जब घर में नन्हा मेहमान आता है, तो उसकी हर आहट और मुस्कान मां-बाप के लिए दुनिया की सबसे कीमती चीज बन जाती है। छोटे बच्चों की त्वचा बहुत मुलायम होती है, लेकिन वह उतनी ही संवेदनशील भी होती है। यदि नवजात बच्चों की त्वचा पर दाने, लालिमा या रैशेज दिखाई दे, तो मां-बाप के लिए यह निश्चित रूप से एक चिंता का विषय बन जाता है। कई पेरेंट्स के मन में यह सवाल आता है कि “नवजात शिशु की त्वचा पर यह दाने क्यों हैं?”, “क्या ये सामान्य है या चिंता की बात है?” और “इसका इलाज कैसे होता है?”
दरअसल, नवजात शिशु की त्वचा बेहद कोमल और संवेदनशील होती है, जो धीरे-धीरे नई दुनिया के माहौल के साथ खुद को ढालती है। यदि आपको सही जानकारी होगी और सही समय पर आप सही इलाज प्रदान करने में सफल हो पाएंगे, तो आपका बच्चा स्किन प्रॉब्लम्स को आसानी से मात दे पाएगा। चलिए हम आपको नवजात बच्चों में त्वचा की सामान्य समस्याएं, इसके कारण, लक्षण और उनसे निपटने के समाधान के बारे में बताते हैं। लेकिन एक बात का ध्यान आपको रखना है कि त्वचा संबंधित समस्याओं के इलाज में एक अनुभवी डर्मेटोलॉजिस्ट ही आपकी मदद कर सकते हैं।
नवजात शिशुओं में त्वचा की समस्याएं कितनी आम है?
नवजात शिशु की त्वचा की समस्याएं बहुत सामान्य है। आप लगभग हर दूसरे-तीसरे बच्चे में त्वचा की समस्या देख सकते हैं। जन्म के बाद 2–3 हफ्तों के भीतर 65–70% बच्चों में किसी न किसी प्रकार की स्किन प्रॉब्लम सामने आती है, जैसे कि दाने, लालिमा, सूखापन या हल्का पीलापन।
इनमें से अधिकांश समस्याएं जन्म के शुरुआती महीनों में खुद-ब-खुद ठीक भी हो जाती है। यही कारण है कि कुछ मामलों में डॉक्टर पैरेंट्स को घबराने को मना करते हैं, क्योंकि यह एक सामान्य स्थिति होती है, जो अपने आप ठीक भी हो जाती है। लेकिन कुछ मामलों में डॉक्टरों से राय लेना जरूरी हो सकता है।
बच्चों में आम त्वचा समस्याएं और उनके लक्षण
बच्चों में कुछ त्वचा की समस्याएं बहुत आम है, जिसके लक्षण भी बहुत आसानी से दिख जाते हैं जैसे कि -
- नवजात शिशु की त्वचा पर दाने (Baby Acne): अक्सर 2-3 साल के बच्चों में यह समस्या देखने को मिलती है। छोटे-छोटे लाल या सफेद दाने चेहरे, माथे, गाल और ठोड़ी पर देखने को मिलते हैं। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, यह धीरे-धीरे ठीक हो जाते हैं।
- क्रैडल कैप (Cradle Cap): सिर की त्वचा पर दूधिया सफेद या पीली पपड़ी क्रैडल कैप कहलाती है। कुछ मामलों में कभी-कभी भौंहों और कान के पास भी इस प्रकार की त्वचा की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। ज्यादातर मामले हल्के होते हैं और अपने आप ठीक भी हो जाते हैं, इसलिए इसमें इलाज की आवश्यकता नहीं होती है।
- एक्जिमा (Eczema): खुजली, सूखापन, और लाल-हल्का फूला हुआ रैश एक्जिमा कहलाता है। यह स्कैल्प, चेहरे, घुटनों या कोहनी पर होता है, जो अक्सर ड्राई स्किन वाले बच्चों में होता है। यह एक एलर्जिक समस्या है, इसलिए यदि यह ज्यादा दिखे तो आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए।
- न्यूबॉर्न रैशेज (Erythema Toxicum): लगभग 50% नवजात बच्चों में यह समस्या होती है, इसलिए यह सबसे सामान्य त्वचा संबंधित समस्या है। यह शुरुआती कुछ दिनों में लाल, उभरे हुए दाने होते हैं, जो शरीर, चेहरे, हाथ-पैरों पर उत्पन्न होते हैं। बहुत सारे मामलों में यह खुद-ब-खुद ठीक भी हो जाते हैं।
- हीट रैश (Prickly Heat): यह एक ऐसी समस्या है, जो गर्मी और पसीने के कारण उत्पन्न होती है। यह अक्सर गर्दन, बगल, डायपर एरिया में देखने को मिलती है। छोटे, लाल दाने जो बच्चे को असहज कर सकते हैं, लेकिन यह मौसमी समस्या है।
