बर्ड फ्लू या एवियन इन्फ्लूएंजा एक संक्रामक रोग है, जो बहुत तेजी से फैलता है। मुख्य रूप से इस संक्रमण के प्रसार के पीछे पक्षियां हैं, लेकिन कुछ मामलों में मनुष्य और अन्य जानवर भी इस संक्रमण के फैलने के स्रोत हो सकते हैं। बर्ड फ्लू भी कई प्रकार के होते हैं, लेकिन मनुष्यों को परेशान करने वाला स्ट्रेन बर्ड फ्लू H5N1 है, जो कई बार स्वास्थ्य संस्थानों की चिंताओं को बढ़ाने का मुख्य कारण होता है।
बर्ड फ्लू या एवियन इन्फ्लूएंजा एक संक्रामक रोग है, जो बहुत तेजी से फैलता है। मुख्य रूप से इस संक्रमण के प्रसार के पीछे पक्षियां हैं, लेकिन कुछ मामलों में मनुष्य और अन्य जानवर भी इस संक्रमण के फैलने के स्रोत हो सकते हैं। बर्ड फ्लू भी कई प्रकार के होते हैं, लेकिन मनुष्यों को परेशान करने वाला स्ट्रेन बर्ड फ्लू H5N1 है, जो कई बार स्वास्थ्य संस्थानों की चिंताओं को बढ़ाने का मुख्य कारण होता है।
बर्ड फ्लू मुख्य रूप से पक्षियों को होने वाली समस्या है, इसलिए मनुष्य से मनुष्य में संक्रमण दुर्लभ है, लेकिन संक्रमित पक्षियों, उनके मल या दूषित सतहों के सीधे संपर्क में आने से दूसरे स्वस्थ लोग भी संक्रमित हो सकते हैं। समय-समय पर एवियन इन्फ्लूएंजा का प्रकोप देखा गया है, जिससे कई लोगों की जान भी गई है। यह समस्या अधिक आम होती है, जहां बड़े पोल्ट्री फार्म होते हैं। हालांकि सही जानकारी की सहायता से इस संक्रमण के प्रसार को आसानी से रोका जा सकता है और लक्षण दिखने पर तुरंत इलाज के लिए एक अनुभवी डॉक्टर से मिलने की सलाह दी जाती है।
बर्ड फ्लू की स्थिति में मानव संक्रमण एक दुर्लभ स्थिति है। हालांकि मनुष्यों में इसके लक्षण गंभीर होते हैं, जिन्हें हम इस ब्लॉग में बताने वाले हैं। हालांकि लोगों में वायरस के संक्रमण निम्न कारणों से उत्पन्न हो सकते हैं -
यह एक आवश्यक प्रश्न है, और ऐसा होना एक दुर्लभ मामला भी है। वर्तमान में, H5N1 वायरस इंसान से इंसान में नहीं फैल रहा है। जितने भी मामले अभी तक सामने आए हैं, उनमें से अधिकतर मामलों में संक्रमित व्यक्ति संक्रमित पक्षियों के सीधे संपर्क में आए हैं। हालांकि अभी भी बहुत बारीकी से निगरानी की जा रही है, जिससे इंसान से इंसान में इस संक्रमण के प्रसार की संभावनाओं को तलाशा जा रहा है।
बर्ड फ्लू की स्थितियों में कुछ लक्षण ऐसे होते हैं, जो दर्शाते हैं कि स्थिति बहुत ज्यादा गंभीर हो गई है और तुरंत इलाज की आवश्यका है। पक्षियों और मनुष्यों में अलग-अलग लक्षण उत्पन्न होते हैं।
पक्षियों में बर्ड फ्लू वायरस के सामान्य लक्षण इस प्रकार होते हैं -
वहीं मनुष्य में भी कुछ लक्षण देखने को मिल सकते हैं जैसे कि -
मनुष्यों में यह सारे लक्षण आमतौर पर दो से आठ दिनों के भीतर दिखाई देते हैं। गंभीर मामलों में निमोनिया, सांस लेने की दिक्कत होना और कुछ मामलों में मृत्यु की भी संभावना बनी रहती है।
कुछ लोगों को बर्ड फ्लू का जोखिम बहुत अधिक होता है जैसे कि -
इसके अतिरिक्त जिस क्षेत्र में पोल्ट्री फार्म अधिक होते हैं, वहां पर लोग अधिक प्रभावित होते हैं।
बर्ड फ्लू से बचाव के लिए आप निम्न उपायों का पालन कर सकते हैं, जिससे लाभ मिलना निश्चित हो सकता है -
बर्ड फ्लू संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए आपको आवश्यक जानकारी होनी चाहिए और आवश्यकता के अनुसार निवारक उपायों का पालन करना चाहिए।
बर्ड फ्लू वायरस पक्षियों को प्रभावित करने वाले एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है, वहीं सामान्य फ्लू (मौसमी इन्फ्लूएंजा) मानव इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है। दोनों में एक अंतर यह भी है कि बर्ड फ्लू बहुत ही कम एवं गंभीर मामलों में ही मनुष्य को प्रभावित करता है।
यदि चिकन या अंडे 165°F (74°C) तापमान पर अच्छे से पकाए जाते हैं, तो यदि कोई वायरस होगा, तो वह भी समाप्त हो जाएगा और आप इन दोनों को खा सकते हैं।
रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन-पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (RT-PCR), वायरल कल्चर और सेरोलॉजिकल टेस्ट ऐसे कुछ टेस्ट हैं, जिनकी मदद से बर्ड फ्लू की पुष्टि हो सकती है।
वर्तमान में, सभी के लिए कोई सामान्य टीका उपलब्ध नहीं है। लेकिन यदि इस संक्रमण का प्रकोप बढ़ जाता है, तो इस फ्लू को रोकने के लिए टीका उपलब्ध है।
ऐसा होने की संभावना बहुत कम है, लेकिन पालतू पक्षियों से बर्ड फ्लू फैल सकता है। यदि आप इस वायरस से बचना चाहते हैं तो प्रयास करें अच्छी स्वच्छता का पालन करें और पालतू पक्षियों की दूर से निगरानी करते रहें।
Written and Verified by:
Dr Rahul Mathur has undergone International Training in Internal Medicine from the United Kingdom. He previously worked with Mahatma Gandhi Hospital, Apex Hospitals and Metro Hospital Jaipur and conducted several free medical camps. With eight years of experience, he always chooses to reflect liability, empathy, and hard work as his foremost principles for excellence. Dr Mathur has worked on various topics in medicine and published numerous research papers at National & International conferences. He acknowledges that the medical field is constantly evolving with new technologies & practices. Therefore, he keeps himself associated with some prestigious organisation & attend regular healthcare workshops.
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