के आपको एक अनुभवी गुदा रोग विशेषज्ञ से इलाज लें। 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

 

क्या फाइबर युक्त आहार बवासीर में फायदेमंद है?

हां, फाइबर युक्त आहार लेने से मल नरम हो जाता है और नियमित मल त्याग को बढ़ावा मिलता है, जिससे बवासीर होने या बिगड़ने वाले तनाव को कम किया जा सकता है।

बवासीर में ईसबगोल के क्या फायदे हैं?

इसबगोल (साइलियम भूसी) एक प्राकृतिक फाइबर सप्लीमेंट है, जो मल को नरम करता है, जिससे मल त्याग आसान हो जाता है। बवासीर के इलाज में डॉक्टर अक्सर इसबगोल का सुझाव देते हैं। 

बवासीर में छाछ पीने के क्या फायदे हैं?

छाछ हाइड्रेटिंग एजेंट है और इसमें प्रोबायोटिक्स होता है, जो आंत के स्वास्थ्य को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसकी मदद से पाचन स्वास्थ्य में सुधार होता है और कब्ज की समस्या से राहत भी मिलती है। 

क्या हमें बवासीर में दूध पीना चाहिए?

बवासीर के कुछ लोगों में दूध पीने की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि यह कब्ज की समस्या का कारण बनता है। लेकिन सबके लिए यह अनिवार्य नहीं है। यह एक व्यक्तिगत प्रश्न है, जिसका उत्तर आपके डॉक्टर दे सकते हैं। 

खूनी बवासीर में हमें क्या नहीं करना चाहिए?

खूनी बवासीर के मामलों में ऐसे खाद्य पदार्थों से बचना आवश्यक है, जो कब्ज का कारण बन सकता है। कम फाइबर वाले खाद्य पदार्थ, अधिक तला-भुना भोजन, मसालेदार व्यंजन और शराब से दूरी बनाएं। 

क्या हमें बवासीर में घी खाना चाहिए?

पाचन तंत्र की समस्या वाले लोगों को तेल, घी, और मक्खन के सेवन की सलाह नहीं दी जाती है। हालांकि आप शुद्ध घी और शुद्ध मक्खन का सेवन सीमित मात्रा में कर सकते हैं। 

क्या बवासीर में गर्म पानी पीना चाहिए?

बवासीर की स्थिति में आप गर्म पानी पी सकते हैं, क्योंकि इससे कब्ज की समस्या से आराम मिल सकता है और मल को भी यह गर्म करता है, जो बवासीर के लक्षणों से राहत दिलाता है।

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