नवजात शिशु में पीलिया: लक्षण, कारण और इलाज के प्रभावी तरीके
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नवजात शिशु में पीलिया: लक्षण, कारण और इलाज के प्रभावी तरीके

Summary

नवजात शिशु में पीलिया एक आम स्वास्थ्य समस्या है, जिसमें त्वचा और आंखों के सफेद भाग में पीलापन दिखाई देता है। मेडिकल भाषा में इस स्थिति को ऐसे प्रदर्शित किया जाता है कि रक्त में बिलीरुबिन के उच्च स्तर के कारण नवजात शिशु में पीलिया की समस्या होती है। आमतौर पर यह स्थिति प्राकृतिक और अस्थायी होती है, लेकिन आपको यह समझना होगा कि कुछ मामलों में, पीलिया आपको लंबे समय तक परेशान कर सकती है।

नवजात शिशु में पीलिया एक आम स्वास्थ्य समस्या है, जिसमें त्वचा और आंखों के सफेद भाग में पीलापन दिखाई देता है। मेडिकल भाषा में इस स्थिति को ऐसे प्रदर्शित किया जाता है कि रक्त में बिलीरुबिन के उच्च स्तर के कारण नवजात शिशु में पीलिया की समस्या होती है। आमतौर पर यह स्थिति प्राकृतिक और अस्थायी होती है, लेकिन आपको यह समझना होगा कि कुछ मामलों में, पीलिया आपको लंबे समय तक परेशान कर सकती है। इलाज के लिए आपको पीलिया के विशेषज्ञ से मिलने की सलाह दी जाती है। 

नवजात शिशुओं को पीलिया क्यों होता है?

नवजात शिशुओं में पीलिया कई कारणों से हो सकता है, जैसे कि - 

  • शारीरिक पीलिया: यह पीलिया का सबसे आम प्रकार है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि नवजात बच्चों का लिवर सही से मैच्योर नहीं होता है और वह बिलीरुबिन को सही तरीके से प्रोसेस नहीं कर पाता है। इस प्रकार के मामलों में जन्म के बाद कुछ ही दिनों में यह नियंत्रित हो जाता है और दो सप्ताह के भीतर ही शिशु पूर्ण रूप से रिकवर भी हो जाता है।
  • स्तनपान पीलिया: जब बच्चे को स्तनपान के दौरान दूध ज्यादा नहीं मिलता है, तो बच्चे डिहाइड्रेशन का शिकार हो जाते हैं, जिससे पीलिया की समस्या होती है। वहीं कुछ मामलों में स्तन के दूध में ही मौजूद पदार्थ बिलीरुबिन के टूटने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है, जिसके कारण पीलिया की समस्या होती है। इस प्रकार की समस्या पहले सप्ताह में ही ठीक हो सकती है। 
  • आरएच रोग: नवजात शिशु के हेमोलिटिक रोग (आरएच रोग), बहुत अधिक लाल रक्त कोशिकाओं या रक्तस्राव के कारण लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने से होने वाला पीलिया है।

इसके अतिरिक्त कुछ अन्य कारण भी हैं जैसे कि - 

नवजात शिशुओं में पीलिया के लक्षण

पीलिया की स्थिति में सबसे पहले त्वचा के रंग में बदलाव देखने को मिलता है। आंख और त्वचा के रंग में बदलाव इस स्थिति का प्राथमिक लक्षण है। लक्षणों की शुरुआत छाती, पेट और अन्य अंगों तक फैल सकता है। इसके अतिरिक्त कुछ और लक्षण भी हैं, जो नवजात शिशुओं में पीलिया का संकेत देते हैं - 

  • अत्यधिक नींद आना: यदि बच्चों को सामान्य से अधिक नींद आती है, तो इसके कारण नवजात शिशु में पीलिया की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
  • खराब भोजन: यदि किसी भी कारण बच्चे स्तनपान नहीं कर पाते हैं या रुचि नहीं दिखाते हैं, तो यह दर्शाता है कि नवजात शिशुओं में पीलिया की समस्या है। 
  • मूत्र और मल का कम उत्पादन: यदि बच्चे सामान्य से कम मूत्र और मल त्याग करते हैं, तो यह संकेत देता है कि बिलीरुबिन का स्तर हाई हो सकता है या फिर बच्चा डिहाइड्रेशन का सामना कर सकते हैं। 

नवजात शिशुओं में पीलिया का निदान कैसे किया जाता है?

आमतौर पर सिर्फ शारीरिक परीक्षण से ही नवजात शिशुओं में पीलिया का निदान हो सकता है। डॉक्टर त्वचा और आंखों में पीलिया के लक्षण देखते हैं। निदान की पुष्टि के लिए ब्लड टेस्ट की आवश्यकता होती है, जिसमें बिलीरुबिन के स्तर की जांच होती है। इस टेस्ट में डॉक्टर आपकी बांह की नस से ब्लड सैंपल लेते हैं। इस सैंपल को लैब में टेस्ट किया जाता है और इसके नॉर्मल रेंज से इसकी जांच होती है। वयस्कों के लिए सामान्य टोटल बिलीरुबिन लेवल 1.2 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (mg/dL) से कम होता है। वहीं 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए, सामान्य स्तर आमतौर पर 1 mg/dL से कम होता है। सटीक जांच के लिए तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें।

इस नवजात शिशु पीलिया स्तर चार्ट से आप समझ सकते हैं कि नवजात शिशु में पीलिया का स्तर कितना होना चाहिए - 

उम्र (घंटे)

टोटल बिलीरुबिन स्तर (mg/dL)

