फेफड़े के कैंसर के लक्षण कारण और उपचार
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फेफड़े के कैंसर के लक्षण कारण और उपचार

Summary

फेफड़ों के कैंसर के विकसित होने के पीछे के कई कारण है, जिसमें से जीन्स में बदलाव एक मुख्य कारण है। इस स्थिति में फेफड़ों में बनने वाले असामान्य कोशिकाएं ट्यूमर बना सकती हैं, जिससे फेफड़ों का कार्य बाधित हो सकती हैं। यदि यह अनुपचारित रह जाए, तो यह शरीर के अन्य भाग में भी फैल सकते हैं, जिसे मेटास्टेसाइजिंग कहा जाता है। 

फेफड़े का कैंसर या लंग कैंसर दुनिया भर में कैंसर से संबंधित मौतों का एक प्रमुख कारण है, जो पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित कर सकता है। यह कितनी विकराल समस्या है, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि IARC की 2020 की रिपोर्ट के अनुसार पूरे विश्व में होने वाली सभी मृत्यु में से 25% मामले फेफड़ों के कैंसर के हैं। यदि आप इसके विकास, कारण, लक्षण और इलाज के बारे में जान लेते हैं, तो इससे आप आसानी से बच सकते हैं। यदि आप या आपके परिवार के किसी सदस्य को भी ऐसे ही लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो कृपया सर्वश्रेष्ठ ऑन्कोलॉजिस्ट से परामर्श लें । 

फेफड़ों का कैंसर कैसे होता है?

फेफड़ों के कैंसर के विकसित होने के पीछे के कई कारण है, जिसमें से जीन्स में बदलाव एक मुख्य कारण है। इस स्थिति में फेफड़ों में बनने वाले असामान्य कोशिकाएं ट्यूमर बना सकती हैं, जिससे फेफड़ों का कार्य बाधित हो सकती हैं। यदि यह अनुपचारित रह जाए, तो यह शरीर के अन्य भाग में भी फैल सकते हैं, जिसे मेटास्टेसाइजिंग कहा जाता है। 

फेफड़ों के सटीक कारण को समझने के लिए हमें इसके प्रकार के बारे में जानना होगा जैसे कि - 

  • नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (NSCLC): फेफड़ों के कैंसर के लगभग सभी मामलों में से लगभग 85% मामले इस प्रकार के कैंसर के ही हैं। इसमें एडेनोकार्सिनोमा, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा और लार्ज सेल कार्सिनोमा जैसे उपप्रकार भी शामिल हैं।
  • स्मॉल सेल लंग कैंसर (SCLC): यह फेफड़ों के कैंसर का एक अधिक आक्रामक रूप, जो लगभग 15% मामलों में पाया जाता है। इस प्रकार के कैंसर में असामान्य कोशिकाएं बहुत ज्यादा तेजी से फैलती है और प्रभावित करती हैं। 

फेफड़ों के कैंसर के लक्षण 

लंग के कैंसर के शुरुआती चरण में अक्सर हल्के या कोई भी लक्षण नहीं दिखते, जिससे इस स्थिति की पहचान चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है। जैसे-जैसे बीमारी आगे बढ़ती है, व्यक्तियों को निम्न लक्षणों का अनुभव होता है - 

  • लगातार खांसी आना या अचानक से तेज खांसी आना, फेफड़ों की समस्या का संकेत दे सकता है। यदि खांसी के साथ खून आए, तो तुरंत डॉक्टर से बात करें। 
  • सीने में असुविधा या दर्द, विशेष रूप से खांसने या हंसने में समस्या होना एक चिंता का विषय है।
  • सांस की तकलीफ या घरघराहट होना।
  • आवाज़ में बदलाव या फिर बार-बार1 आवाज का बैठ जाना। 
  • बिना कारण वजन घटना या बिना प्रयास के वजन कम होना।
  • हड्डियों में दर्द, जैसे कि पीठ या कूल्हे, जो संभावित मेटास्टेसिस का संकेत देते हैं।
  • सिर में दर्द होना, जो मेटास्टेसिस का संकेत देता है।

यदि आप इन लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं, तो आपको निम्न लक्षणों का अनुभव हो सकता है - 

  • चेहरे या गर्दन पर सूजन जिसके पीछे का कारण रक्त वाहिकाओं पर ट्यूमर या दबाव हो सकता है।
  • आराम करने से भी लगातार थकान दूर न होना।

