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मोतियाबिंद - कारण, लक्षण, और उपचार

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मोतियाबिंद - कारण, लक्षण, और उपचार

Ophthalmology | by Dr. Bhaskar Ray Chaudhuri | Published on 29/04/2024



धीरे-धीरे आंख की रोशनी का धुंधला पड़ना मोतियाबिंद या फिर कैटरेक्ट का संकेत है। मोतियाबिंद की स्थिति में आंखों के प्राकृतिक लेंस में धुंधलापन आ जाता है। इस लेंस का कार्य साफ दृष्टि प्रदान करना है। भारत में मोतियाबिंद आंखों की रोशनी के जाने का प्रमुख कारण है। लेकिन डरने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि मोतियाबिंद का इलाज आधुनिक तकनीक से संभव है। चलिए इस ब्लॉग से मोतियाबिंद से संबंधित कुछ प्रश्नों के उत्तर जानते हैं जैसे, यह क्यों होता है, इसकी पहचान कैसे करें और इसका इलाज कैसे संभव है। 

मोतियाबिंद क्या है? -

मोतियाबिंद वह स्थिति है, जिसमें आंख का प्राकृतिक लेंस धुंधला हो जाता है। आमतौर पर यह स्थिति बढ़ती उम्र के साथ उत्पन्न होती है। यदि मोतियाबिंद का इलाज समय पर नहीं होता है, तो यह धुंधलापन धीरे-धीरे बढ़ता जाता है और रोशनी की किरणों को लेंस तक पहुंचने से रोकता है। इसके कारण धीरे-धीरे चीजें दिखाई देना कम हो जाती हैं और रंग भी फीका पड़ने लगता है। 

मोतियाबिंद कितने प्रकार के होते हैं? -

बहुत कम लोगों को पता होता है कि मोतियाबिंद चार प्रकार के होते हैं। चलिए मोतियाबिंद के उन चारों प्रकारों के बारे में जानते हैं - 

  • न्यूक्लियर मोतियाबिंद (Nuclear Cataract): यह तब होता है, जब लेंस के बीच का भाग धुंधला हो जाता है। शुरुआत में दूर की चीजें धुंधली दिखाई देती हैं, जबकि पास की चीजें साफ दिखती हैं। समय के साथ, लेंस धीरे-धीरे पीला या भूरा हो जाता है और देखने में परेशानी होने लगती है। कई मामलों में देखा गया है कि रोगी को रंगों में भी फर्क बताना मुश्किल हो जाता है।
  • कॉर्टिकल मोतियाबिंद (Cortical Cataract): यह लेंस के किनारों को प्रभावित करता है। जैसे-जैसे मोतियाबिंद बढ़ता है, यह पूरे आंख में फैलता है और आंख की रोशनी को प्रभावित करता है। 
  • पोस्टीरियर सबकैप्सुलर मोतियाबिंद (posterior subcapsular cataract): यह लेंस के पीछे के भाग को प्रभावित करता है। पोस्टीरियर सबकैप्सुलर मोतियाबिंद रोशनी के मार्ग में एक छोटे से धब्बे के रूप में शुरू होता है। इसके कारण व्यक्ति की पढ़ने की क्षमता प्रभावित होती है। इस प्रकार का मोतियाबिंद दूसरों की तुलना में तेजी से बढ़ता है।
  • जन्मजात मोतियाबिंद (congenital cataracts): कुछ मामलों में ऐसा भी देखा गया है कि बच्चों को जन्म के समय ही मोतियाबिंद की समस्या होती है। कई बार बच्चों के जीन्स में ही यह समस्या होती है। 

इसके अतिरिक्त सभी प्रकार के मोतियाबिंद को दो अलग-अलग प्रकारों में बांटा गया है - काला मोतियाबिंद और सफेद मोतियाबिंद। सफेद मोतिया में आंख के बीच में सफेद धब्बे जैसा निर्माण होना शुरू हो जाता है, वहीं दूसरी तरफ काले मोतिया में आंख की रोशनी धीरे-धीरे कम होती है।

मोतियाबिंद कैसे होता है? -

मोतियाबिंद एक आम आंखों की समस्या है, जो ज्यादातर उम्र बढ़ने के साथ उत्पन्न होती है। हालांकि वर्तमान में छोटी उम्र के बच्चे भी मोतियाबिंद का शिकार हो रहे हैं। उम्र के अतिरिक्त मोतियाबिंद के अन्य कारण भी हैं जैसे - 