व्याख्या

क्या करें

< 24

> 5

चिंताजनक, तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता है

स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से तुरंत संपर्क करें।

24 - 48

8 - 12

हल्का से मध्यम पीलिया

निगरानी रखें, स्वास्थ्य सेवा प्रदाता की सिफारिशों का पालन करें।

49 - 72

13 - 15

मध्यम से उच्च पीलिया

फोटोथेरेपी जैसे उपचार की आवश्यकता हो सकती है, स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श करें।

> 72

> 15

उच्च पीलिया, जटिलताओं की उच्च संभावना

तत्काल चिकित्सा ध्यान और उपचार की आवश्यकता है।

वहीं कुछ मामलों में बिलीरुबिन के स्तर की जांच के लिए रक्त को नहीं निकाला जाता है। ऐसा तभी होता है जब ट्रांस क्यूटेनियस बिलीरुबिन मीटर का उपयोग किया जाता है। पीलिया के गंभीर मामलों में लिवर फंक्शन टेस्ट का भी सुझाव दिया जाता है।

नवजात शिशुओं में पीलिया का इलाज

नवजात शिशुओं में पीलिया के इलाज के लिए कई कारकों पर ध्यान देने की आवश्यकता है, जैसे कि बच्चे की उम्र, बिलीरुबिन का स्तर, पीलिया के कारण होने वाली अन्य स्वास्थ्य समस्याएं, इत्यादि। पीलिया के इलाज में निम्न विकल्पों का सुझाव अक्सर दिया जाता है - 

  • फोटोथेरेपी (लाइट थेरेपी): नवजात शिशुओं में पीलिया के सभी उपचार की सूची में यह इलाज सबसे प्रमुख है। इसमें शिशु को एक स्पेशल नीली रोशनी के नीचे रखा जाता है, जिसका कार्य त्वचा में मौजूद बिलीरुबिन को तोड़ना है। यदि उपकरण मौजूद है, तो डॉक्टर तुरंत इस थेरेपी का सुझाव दे सकते हैं। इसे आप अपने घर पर भी कर सकते हैं। 
  • बार-बार स्तनपान: बार-बार स्तनपान कराने से बच्चे को पर्याप्त भोजन मिलेगा, और उसका मल-मूत्र का त्याग की प्रक्रिया सामान्य हो जाएगी। यह शिशु के शरीर को कई रोगों से बचाता है। 
  • एक्सचेंज ट्रांसफ्यूजन: गंभीर मामलों में जहां बिलीरुबिन का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ा होता है, वहां पर ऊपर बताए गए इलाज के विकल्प कार्य नहीं करते हैं। ऐसे में एक्सचेंज ट्रांसफ्यूजन नामक प्रक्रिया कार्य करती है। इस प्रक्रिया में बच्चे के शरीर से रक्त को निकाला जाता है और दूसरे रक्त को डाला जाता है, जिससे बिलीरुबिन का स्तर कम होने लग जाता है। 

पीलिया के अधिकांश मामले सही इलाज और सही सुझाव की मदद से ठीक हो सकते हैं। 

निष्कर्ष

नवजात शिशुओं में पीलिया एक आम और ऐसी स्थिति है, जो जानलेवा नहीं होती है। हालांकि कुछ मामले ऐसे भी देखे गए हैं कि पीलिया का खतरनाक स्तर बच्चे की जान गंवाने का कारण बनता है। उचित देखभाल के साथ प्रभावी ढंग से इलाज इस स्थिति को ठीक कर सकता है। बच्चे की नियमित जांच, सही स्तनपान और लक्षणों की पहचान से बच्चों को पीलिया की समस्या से बचाया जा सकता है। यदि आपको अपने नवजात शिशु में पीलिया होने का संदेह है, तो हम सलाह देंगे कि तुरंत एक अनुभवी एवं विशेषज्ञ डॉक्टर से मिलें और इलाज के सभी विकल्पों पर विचार करें। 

अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

 

नवजात शिशु में पीलिया कितने पॉइंट होना चाहिए?

नवजात शिशुओं का सामान्य बिलीरुबिन का स्तर 1 से 12 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (mg/dL) या 17 से 204 माइक्रोमोल प्रति लीटर (µmol/L) तक होता है। आमतौर पर स्थिति तब खराब होती है जब बिलीरुबिन का स्तर 5 mg/dL (85 µ mol/L) से ऊपर चला जाता है।

क्या नवजात शिशुओं में पीलिया खतरनाक हो सकता है?

अधिकांश मामलों में, पीलिया खतरनाक नहीं होता है और बिना किसी लंबे समय के प्रभाव के यह ठीक हो जाता है। हालांकि, यदि बिलीरुबिन का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और यदि यह अनुपचारित रह जाए, तो यह मस्तिष्क क्षति (कर्निक्टेरस) का कारण बन सकता है। यह एक गंभीर और स्थायी स्थिति है। 

नवजात शिशु में पीलिया कितने समय तक रहता है?

आमतौर पर, पीलिया लगभग 1 से 2 सप्ताह तक रहता है। यदि पीलिया इससे अधिक समय तक रहता है, तो तुरंत एक अनुभवी डॉक्टर से मिलें और इलाज लें।

नवजात शिशु में पीलिया होने पर डॉक्टर से कब संपर्क करना चाहिए?

निम्न स्थितियों में आपको डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए - 

  • पहले कुछ दिनों में त्वचा या आंखों का पीला पड़ना।
  • बच्चों को अधिक नींद आना और उनका ठीक से भोजन न करना।
  • शिशु का सामान्य से कम मल त्याग करना।

आपको कोई अन्य चिंताजनक लक्षण दिखाई देते हैं या यदि शिशु अस्वस्थ लगता है, तो बिना देर किए डॉक्टर से मिलें और इलाज लें।

Written and Verified by:

Dr. Susmita Banerjee

Dr. Susmita Banerjee

Consultant - Pediatrics Exp: 34 Yr

Pediatrics

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