- जॉन्डिस (Jaundice): आंखों, स्किन, और होंठों में हल्का पीलापन जॉन्डिस या पीलिया होता है। लगभग 60% नवजातों में; आमतौर पर 1-2 हफ्ते में ठीक भी हो जाता है। लेकिन यदि यह समय पर ठीक नहीं होता है, तो इसके लिए इलाज की आवश्यकता पड़ती है।
- कॉन्जेनिटल डर्मल मेलेनोसाइटोसिस (Mongolian Spots): यह नीला-भूरा धब्बा होता है, जो आमतौर पर बच्चों के पीठ या नितंब पर देखने को मिलता है। इसमें किसी भी प्रकार का दर्द नहीं होता है और समय के साथ यह दाग हल्के हो जाते हैं।
- मिलिया: छोटे-छोटे सफेद बिंदु हैं, जो अक्सर ललाट, नाक और गालों पर देखने को मिलते हैं। यह सारी त्वाचा समस्याएं बिल्कुल हानिरहित होती हैं और अपने आप ठीक भी हो जाते हैं।
- नवजात शिशु में त्वचा का सूखापन: गर्भ में नौ महीनों तक फ्लूइड में रहने के कारण, शुरू में त्वचा छिल सकती है या रूखी लगती है। इसमें इलाज की भी आवश्यकता नहीं होती है। यह आम तौर पर बिना इलाज के ठीक हो जाते हैं।
नवजात शिशु की त्वचा समस्याओं के संभावित कारण
नवजात शिशु में त्वचा समस्याएं कई कारणों से हो सकती हैं। चलिए सभी संभावित कारणों के बारे में जानते हैं -
- हार्मोनल बदलाव: मां के हार्मोन का असर नवजात शिशु पर पड़ता है। इससे बच्चों में एक्ने या रैश हो सकते हैं।
- बाहरी वातावरण: जब बच्चे मां के कोख में होते हैं, तो वह तरल पदार्थ में होते हैं, लेकिन जैसे ही वह बाहर आते हैं, नई जलवायु, तापमान या संक्रमण के संपर्क में आने से उनकी त्वचा में समस्या हो जाती है।
- एलर्जी/संवेदनशीलता: डायपर, कपड़े, साबुन, लोशन या डिटर्जेंट जैसी चीजें बच्चों में एलर्जी के लक्षण या रैश दे सकते हैं या इन्हें ट्रिगर कर सकते हैं। इसलिए जन्म के कुछ समय के बाद तक बच्चों को इनसे दूर ही रखा जाता है।
- सूखा वातावरण: अधिक ठंडी या रूखी हवा से उन्हें एलर्जी हो सकती है और त्वचा में भी रूखापन आ सकता है।
- पसीना और गर्मी: खासकर बंद या अधिक गर्म जगहों पर ऐसा होना बहुत सामान्य होता है।
घरेलू देखभाल और उपाय
कुछ घरेलू उपायों की मदद से बच्चों की त्वचा में सुधार हो सकता है जैसे कि -
- बच्चों को नरम, सूती कपड़े पहनाएं: इससे बच्चों की त्वचा में रगड़ नहीं लगेगी। टाइट, लेस, और नायलॉन के कपड़ों से अक्सर बच्चों की त्वचा बहुत ज्यादा लाल हो सकती है, इसलिए इससे बचा कर रखें।
- दिन में दो बार गुनगुने पानी से स्नान: बच्चों को नहलाते समय प्रयास करें कि सुगंध-रहित, माइल्ड बेबी सोप ही प्रयोग करें।
- त्वचा को बार-बार न रगड़ें: पोंछते समय हल्के हाथों से दबाएं और त्वचा को साफ करने के लिए हल्के कपड़े का प्रयोग करें।
- मॉइस्चराइजर लगाएं: डॉक्टर द्वारा सुझाए गए, बिना खुशबू वाला बेबी मॉइस्चराइजर का उपयोग करें।
- कोकोनट ऑयल: खुजली या सूखापन होने पर हल्के गर्म नारियल तेल की मालिश फायदेमंद है। लेकिन एलर्जी की संभावना को ध्यान में रखें।
- डायपर एरिया की साफ-सफाई: हर बार डायपर बदलते समय हल्के पानी से धोएं, फिर सूखा और डायपर रैश क्रीम लगाएं। साफ करने के लिए आप वेट टिश्यू का भी उपयोग कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त नरम टिशू भी होते हैं, जिनका उपयोग यहां किया जा सकता है।
- गर्मी में तापमान पर ध्यान दें: गर्मी के मौसम में शिशु को जरूरत से ज्यादा कपड़े न पहनाएं। इससे उनके शरीर का तापमान भी बढ़ जाता है, जिससे त्वचा की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
- स्नान या साफ-सफाई के तुरंत बाद मॉइस्चराइजर लगाएं।
खतरे के संकेत: कब मेडिकल हेल्प जरूरी है?