फेफड़ों का कैंसर के विकास के जोखिम कारक

फेफड़ों के कैंसर के विकास में कई जोखिम कारक योगदान देते हैं जैसे कि - 

  • धूम्रपान: फेफड़ों से जुड़ी मृत्यु के लगभग 80% मामलों में धूम्रपान एक मुख्य जोखिम कारक होता है। वहीं पैसिव स्मोकिंग भी उतनी ही हानिकारक है, जितनी की सामान्य धूम्रपान।
  • रेडॉन गैस के संपर्क में आना: यह एक रेडियोएक्टिव गैस है, जिससे कैंसर होने की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। जो लोग इस गैस के आस-पास होते हैं, वह भी इस रोग के जोखिम के दायरे में आते हैं। 
  • एस्बेस्टस और अन्य कार्सिनोजेन्स: एस्बेस्टस, आर्सेनिक और डीजल निकास जैसे पदार्थों के संपर्क में आने से भी फेफड़ों का कैंसर हो सकता है। 
  • फैमिली हिस्ट्री: इस रोग की फैमिली हिस्ट्री होना भी कैंसर का एक मुख्य जोखिम कारक है। जीन्स किसी भी कैंसर के समस्या में मुख्य भूमिका निभाते हैं। 

फेफड़ों के कैंसर का उपचार 

उपचार रोगी के प्रकार, चरण और समग्र स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। चलिए इस रोग के लिए इलाज के सभी विकल्पों पर बात करते हैं - 

  • सर्जरी: ट्यूमर और आसपास के अंग के ऊतकों को हटाने के लिए ही सर्जरी की जाती है। यदि उन प्रभावित ऊतकों को नहीं निकाला गया, तो इसके कारण बहुत सारी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
  • रेडियोथेरेपी: इसमें हाई बीम को कैंसर से प्रभावित क्षेत्र पर लक्षित किया जाता है, जिससे उस क्षेत्र के कैंसर मर जाते हैं। कुछ मामलों में अच्छे सेल्स भी खत्म हो जाते हैं, जिससे पेशेंट थोड़े कमजोर भी हो जाते हैं। 
  • कीमोथेरेपी: यह कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए मौखिक रूप से या आईवी के रूप से दी जाने वाली दवा है। अक्सर इसका उपयोग कैंसर की सर्जरी के बाद होता है। 
  • टारगेटेड थेरेपी: कैंसर कोशिकाओं में विशिष्ट जेनेटिक बदलाव के इलाज के लिए टारगेटेड थेरेपी या कुछ विशेष दवाओं का उपयोग किया जाता है। 
  • इम्यूनोथेरेपी: इस थेरेपी में कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और उन्हें काउंटर करने के लिए शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत किया जाता है।

इसके अतिरिक्त लक्षणों से राहत देने और सर्जरी के बाद जीवन की उच्च गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए जीवनशैली में बदलाव की आवश्यकता होती है। 

कैंसर एक गंभीर स्थिति है, जिसके इलाज के लिए हम भी आपको सलाह देंगे कि आप एक अनुभवी और श्रेष्ठ कैंसर के विशेषज्ञ से मिलें और इलाज लें। अधिक जानकारी के लिए आप हमसे भी संपर्क कर सकते हैं। 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

 

क्या फेफड़ों के कैंसर का इलाज संभव है?

प्रारंभिक चरण में फेफड़ों के कैंसर के ठीक होने की संभावना अधिक होती है। हालांकि, रोग के अगले चरणों का इलाज करना अधिक चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है।

फेफड़ों के कैंसर को ठीक होने में कितना समय लगता है?

रिकवरी का समय कैंसर के प्रकार, चरण, इलाज के विकल्प और पेशेंट के व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। कुछ पेशेंट जल्दी ठीक हो जाते हो, तो कुछ को कई वर्षों की प्रतीक्षा भी करनी पड़ सकती है।

क्या धूम्रपान छोड़ने के बाद भी फेफड़ों के कैंसर का खतरा रहता है?

हां, धूम्रपान करने वालों को फेफडों का कैंसर का जोखिम लगातार बना रहता है। इसलिए जितनी जल्दी हो सके इसे छोड़ दें। नियमित स्वास्थ्य जांच जारी रखना आवश्यक है।

फेफड़ों के कैंसर के लिए उपचार के विकल्प क्या हैं?

सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी, टारगेटेड थेरेपी, इम्यूनोथेरेपी और दवाएं लंग कैंसर के इलाज में मदद कर सकते हैं। 

Written and Verified by:

Dr. Umesh Khandelwal

Dr. Umesh Khandelwal

Additional Director Exp: 13 Yr

Medical Oncology

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