नवजात शिशु में पीलिया एक आम स्वास्थ्य समस्या है, जिसमें त्वचा और आंखों के सफेद भाग में पीलापन दिखाई देता है। मेडिकल भाषा में इस स्थिति को ऐसे प्रदर्शित किया जाता है कि रक्त में बिलीरुबिन के उच्च स्तर के कारण नवजात शिशु में पीलिया की समस्या होती है। आमतौर पर यह स्थिति प्राकृतिक और अस्थायी होती है, लेकिन आपको यह समझना होगा कि कुछ मामलों में, पीलिया आपको लंबे समय तक परेशान कर सकती है। इलाज के लिए आपको पीलिया के विशेषज्ञ से मिलने की सलाह दी जाती है।
नवजात शिशुओं में पीलिया कई कारणों से हो सकता है, जैसे कि -
इसके अतिरिक्त कुछ अन्य कारण भी हैं जैसे कि -
पीलिया की स्थिति में सबसे पहले त्वचा के रंग में बदलाव देखने को मिलता है। आंख और त्वचा के रंग में बदलाव इस स्थिति का प्राथमिक लक्षण है। लक्षणों की शुरुआत छाती, पेट और अन्य अंगों तक फैल सकता है। इसके अतिरिक्त कुछ और लक्षण भी हैं, जो नवजात शिशुओं में पीलिया का संकेत देते हैं -
आमतौर पर सिर्फ शारीरिक परीक्षण से ही नवजात शिशुओं में पीलिया का निदान हो सकता है। डॉक्टर त्वचा और आंखों में पीलिया के लक्षण देखते हैं। निदान की पुष्टि के लिए ब्लड टेस्ट की आवश्यकता होती है, जिसमें बिलीरुबिन के स्तर की जांच होती है। इस टेस्ट में डॉक्टर आपकी बांह की नस से ब्लड सैंपल लेते हैं। इस सैंपल को लैब में टेस्ट किया जाता है और इसके नॉर्मल रेंज से इसकी जांच होती है। वयस्कों के लिए सामान्य टोटल बिलीरुबिन लेवल 1.2 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (mg/dL) से कम होता है। वहीं 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए, सामान्य स्तर आमतौर पर 1 mg/dL से कम होता है। सटीक जांच के लिए तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें।
इस नवजात शिशु पीलिया स्तर चार्ट से आप समझ सकते हैं कि नवजात शिशु में पीलिया का स्तर कितना होना चाहिए -
उम्र (घंटे) |
टोटल बिलीरुबिन स्तर (mg/dL) |
व्याख्या |
क्या करें |
< 24 |
> 5 |
चिंताजनक, तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता है |
स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से तुरंत संपर्क करें। |
24 - 48 |
8 - 12 |
हल्का से मध्यम पीलिया |
निगरानी रखें, स्वास्थ्य सेवा प्रदाता की सिफारिशों का पालन करें। |
49 - 72 |
13 - 15 |
मध्यम से उच्च पीलिया |
फोटोथेरेपी जैसे उपचार की आवश्यकता हो सकती है, स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श करें। |
> 72 |
> 15 |
उच्च पीलिया, जटिलताओं की उच्च संभावना |
तत्काल चिकित्सा ध्यान और उपचार की आवश्यकता है। |
वहीं कुछ मामलों में बिलीरुबिन के स्तर की जांच के लिए रक्त को नहीं निकाला जाता है। ऐसा तभी होता है जब ट्रांस क्यूटेनियस बिलीरुबिन मीटर का उपयोग किया जाता है। पीलिया के गंभीर मामलों में लिवर फंक्शन टेस्ट का भी सुझाव दिया जाता है।
नवजात शिशुओं में पीलिया के इलाज के लिए कई कारकों पर ध्यान देने की आवश्यकता है, जैसे कि बच्चे की उम्र, बिलीरुबिन का स्तर, पीलिया के कारण होने वाली अन्य स्वास्थ्य समस्याएं, इत्यादि। पीलिया के इलाज में निम्न विकल्पों का सुझाव अक्सर दिया जाता है -
पीलिया के अधिकांश मामले सही इलाज और सही सुझाव की मदद से ठीक हो सकते हैं।
नवजात शिशुओं में पीलिया एक आम और ऐसी स्थिति है, जो जानलेवा नहीं होती है। हालांकि कुछ मामले ऐसे भी देखे गए हैं कि पीलिया का खतरनाक स्तर बच्चे की जान गंवाने का कारण बनता है। उचित देखभाल के साथ प्रभावी ढंग से इलाज इस स्थिति को ठीक कर सकता है। बच्चे की नियमित जांच, सही स्तनपान और लक्षणों की पहचान से बच्चों को पीलिया की समस्या से बचाया जा सकता है। यदि आपको अपने नवजात शिशु में पीलिया होने का संदेह है, तो हम सलाह देंगे कि तुरंत एक अनुभवी एवं विशेषज्ञ डॉक्टर से मिलें और इलाज के सभी विकल्पों पर विचार करें।
नवजात शिशुओं का सामान्य बिलीरुबिन का स्तर 1 से 12 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (mg/dL) या 17 से 204 माइक्रोमोल प्रति लीटर (µmol/L) तक होता है। आमतौर पर स्थिति तब खराब होती है जब बिलीरुबिन का स्तर 5 mg/dL (85 µ mol/L) से ऊपर चला जाता है।
अधिकांश मामलों में, पीलिया खतरनाक नहीं होता है और बिना किसी लंबे समय के प्रभाव के यह ठीक हो जाता है। हालांकि, यदि बिलीरुबिन का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और यदि यह अनुपचारित रह जाए, तो यह मस्तिष्क क्षति (कर्निक्टेरस) का कारण बन सकता है। यह एक गंभीर और स्थायी स्थिति है।
आमतौर पर, पीलिया लगभग 1 से 2 सप्ताह तक रहता है। यदि पीलिया इससे अधिक समय तक रहता है, तो तुरंत एक अनुभवी डॉक्टर से मिलें और इलाज लें।
निम्न स्थितियों में आपको डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए -
आपको कोई अन्य चिंताजनक लक्षण दिखाई देते हैं या यदि शिशु अस्वस्थ लगता है, तो बिना देर किए डॉक्टर से मिलें और इलाज लें।
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