रक्त के थक्के: कैसे बनते हैं और इसका इलाज क्या है?
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रक्त के थक्के: कैसे बनते हैं और इसका इलाज क्या है?

Summary

मानव शरीर एक अद्भुत मशीन है, जिसमें स्वयं रिपेयर होने की क्षमता होती है। रक्त का थक्का जमना इस जटिल प्रणाली का एक महत्वपूर्ण भाग है। इसी प्रक्रिया की देन है कि हम चोट से होने वाले रक्त हानि से बच सकते हैं। लेकिन यह एक दो धारी तलवार है। रक्त का थक्का हमारा मित्र भी है और शत्रु भी। आइए, रक्त के थक्कों की गहराई में जाएं और समझें कि यह कैसे बनता है, इसका कारण क्या है और इससे क्या नुकसान हो सकता है?

मानव शरीर एक अद्भुत मशीन है, जिसमें स्वयं रिपेयर होने की क्षमता होती है। रक्त का थक्का जमना इस जटिल प्रणाली का एक महत्वपूर्ण भाग है। इसी प्रक्रिया की देन है कि हम चोट से होने वाले रक्त हानि से बच सकते हैं। लेकिन यह एक दो धारी तलवार है। रक्त का थक्का हमारा मित्र भी है और शत्रु भी। आइए, रक्त के थक्कों की गहराई में जाएं और समझें कि यह कैसे बनता है, इसका कारण क्या है और इससे क्या नुकसान हो सकता है?

रक्त के थक्के क्या है?

रक्त के थक्के को अंग्रेजी भाषा में ब्लड क्लॉट कहा जाता है। यह एक सेमी लिक्विड पदार्थ होता है, जो चोट के दौरान होने वाले रक्त हानि को रोकने में मदद करता है। यह एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें अलग-अलग रक्त की कोशिकाएं और प्रोटीन शामिल होती हैं।

चलिए इसे थोड़े आसान तरीके से समझते हैं। जब कोई रक्त वाहिका क्षतिग्रस्त हो जाती है, तो प्लेटलेट्स नामक चिपचिपी कोशिकाएं सक्रिय हो जाती हैं और क्षतिग्रस्त क्षेत्र पर जमा होने लगती है। यह प्लेटलेट्स एक साथ चिपककर एक "प्लग" का निर्माण करती हैं, जो रक्त हानि को रोकने के लिए रक्त प्रवाह को धीमा कर देती हैं। इसके बाद, रक्त में मौजूद प्रोटीन थक्के बनाने का निर्माण कार्य शुरू करते हैं। यह प्रोटीन आपस में मिलकर जाल बनाते हैं, जो प्लेटलेट्स को फंसा लेते हैं और इससे एक मजबूत थक्के का निर्माण होता है।

रक्त का थक्का बनने के कारण क्या है?

चलिए समझते हैं कि रक्त का थक्का किसके कारण बनता है। रक्त के थक्के बनने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे - 

  • रक्त वाहिका को नुकसान: किसी भी चोट, सर्जरी, या संक्रमण के कारण नसों को नुकसान पहुंच सकता है, जिसकी वजह से रक्त के थक्कों का निर्माण होता है। 
  • असामान्य रक्त प्रवाह: लंबे समय तक बैठे रहने या गतिहीन जीवनशैली के कारण रक्त प्रवाह धीमा हो सकता है, जिससे थक्के जमने का खतरा भी बढ़ जाता है।
  • रक्त के थक्के के विकार की फैमिली हिस्ट्री: कुछ लोगों को जीन्स में ही रक्त के थक्के का विकार होता है, जिसके कारण उनके जीवन में रक्त के थक्के बनने का खतरा अधिक होता है। 
  • अन्य चिकित्सा स्थिति: हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह और धूम्रपान जैसी स्थितियों में भी थक्के बनने के जोखिम होता है। इसलिए इलाज से पहले स्थिति का निदान बहुत ज्यादा आवश्यक होता है। 

रक्त का थक्का बनने का इलाज

इस स्थिति का इलाज थक्के के प्रकार, स्थान और गंभीरता पर निर्भर करता है। हालांकि ब्लड क्लॉट लाभकारी होता है लेकिन आंतरिक ब्लड क्लॉट का इलाज बहुत ज्यादा आवश्यक होता है। इसका इलाज कई चीजों पर निर्भर करता है जैसे - 

  • एंटीकोगुलेंट दवाएं: डॉक्टर इन दवाओं का सुझाव तब देते हैं, जब उन्हें ब्लड क्लॉट होने से रोकना होता है। यह दवाएं रक्त के थक्के बनने ही नहीं देते हैं। 
  • थ्रांबोलिटिक दवाएं: यह दवाएं मौजूदा रक्त के थक्के को तोड़ने में मदद करती हैं। इस प्रकार की दवाएं भी डॉक्टर अपने इलाज की योजना में जोड़ते हैं। 
  • फिल्टर: कुछ मामलों में रक्त के थक्के को निकालने और रक्त प्रवाह को फिर से बहाल करने के लिए फिल्टर नामक उपकरण का प्रयोग करते हैं। 
  • शल्य चिकित्सा: कुछ मामलों में रक्त के थक्के को हटाने के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है। हालांकि सर्जरी का सुझाव तब दिया जाता है, जब स्थिति दवाओं से ठीक नहीं हो सकती है। 

डॉक्टर के पास कब जाएं?