  • जेनेटिक या फिर जन्म से ही मोतियाबिंद
  • आंख में चोट
  • आंखों की सर्जरी और संक्रमण की हिस्ट्री
  • डायबिटीज
  • कुछ दवाएं जैसे स्टेरॉयड का लंबे समय तक प्रयोग 
  • किसी भी लाइट को देखने पर अजीब सी आकृति का बनना। 
  • धूम्रपान

मोतियाबिंद के लक्षण क्या है? -

आमतौर पर मोतियाबिंद की वजह से दर्द नहीं होता है और न ही इस रोग के शुरुआती समय में कोई खास बदलाव होता है। मोतियाबिंद की स्थिति में नजर धीरे-धीरे कमजोर होती है। जैसे-जैसे यह समस्या बढ़ती है, निम्नलिखित लक्षणों का अनुभव रोगी करते हैं - 

  • धुंधला या फिर बादल के छाने जैसा महसूस होना।
  • रंग फीका या पीला दिखाई देना।
  • रात या कम रोशनी में देखने में परेशानी होना।
  • तेज चमक या रोशनी को देखने में समस्या।
  • प्रभावित आंख में दोहरी दृष्टि।
  • आंखों के चश्मे का नंबर बार-बार बदलना।

मोतियाबिंद से रोकथाम और उपचार -

यह निर्धारित करने के लिए कि आपको मोतियाबिंद है या नहीं, आई स्पेशलिस्ट (Eye Specialist) आपके आंख और आपके द्वारा अनुभव हो रहे लक्षणों की जांच करते हैं। जब चश्मे या लेंस से भी मरीज को साफ दिखाई न दे तो सर्जरी ही एकमात्र विकल्प बचता है। अंत में सर्जरी की सलाह तभी दी जाती है, जब इसके कारण रोगी को सामान्य जीवन व्यतीत करने में समस्या हो। हालांकि मोतियाबिंद सर्जरी कोई इमरजेंसी सर्जरी नहीं है, लेकिन डायबिटीज की स्थिति में बिना देर किए इलाज आवश्यक होता है। 

सर्जरी के साथ-साथ कुछ रोकथाम भी है, जिससे मोतियाबिंद की समस्या का समय रहते इलाज हो जाता है जैसे - 

  • नियमित रूप से आंखों की जांच कराने से आंख की किसी भी समस्या से छुटकारा मिल सकता है। 
  • अल्ट्रावायलेट किरणों से आंख को बचाएं। 
  • जिनको डायबिटीज या दूसरी स्वास्थ्य समस्या होती है, उन्हें मोतियाबिंद का खतरा सबसे अधिक होता है। इसलिए वह अधिक ध्यान रखें।
  • स्वस्थ वजन बनाए रखें। 
  • फलों और सब्जियों को अपने आहार में शामिल करें क्योंकि इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स बहुत फायदेमंद होते हैं। 
  • धूम्रपान और शराब के सेवन को छोड़ने की सलाह दी जाती है।

मोतियाबिंद से संबंधित अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न -

 

क्या मोतियाबिंद का ऑपरेशन दोबारा हो सकता है?

आमतौर पर मोतियाबिंद का ऑपरेशन सिर्फ एक बार ही होता है। यदि सर्जरी में मोतियाबिंद को आंख से पूरी तरह से ऑपरेशन में नहीं निकाला जाता है तो एक और ऑपरेशन की आवश्यकता पड़ सकती है। 

मोतियाबिंद पकने के बाद क्या होता है?

यदि मोतियाबिंद का इलाज नहीं होता है, तो यह धीरे-धीरे बढ़ता रहता है और आंख की रोशनी भी कम होने लगती हैं। इस स्थिति को मोतियाबिंद का पकना कहा जाता है और इसके कारण निम्न परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं - 

  • दृष्टि का धुंधली हो जाना।
  • रोशनी में देखने में परेशानी होना।
  • रंग का फीका पड़ना। 
  • रात में देखना मुश्किल होना।
  • गंभीर मामलों में, मोतियाबिंद अंधापन का कारण बन सकता है।

मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद कितने दिन आराम करना चाहिए?

आमतौर पर, मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद एक या दो दिन आराम करने की सलाह दी जाती है। अधिकांश लोग कुछ दिनों के भीतर अपनी सामान्य गतिविधियों को फिर से शुरू करने में सक्षम हो जाते हैं।