स्पाइनल कॉर्ड इंजरी (Spinal Cord Injury) वह स्थिति है, जिसमें रीढ़ की हड्डी में किसी न किसी प्रकार की चोट होती है। सबसे पहले आपको यह समझना होगा कि स्पाइनल कॉर्ड शरीर का सपोर्ट सिस्टम है, जिससे शरीर की कई नसें जुड़ी होती हैं। रीढ़ की हड्डी का संबंध हमारे नर्वस सिस्टम से होता है, जो सीधे हमारे दिमाग से जुड़ा होता है। यही कारण है कि रीढ़ की हड्डी में चोट का संबंध सीधा दिमाग से भी होता है। चलिए इसके लक्षण, कारण, प्रकार और इसके इलाज के बारे में बात करते हैं। यदि आप किसी गंभीर मुद्दे या समस्या का सामना कर रहे हैं तो कृपया जयपुर में सर्वश्रेष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट से मिलें।
रीढ़ की हड्डी हमारी शरीर की सबसे बड़ी हड्डी होती है जो नितंब से लेकर पीठ के रास्ते ऊपर सिर से जुड़ी होती है। अभी हमने ऊपर जाना कि रीढ़ की हड्डी में चोट, रीढ़ की हड्डी को होने वाला नुकसान है। इसके कारण एक व्यक्ति का दैनिक जीवन गंभीर रूप से प्रभावित होता है। रीढ़ हड्डी में नसों का एक बंडल होता है, जो उन्हें सुरक्षा प्रदान करता है।
रीढ़ की हड्डी का कार्य मस्तिष्क से शरीर के हर भाग और सभी भाग से मस्तिष्क तक संदेश भेजना है। यदि किसी भी कारणवश यह हड्डी क्षतिग्रस्त हो जाए, तो संदेश को भेजने में भी रुकावट आती है, जिसे चिकित्सा भाषा में नर्व डैमेज (Nerve Damage) कहते हैं। यदि गर्दन के पास चोट लगती है, तो इसके कारण शरीर के सबसे ज्यादा अंग प्रभावित होते हैं। यह एक गंभीर समस्या है और इसका इलाज बहुत ज्यादा जरूरी है, क्योंकि भारत में लगभग 1.5 से 2.5 लाख लोग रीढ़ की हड्डी की चोट से पीड़ित हैं। वहीं हर वर्ष लगभग 20,000 से 50,000 नए मामले सामने आते हैं।
रीढ़ की हड्डी की चोट का पता निम्न लक्षणों से लग सकता है -
यह सारे लक्षण दिखने पर हम आपको सलाह देंगे कि आप हमसे संपर्क करें और रीढ़ की हड्डी का इलाज लें।
अधिकतर मामलों में रीढ़ की हड्डी में चोट किसी बाहरी चोट या एक्सीडेंट के कारण लगती है। चोट के कई कारण हो सकते हैं जैसे कार एक्सीडेंट, गिरना, गोली लगना, स्पोर्ट्स इंजरी, इत्यादि। मुख्य रूप से रीढ़ की हड्डी में चोट को दो प्रकारों में बांटा गया है: पूर्ण और अपूर्ण चोट।
अच्छी खबर यह है कि चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में लगातार प्रगति हो रही है, जिसके कारण कई समस्याओं का इलाज अब संभव है, जो किसी जमाने में लाइलाज बीमारी थी। हालांकि रीढ़ की हड्डी में लगी चोट को पूरी तरह ठीक तो नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसके इलाज पर अभी भी कई रिसर्च हो रही है। वर्तमान में इलाज के तौर पर भविष्य में होने वाले चोट से बचाना और मरीज को सक्रिय जीवन शैली का सुझाव दिया जाता है।
यदि किसी चोट के कारण यह स्थिति उत्पन्न होती है, तो तत्काल अस्पताल जाएं और इलाज लें। अस्पताल में भी सांस की गति का ध्यान दिया जाता है और रीढ़ की हड्डी को भविष्य में होने वाले चोट से रोकने के लिए इलाज किया जाता है। इसके अतिरिक्त त्वरित इलाज की मदद से संभावित जटिलताओं को भी रोका जा सकता है।
रीढ़ की हड्डी में चोट में मरीजों को कई प्रक्रियाओं के सहयोग की आवश्यकता होती है जैसे - फिजियोथेरेपी, बिहेवियरल स्किल ट्रेनिंग। इन दोनों की मदद से रोगी फिर से अपने दैनिक जीवन में वापसी कर सकता है। इसके साथ-साथ कुछ दवाएं होती हैं, जिनकी मदद से दर्द, मांसपेशियों की जकड़न और मूत्र नियंत्रण जैसी समस्याओं का इलाज हो पाता है।
दवाओं और फिजियोथेरेपी का प्रयोग रीढ़ की हड्डी के फ्रैक्चर में भी होता है। इसके अतिरिक्त कई अन्य तकनीक भी हैं, जिनकी मदद से रीढ़ की हड्डी की चोट का इलाज आसानी से हो सकता है। इसके लिए आपको हमसे एक परामर्श लेना होगा।
रीढ़ की हड्डी में चोट एक गंभीर स्थिति है, जिसके कारण जीवन भी प्रभावित होता है। इसके कारण स्थायी क्षति तो होती ही है, जिसका परिणाम भी गंभीर होता है। हालांकि आधुनिक उपचार, जैसे फिजियोथेरेपी, दवाएं, इत्यादि इस स्थिति में लाभकारी साबित हो सकते हैं और रोगी को फिर से पुरानी गतिशीलता प्राप्त करा सकते हैं।
विश्व के किसी भी देश में रीढ़ की हड्डी में चोट का खर्च थोड़ा महंगा ही है। इस स्थिति के इलाज का खर्च कई कारकों पर निर्भर करता है जैसे -
यदि इन सभी कारकों के खर्च को जोड़ा जाए तो रीढ़ की हड्डी के गंभीर मामले के इलाज का खर्च ₹ 1,50,000 से शुरू होता है।
भारत में रीढ़ की हड्डी की चोट लगभग 2.5 लाख लोगों को प्रभावित कर चुकी है, हर साल लगभग 20,000 से 50,000 नए मामले सामने आते हैं, जो कि स्वयं एक बहुत विशाल नंबर है।
रीढ़ की हड्डी की चोट से उबरने में महीने या साल भी लग सकते हैं। इसका उत्तर स्पाइनल कॉर्ड इंजरी के प्रकार भी निर्भर करता है।
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