खसरा क्या है? जानें इसके लक्षण, कारण और बचाव के उपाय
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खसरा क्या है? जानें इसके लक्षण, कारण और बचाव के उपाय

Summary

खसरा एक अत्यंत संक्रामक वायरल बीमारी है, जो मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करती है। इसके लक्षणों में तेज बुखार, खांसी, नाक बहना, लाल आँखें, मुँह में सफेद दाने और पूरे शरीर पर लाल चकत्ते शामिल हैं। यह हवा और संपर्क के माध्यम से फैलते हैं। समय पर वैक्सीन और साफ-सफाई से बचाव संभव है। 

ना जाने कितने ही वायरल और संक्रामक रोग है, जो हर व्यक्ति को परेशान करते हैं। सभी रोगों में से सबसे संक्रामक वायरल बीमारी है खसरा, जो मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करता है। यह बीमारी न केवल तेज बुखार, खांसी और नाक बहने जैसी अस्वस्थताओं के साथ आती है, बल्कि इसके कारण शरीर पर लाल चकत्ते भी दिखाई देते हैं, जो जीवन भर किसी को भी परेशान कर सकते हैं। 

यदि सही समय पर पहचान और इलाज न हो, तो यह बीमारी गंभीर जटिलताओं जैसे कि निमोनिया, कान में संक्रमण, और मस्तिष्क में सूजन तक का कारण बन सकती है। भारत में हर वर्ष लाखों बच्चे इस बीमारी से प्रभावित होते हैं, इसलिए खसरे की सही जानकारी और बचाव बेहद आवश्यक है। यदि आपके बच्चे को खसरे के लक्षण महसूस हो या उसे तेज बुखार के साथ किसी भी प्रकार की सांस की समस्या हो, तो बिना देर किए एक अनुभवी बच्चों का चिकित्सक से मिलें और इलाज लें। समय रहते सहायता लेने पर ही आप अपने बच्चे को इस बीमारी से सुरक्षित रख सकते हैं।

खसरा क्या होता है?

सबसे पहले समझते हैं कि खसरा क्या है? यह एक वायरल संक्रमण है, जो मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करता है, परंतु वयस्कों को भी हो यह हो सकता है। खसरा सांस के माध्यम से फैलता है और शरीर में काफी तेजी से संक्रमण कर सकता है। 

खसरे का वायरस शरीर में प्रवेश करते ही कई तरह के लक्षण पैदा कर देता है, जिनका ध्यान रखना जरूरी होता है। खसरा स्पर्श और हवा के जरिए फैलने वाला रोग है, जो संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खांसने से आसपास के लोगों में फैलता है। इसके कारण व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कमजोर होकर पूरी तरह से अस्वस्थ हो सकता है।

खसरा होने के मुख्य कारण

खसरा के होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। चलिए उन कुछ प्रमुख कारणों को समझते हैं, जिनसे खसरा जैसी संक्रामक समस्या आपको परेशान कर सकती है - 

  • वायरल संक्रमण: खसरा बीमारी का कारण है खसरा वायरस यानी "Measles virus" जो सार्वभौमिक रूप से फैलता है। यह वायरस हवा के जरिए सबसे तेज फैलता है। 
  • संक्रमित व्यक्ति से संपर्क: यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के छींकने, खांसने या नाक और मुंह के संपर्क से फैलता है। इससे बचाव के लिए ही मास्क पहनना जरूरी होता है। 
  • टीकाकरण की कमी: जिन बच्चों को खसरा वैक्सीन (MMR) नहीं लगी होती, वह इस वायरस के अधिक जोखिम में रहते हैं।
  • कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली: खासतौर पर छोटे बच्चे और बुजुर्ग जल्दी इसका शिकार हो सकते हैं क्योंकि उनकी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है। 
  • घूर्णन और अस्वच्छ वातावरण: भीड़-भाड़ वाली जगहों में संक्रमण की संभावना अधिक होती है, इसलिए ऐसे स्थान में रहने से बचें जहां भीड़ भाड़ वाले इलाका से दूर रहें।

खसरा के लक्षण

खसरा के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 7-14 दिनों बाद प्रकट होते हैं। सबसे पहले बच्चे को तेज बुखार, खांसी, नाक बहना, और लाल-गाढ़े आंखों में जलन जैसी समस्या होती है। इसके बाद मुंह के अंदर सफेद या नीले रंग के छोटे दाने (कोप्लिक स्पॉट्स) दिखाई देते हैं। फिर शरीर पर चेहरे से शुरू होकर धीरे-धीरे पूरे शरीर में लाल रंग के चकत्ते बन जाते हैं। इस स्थिति में कुछ सामान्य लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं जैसे कि - 

  • तेज बुखार (40 डिग्री तक)
  • खांसी और सर्दी
  • लाल, जलन वाली आंखें
  • मुंह के अंदर सफेद दाने
  • लाल रंग का चकत्ते, जो चेहरे से शरीर तक फैलता है
  • थकावट और सामान्य दुर्बलता

खसरा कैसे फैलता है?

