खसरा एक अत्यंत संक्रामक वायरल बीमारी है, जो मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करती है। इसके लक्षणों में तेज बुखार, खांसी, नाक बहना, लाल आँखें, मुँह में सफेद दाने और पूरे शरीर पर लाल चकत्ते शामिल हैं। यह हवा और संपर्क के माध्यम से फैलते हैं। समय पर वैक्सीन और साफ-सफाई से बचाव संभव है।
ना जाने कितने ही वायरल और संक्रामक रोग है, जो हर व्यक्ति को परेशान करते हैं। सभी रोगों में से सबसे संक्रामक वायरल बीमारी है खसरा, जो मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करता है। यह बीमारी न केवल तेज बुखार, खांसी और नाक बहने जैसी अस्वस्थताओं के साथ आती है, बल्कि इसके कारण शरीर पर लाल चकत्ते भी दिखाई देते हैं, जो जीवन भर किसी को भी परेशान कर सकते हैं।
यदि सही समय पर पहचान और इलाज न हो, तो यह बीमारी गंभीर जटिलताओं जैसे कि निमोनिया, कान में संक्रमण, और मस्तिष्क में सूजन तक का कारण बन सकती है। भारत में हर वर्ष लाखों बच्चे इस बीमारी से प्रभावित होते हैं, इसलिए खसरे की सही जानकारी और बचाव बेहद आवश्यक है। यदि आपके बच्चे को खसरे के लक्षण महसूस हो या उसे तेज बुखार के साथ किसी भी प्रकार की सांस की समस्या हो, तो बिना देर किए एक अनुभवी बच्चों का चिकित्सक से मिलें और इलाज लें। समय रहते सहायता लेने पर ही आप अपने बच्चे को इस बीमारी से सुरक्षित रख सकते हैं।
सबसे पहले समझते हैं कि खसरा क्या है? यह एक वायरल संक्रमण है, जो मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करता है, परंतु वयस्कों को भी हो यह हो सकता है। खसरा सांस के माध्यम से फैलता है और शरीर में काफी तेजी से संक्रमण कर सकता है।
खसरे का वायरस शरीर में प्रवेश करते ही कई तरह के लक्षण पैदा कर देता है, जिनका ध्यान रखना जरूरी होता है। खसरा स्पर्श और हवा के जरिए फैलने वाला रोग है, जो संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खांसने से आसपास के लोगों में फैलता है। इसके कारण व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कमजोर होकर पूरी तरह से अस्वस्थ हो सकता है।
खसरा के होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। चलिए उन कुछ प्रमुख कारणों को समझते हैं, जिनसे खसरा जैसी संक्रामक समस्या आपको परेशान कर सकती है -
खसरा के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 7-14 दिनों बाद प्रकट होते हैं। सबसे पहले बच्चे को तेज बुखार, खांसी, नाक बहना, और लाल-गाढ़े आंखों में जलन जैसी समस्या होती है। इसके बाद मुंह के अंदर सफेद या नीले रंग के छोटे दाने (कोप्लिक स्पॉट्स) दिखाई देते हैं। फिर शरीर पर चेहरे से शुरू होकर धीरे-धीरे पूरे शरीर में लाल रंग के चकत्ते बन जाते हैं। इस स्थिति में कुछ सामान्य लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं जैसे कि -
खसरा वायरस बहुत ही जल्दी और आसानी से फैलने वाला रोग है। संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खांसने से यह वायरस हवा में फैल जाता है और आसपास के लोग सांस के माध्यम से इसे ग्रहण कर लेते हैं। खसरा वायरस ऐसे वातावरण में कई घंटे तक सक्रिय रह सकता है, इसलिए भीड़-भाड़ वाले स्थान सबसे अधिक जोखिम वाले होते हैं। संक्रमित व्यक्ति के सामानों जैसे कि कपड़ा, खिलौने आदि के साथ भी संक्रमण हो सकता है, इसलिए सावधानी बहुत जरूरी है। इसके अतिरिक्त, वायरस का संपर्क सीधे संक्रमित बच्चे या व्यक्ति से होना इसकी तीव्रता को बढ़ाता है।
खसरा रोग का निदान चिकित्सक द्वारा रोग के लक्षणों को देखकर और जरूरत पड़ने पर लैब में जांच के द्वारा किया जा सकता है। चलिए उन सभी जांच के बारे में जानते हैं, जिससे इस स्थिति का निदान आसानी से हो सकता है -
खसरे का कोई विशिष्ट एंटीवायरल इलाज नहीं है। उपचार ज्यादातर लक्षण आधारित होते हैं ताकि रोगी की हालत में सुधार हो और जटिलताओं से बचाव हो सके। चलिए उन सभी सरल एवं प्रभावी उपायों के बारे में जानते हैं -
समय पर वैक्सीनेशन खसरा से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है। भारत सरकार की राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत बच्चों को MMR वैक्सीन दी जाती है, जो मीजल्स, मम्प्स और रूबेला जैसे गंभीर वायरस से सुरक्षा प्रदान करती है।
खसरा एक बचाव योग्य और गंभीरता से निपटने वाली बीमारी है। सही समय पर पहचान, तत्काल इलाज और सबसे महत्वपूर्ण, नियमित वैक्सीनेशन से बच्चों एवं वयस्कों के जीवन को सुरक्षित रखा जा सकता है। अगर आपके बच्चों में खसरे के लक्षण दिखें, तो इस स्थिति को अनदेखा न करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। जागरूकता और सावधानी ही हमें इस जानलेवा बीमारी से बचा सकती है।
नहीं, खसरा और चिकनपॉक्स दोनों अलग-अलग वायरल संक्रमण हैं। खसरा तेज बुखार और लाल चकत्तों से होता है, जबकि चिकन पॉक्स में खुजली और छोटे फफोले होते हैं।
आमतौर पर तेज बुखार 4 से 7 दिनों तक रहता है, जिसके बाद चकत्ते शरीर पर फैलते हैं।
सामान्यत: खसरा एक बार हो जाने के बाद पुनः नहीं होता क्योंकि शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बन जाती है।
MMR वैक्सीन खसरा, मंप्स और रूबेला से बचाव करती है और यह बच्चे को दो डोज़ में दी जाती है।
बच्चों का प्रतिरक्षा तंत्र विकसित नहीं होता इसलिए वे अधिक सेंसिटिव होते हैं और खसरा उनमें जल्दी फैलता है।
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