यदि आपको निम्न संकेत दिखते हैं, तो आपको तुरंत मेडिकल हेल्प की आवश्यकता पड़ सकती है -
- यदि दाने छाले, पस या चोट का रूप ले लें।
- बच्चा लगातार रोए, तेज बुखार हो या फिर दूध पीने में दिक्कत हो।
- रैश चौड़े इलाके में तेजी से फैल रहा हो।
- बार-बार उल्टी या लूज मोशन होना।
- त्वचा या आंखों में तेजी से पीलापन आ रहा हो।
- बच्चा सुस्त, कमजोर या ज्यादा नींद वाला लगे।
इन हालातों में तुरंत डॉक्टर से मिलें और प्रयास करें कि उनके ही सलाह का पालन करें।
निष्कर्ष
नवजात शिशु की त्वचा बहुत संवेदनशील होती है, लेकिन अधिकतर समस्याएं सामान्य और अस्थायी होती हैं। सही समझ, देखभाल और समय पर डॉक्टर की सलाह से बच्चों की स्किन प्रॉब्लम और नवजात शिशु की त्वचा समस्याएं आसानी से ठीक की जा सकती हैं। बच्चे की स्माइल और सेहत आपकी प्राथमिकता बने और यह जिम्मेदारी समझदारी और प्यार दोनों मांगती है।
अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न
नवजात की स्किन पर खुजली क्यों होती है?
नवजात में खुजली आमतौर पर शुष्कता, एलर्जी या गर्मी के कारण होती है। अधिकतर यह एलर्जी मामूली होती है और घर पर ठीक हो जाती है। लगातार, लाल या छालेदार खुजली वाली त्वचा दिखे तो डॉक्टर को दिखाएं।
क्या नवजात के चेहरे पर दाने नार्मल हैं?
हां, अधिकतर छोटे दाने जैसे बेबी एक्ने या मिलिया आम है और अपने-आप ठीक हो जाते हैं। किसी दवा या क्रीम का प्रयोग डॉक्टर की सलाह के बिना न करें, क्योंकि यह स्थिति को गंभीर कर सकता है।
क्या हर स्किन प्रॉब्लम एलर्जी होती है?
नहीं, नवजात शिशु की स्किन प्रॉब्लम का कारण एलर्जी भी हो सकता है, लेकिन ज्यादातर फिजियोलॉजिकल (शारीरिक बदलाव), हार्मोन या बाहरी तत्व हो सकते हैं।
नवजात की स्किन पर कोकोनट ऑयल कब और कैसे लगाएं?
हल्की खुजली, सूखापन या रूटीन मालिश के लिए हल्का गर्म प्राकृतिक नारियल तेल से हल्के हाथ से मालिश करें। यदि पहली बार है, तो एक छोटे हिस्से पर लगाकर देखें, कोई रिएक्शन न हो तभी पूरे शरीर पर लगाएं।
नवजात की त्वचा के लिए कौन सा मॉइस्चराइजर सबसे अच्छा है?
सुगंध रहित, हाइपोएलर्जेनिक और डर्मेटोलॉजिकली टेस्टेड बेबी मॉइस्चराइजर सबसे अच्छा होता है। किसी भी नए प्रोडक्ट को लगाने से पहले बाल रोग विशेषज्ञ या डॉक्टर की सलाह लें।