जैसे ही आपको आंतरिक रक्त के थक्के के कोई भी लक्षण दिखे, तुरंत एक अच्छे डॉक्टर के पास जाएं और ब्लड क्लॉटिंग का इलाज करवाएं। रक्त के थक्के के लिए डॉक्टर के पास नीचे बताई गई स्थिति के उत्पन्न होने के बाद जाएं - 

  • प्रभावित क्षेत्र में तेज दर्द का होना।
  • प्रभावित क्षेत्र में सूजन या लालिमा।
  • प्रभावित क्षेत्र गर्म का गर्म होना

रक्त के थक्के गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं, इसलिए यदि आपको कोई लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत इंटरनल मेडिसिन डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और इलाज की योजना पर बात करनी चाहिए।

रक्त के थक्के के नुकसान

सामान्य रूप से हमारे शरीर में जब खून के थक्कों की जरूरत खत्म हो जाती है, तो वह सुरक्षित रूप से घुल जाते हैं या टूट जाते हैं। हालांकि, कभी-कभी यह थक्के रक्त वाहिकाओं या नसों को अवरुद्ध कर देते हैं या उनके माध्यम से शरीर के किसी अन्य भाग तक पहुंच जाते हैं, जिसे चिकित्सा भाषा में एम्बोली (emboli) कहा जाता है।

इस स्थिति में, रक्त के थक्के गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं, जिनके लिए तत्काल देखभाल की आवश्यकता हो सकती है। रक्त के थक्के जब अलग-अलग स्थान पर होते हैं तो वह रक्त के थक्के के प्रकार के रूप में कार्य करते हैं। 

  • धमनी एम्बोलिज्म या आर्टरी एंबोलिज्म (Arterial embolism): यह एक प्रकार का रक्त का थक्का होता है, जो धमनी के माध्यम से यात्रा करते हुए किसी दूसरे अंग या शरीर के अन्य भाग में रक्त आपूर्ति को बाधित कर देता है।
  • डीप वेन थंब्रोसिस {Deep vein thrombosis (DVT)}: यह पैरों में और कभी-कभी बाहों की नसों में बनने वाला थक्का होता है। अधिकतर मामलों में यह समस्या पैरों में ही देखने को मिलती है। 
  • दिल का दौरा: यदि हृदय के पास कोई रक्त का थक्का बन गया है, तो इसके कारण भविष्य में रक्त आपूर्ति में समस्या उत्पन्न हो सकती है और व्यक्ति को दिल का दौरा जैसे गंभीर स्वास्थ्य समस्या का सामना करना पड़ सकता है। 
  • पल्मोनरी एंबोलिज्म {Pulmonary embolism (PE)}: इसमें थक्का नस से हृदय की ओर और फिर फेफड़ों की ओर यात्रा करता है, जिससे उन अंगों तक रक्त आपूर्ति रुक जाती है और रोगी को श्वास संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
  • स्ट्रोक (Stroke): यह मस्तिष्क को रक्त आपूर्ति करने वाली धमनी में रक्त के थक्के के कारण रक्त प्रवाह रुकने से होता है।
  • थ्रोम्बोफ्लिबिटिस (Thrombophlebitis): यह नस में रक्त के थक्के के कारण होने वाली सूजन है। आप इसे रक्त के थक्के का प्रकार भी कह सकते हैं।

कुछ विशेष परिस्थितियां, दवाएं और आदतें इन जटिलताओं की संभावना को बढ़ा सकती हैं। जरूरत न होने पर भी खून के थक्के बन सकते हैं। कुछ मामलों में यह सामान्य रूप से शरीर में घुल नहीं पाते हैं, जिससे व्यक्ति के लिए परेशानी बढ़ जाती है। यह अवांछित थक्के नसों, धमनियों या दोनों में बन सकते हैं।

रक्त के थक्के से संबंधित अधिकतर पूछे जाने वाला प्रश्न

 

रक्त का थक्का किसकी कमी से होता है?

विटामिन के शरीर में रक्त के थक्के को बनाने में मदद करता है। यदि शरीर में विटामिन के की सही मात्रा नहीं होती है, तो रक्त के थक्कों का निर्माण नहीं हो पाएगा, जिससे भविष्य में समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। 

किस प्रोटीन से रक्त का थक्का बनता है?

रक्त का थक्का कई प्रोटीनों से बनता है जैसे - 

  • फाइब्रिनोजेन: यह एक घुलनशील प्रोटीन है, जो थक्के बनने के दौरान फाइब्रिन नामक एक अघुलनशील प्रोटीन में बदल जाता है।
  • थ्रोम्बिन: यह एक एंजाइम है, जो फाइब्रिनोजेन को फाइब्रिन में बदलता है।
  • प्लेटलेट्स: यह छोटे रक्त कोशिकाएं हैं, जो थक्के बनने के लिए एक साथ चिपक जाती हैं।

Written and Verified by:

Dr. Sushil Kalra

Dr. Sushil Kalra

Director Exp: 34 Yr

Internal Medicine

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An MD in Internal Medicine from RNT Medical College, Udaipur, Dr. Kalra has a rich experience spanning over 30 years. He has worked with Tongia Heart and General Hospital Jaipur for nearly twenty years as Head of ICU and intensivist. Later he worked with Jaipur Heart Institute as HOD-CCU and intensivist and thereafter with Fortis Escorts Hospital Director – Internal Medicine.

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