पार्किंसंस रोग - लक्षण, कारण, निदान और प्रबंधन

पार्किंसंस रोग - लक्षण, कारण, निदान और प्रबंधन

Neurosciences |by Dr. Ankit Singhvi| Published on 11/07/2024

पार्किंसंस रोग (Parkinson's) हमारे दिमाग की एक समस्या है, जिसकी वजह से धीरे-धीरे हमारी गति, मुद्रा (Body Posture) और भाषा प्रभावित होती है। हमारे नर्वस सिस्टम को डोपामाइन (Dopamine) नामक रसायन की आवश्यकता होती है, जिससे दिमाग से पूरे शरीर और शरीर से दिमाग तक सिग्नल जाता है। जब नर्वस सिस्टम में डोपामाइन नामक रसायन की कमी होने लगती है, तो इसके कारण पार्किंसंस रोग (Parkinson’s Disease) का खतरा बढ़ जाता है और शरीर अपना रोजाना का कार्य नहीं कर पाता है। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार पूरे विश्व में लगभग 710 मिलियन लोग पार्किंसंस रोग से पीड़ित हैं और इस स्थिति का इलाज ले रहे हैं। वर्तमान में कई स्वास्थ्य संगठन और रिसर्च इंस्टीट्यूट इस रोग के कारण की खोज के लिए रिसर्च कर रहे हैं। कारण का पता लगने पर ही इसका सटीक इलाज संभव हो सकता है। हालांकि इस रोग का प्रबंधन संभव है और वह कैसे है, इसे हम इस ब्लॉग की मदद से जानेंगे। अधिक सहायता के लिए आप कोलकाता में हमारे न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं ।

पार्किंसंस रोग क्या है?

पार्किंसंस रोग एक उम्र से संबंधित एक समस्या है, जो धीरे-धीरे दिमाग को प्रभावित करती है। इस स्थिति में हमारे दिमाग का एक भाग प्रभावित हो जाता है, जिसकी वजह से इस स्थिति के लक्षण दिखने शुरु हो जाते हैं। पार्किंसंस रोग मुख्य रूप से दिमाग के उन मांसपेशियों को प्रभावित करते हैं, जो हमारे शरीर को नियंत्रण, संतुलन और गति प्रदान करते हैं। इसके कारण, सोचने समझने की क्षमता, मानसिक स्वास्थ्य, और इंद्रियां प्रभावित होती हैं। इस क्षति के कारण लक्षण धीरे-धीरे समय के साथ दिखने शुरू होते हैं और धीरे-धीरे ही लक्षण गंभीर होने लग जाते हैं।

पार्किंसंस रोग के लक्षण

पार्किंसंस रोग के मुख्य लक्षणों में मांसपेशियों पर नियंत्रण खोना शामिल है। हालांकि, अभी भी कई सारी रिसर्च चल रही हैं, जिसके परिणाम के आधार पर कारण, लक्षण और इलाज के बारे में स्थिति अधिक साफ होगी। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य लक्षण भी हैं, जो उत्पन्न हो सकते हैं जैसे - 

  • कंपकंपी होना: यह एक सामान्य लक्षण है, जिसमें आराम करते समय, हाथ, पैर या जबड़े पर कंपकंपी होने लगती है। 
  • कठोरता: इस रोग के कारण मांसपेशियों में जकड़न और गति में कमी, जिससे चलना, मुड़ना और बोलना मुश्किल हो जाता है।
  • ब्रैडीकिनेशिया (Bradykinesia): यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें हर प्रकार के काम करने में समस्या आती है और वह हर काम धीरे-धीरे करते हैं। 
  • पोस्टुरल अस्थिरता: पार्किंसंस रोग वाले लोगों में संतुलन और समन्वय में कमी होती है, जिसके कारण गिरने का खतरा लगातार बना रहता है। 
  • अन्य लक्षण: इसके अतिरिक्त कुछ और भी लक्षण एक व्यक्ति को परेशान कर सकते हैं, जैसे - कब्ज, नींद की समस्या, डिप्रेशन, तनाव, आवाज में बदलाव, इत्यादि। 

जैसे ही आप इन लक्षणों का अनुभव करें, हम आपको सलाह देंगे कि आप तुरंत हमारे डॉक्टरों से मिलें और इलाज के सभी विकल्पों पर बात करें।

पार्किंसंस रोग का कारण

पार्किंसंस रोग का सटीक कारण अभी भी अज्ञात है। ऐसा माना जाता है कि जेनेटिक्स और प्राकृतिक कारकों के कारण यह समस्या उत्पन्न होती है। हालांकि इस रोग के कुछ जोखिम कारक हैं, जो इस स्थिति को और भी ज्यादा गंभीर कर सकते हैं जैसे - 

  • उम्र: उम्र इसका एक मुख्य कारक है। पार्किंसंस रोग के सभी मामलों में अधिकतर मामले वह हैं जिनकी उम्र 60 वर्ष और उससे अधिक होती है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, इस रोग का खतरा भी उतना ही बढ़ता जाता है। 
  • फैमिली मेडिकल हिस्ट्री: यदि किसी व्यक्ति के घर परिवार में भी पार्किंसंस रोग का कोई एक भी मामला है, तो वह व्यक्ति भी इस रोग के चपेट में आ सकता है। 
  • पुरुष: महिलाओं की तुलना में पुरुषों में पार्किंसंस रोग के मामले अधिक देखे गए हैं। 
  • कुछ चोट या संक्रमण: रिसर्च बताते हैं कि सिर पर चोट या मस्तिष्क में कुछ संक्रमण पार्किंसंस रोग की संभावना को बढ़ाते हैं। 

पार्किंसंस रोग का इलाज

सबसे पहले आपको यह समझना होगा कि पार्किंसंस रोग का कोई निश्चित इलाज नहीं है। हालांकि कुछ दवाओं और अन्य इलाज के विकल्पों की मदद से लक्षणों को कम किया जा सकता है, जिससे अंततः जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार होता है और स्थिति का इलाज भी होता है। चलिए उन सभी इलाज के विकल्पों पर बात करते हैं। 

दवाएं

पार्किंसंस रोग की दवाएं कई तरह से काम करती हैं। चलिए सभी को एक-एक करके समझते हैं - 

  • डोपामाइन बढ़ाना: कुछ प्रकार की दवाएं मस्तिष्क में डोपामाइन की मात्रा को बढ़ाते हैं। इससे स्थिति में बहुत लाभ मिलता है। 
  • डोपामाइन एगोनिस्ट: यह दवाएं मस्तिष्क में डोपामाइन का कार्य करती हैं, जिससे स्थिति में काफी हद तक आराम भी मिल जाता है। 
  • एन्टीकोलिनेर्जिक्स: इस प्रकार की दवाएं कंपकंपी, कठोरता और ब्रैडीकिनेशिया को कम करने में मदद करती हैं।

अन्य उपचार के विकल्प

  • फिजियोथेरेपी: इसकी मदद से मांसपेशियों की ताकत, संतुलन और समन्वय (Coordination) में सुधार होता है। अक्सर हम भी अपने पेशेंट्स को इसका सुझाव देते हैं। 
  • ऑक्यूपेशनल थेरेपी: इसकी मदद से पेशेंट को रोजाना के कार्य करने में जो पहले दिक्कत होती है, वह ठीक हो जाएगी। 
  • डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS): यह एक न्यूरोसर्जिकल प्रक्रिया है, जिसकी मदद से इस स्थिति के लक्षण ठीक होने लग जाते हैं। 

निष्कर्ष

पार्किंसंस रोग एक क्रोनिक रोग है, मतलब यह समस्या एक व्यक्ति को लंबे समय तक परेशान करती है। सही देखभाल और उत्तम इलाज की मदद से पार्किंसंस रोग का प्रबंधन आसानी से संभव है। इसके साथ-साथ सक्रिय और स्वस्थ जीवन शैली इलाज में मदद कर सकता है। 

इसलिए लक्षणों के अनुभव होते ही तुरंत एक अच्छे और अनुभवी न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर से परामर्श लें और इलाज के विकल्पों पर बात करें। जितनी जल्दी स्थिति की पुष्टि होती है, उतना ही प्रभावशाली उपचार होगा। पार्किंसंस रोग ट्रीटमेंट पर अभी भी रिसर्च चल रही है। जैसे ही यह पूरी होगी, हमें पार्किंसंस रोग का स्थाई इलाज भी मिल जाएगा।

पार्किंसंस रोग से संबंधित अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न (Faq)

 

पार्किंसंस रोग कैसे होता है?

पार्किंसंस रोग का सटीक कारण अभी भी अज्ञात है। मुख्य रूप से यह मस्तिष्क में डोपामाइन नामक न्यूरोट्रांसमीटर की कमी के कारण होता है। यह केमिकल गति और कोर्डिनेशन को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक होता है। 

पार्किंसंस रोग के 5 चरण क्या है?

पार्किंसंस रोग की गंभीरता को 5 चरणों में बांटा गया है - 

  • चरण 1: इसमें हल्के लक्षण दिखते हैं। 
  • चरण 2: इसमें गतिशीलता में कमी होने लगती है। 
  • चरण 3: कुछ कार्यों को करने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। 
  • चरण 4: गतिशीलता में गंभीर कमी के साथ बिना सहायता के चलने फिरने में कठिनाई होना।
  • चरण 5: चलने फिरने में बहुत ज्यादा दिक्कत होती है और हमेशा किसी न किसी की सहायता चाहिए होती है। 

पार्किंसंस रोग के चार प्रमुख लक्षण क्या है?

पार्किंसंस रोग के कई लक्षण हैं, हालांकि कुछ प्रमुख लक्षण हैं जिनका एक व्यक्ति सामना कर सकता है जैसे - 

  • कंपकंपी: सोते या आराम करते समय हाथ, पैर, चेहरे या जबड़े में अचानक कंपकंपी होना।
  • कठोरता: मांसपेशियों में जकड़न और गति में कमी जिसके कारण हाथ और पैर की मांसपेशियां कठोर होने लगती है। 
  • ब्रैडीकिनेशिया: पूरे शरीर की गति धीमी होना, जिससे किसी भी काम को करने के लिए लगने वाले समय से अधिक समय लगे। 
  • पोस्चरल अस्थिरता: संतुलन और समन्वय में कमी के कारण गिरने का खतरा अधिक रहता है। 

क्या पार्किंसंस रोग फैलता है?

पार्किंसंस रोग कोई ऐसा रोग नहीं है जो फैलता है। अर्थात यह न ही छूने या फिर पार्किंसंस रोग वाले रोगियों के संपर्क में आने से फैले। 

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