खसरा वायरस बहुत ही जल्दी और आसानी से फैलने वाला रोग है। संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खांसने से यह वायरस हवा में फैल जाता है और आसपास के लोग सांस के माध्यम से इसे ग्रहण कर लेते हैं। खसरा वायरस ऐसे वातावरण में कई घंटे तक सक्रिय रह सकता है, इसलिए भीड़-भाड़ वाले स्थान सबसे अधिक जोखिम वाले होते हैं। संक्रमित व्यक्ति के सामानों जैसे कि कपड़ा, खिलौने आदि के साथ भी संक्रमण हो सकता है, इसलिए सावधानी बहुत जरूरी है। इसके अतिरिक्त, वायरस का संपर्क सीधे संक्रमित बच्चे या व्यक्ति से होना इसकी तीव्रता को बढ़ाता है।

खसरा का निदान और जांच

खसरा रोग का निदान चिकित्सक द्वारा रोग के लक्षणों को देखकर और जरूरत पड़ने पर लैब में जांच के द्वारा किया जा सकता है। चलिए उन सभी जांच के बारे में जानते हैं, जिससे इस स्थिति का निदान आसानी से हो सकता है - 

  • शरीर में दिखने वाले लक्षणों का परीक्षण: बुखार, लाल चकत्ते और कोप्लिक स्पॉट्स आदि जैसे लक्षणों का सबसे पहले परीक्षण होता है। यदि यह सारे लक्षण दिखते हैं, तो नीचे बताए गए टेस्ट का सुझाव दिया जाता है।
  • रक्त परीक्षण: विशेष रक्त परीक्षण से खसरा वायरस के प्रति एंटीबॉडी की उपस्थिति देखी जाती है।
  • वैक्सीनेशन हिस्ट्री की जांच: यह देखना जरूरी होता है कि बच्चे को खसरा वैक्सीन मिली है या नहीं। यदि नहीं तो उन्हें इसका जोखिम हो सकता है।
  • अन्य संक्रमणों से अंतर: कभी-कभी खसरे के लक्षण अन्य वायरल संक्रमणों से मिलते-जुलते हैं, इसलिए सटीक जांच जरूरी है। इसके लिए वह दूसरे रोग की पुष्टि के लिए भी जांच कराते हैं।

खसरा का इलाज और देखभाल

खसरे का कोई विशिष्ट एंटीवायरल इलाज नहीं है। उपचार ज्यादातर लक्षण आधारित होते हैं ताकि रोगी की हालत में सुधार हो और जटिलताओं से बचाव हो सके। चलिए उन सभी सरल एवं प्रभावी उपायों के बारे में जानते हैं - 

  • विश्राम और तरल पदार्थ: तेज बुखार से लड़ने के लिए शरीर को पर्याप्त आराम और पानी पीना जरूरी होता है।
  • बुखार कम करने वाली दवाएं: पेरासिटामोल या इबुप्रोफेन जैसे दवाएं इस्तेमाल की जा सकती हैं, जिससे शरीर का तापमान कंट्रोल में किया जा सकता है।
  • विटामिन A सप्लीमेंट: WHO की सलाह के अनुसार, विटामिन A की खुराक से खसरे के गंभीर लक्षण कम हो सकते हैं, लेकिन यह सभी के लिए एक समान नहीं है।
  • संक्रमण से बचाव: खसरे से जुड़ी जटिलताओं जैसे कि सांस की समस्या, कान का संक्रमण या दस्त का इलाज विशेषज्ञ की निगरानी में होना चाहिए।
  • संपर्क अलगाव: संक्रमित व्यक्ति को घर के अन्य लोगों से अलग रखना और आम जगहों से दूर रहना आवश्यक है, ताकि संक्रमण नियंत्रित किया जा सके और दूसरों में न फैले।

खसरा से बचाव और टीकाकरण के उपाय

समय पर वैक्सीनेशन खसरा से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है। भारत सरकार की राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत बच्चों को MMR वैक्सीन दी जाती है, जो मीजल्स, मम्प्स और रूबेला जैसे गंभीर वायरस से सुरक्षा प्रदान करती है।

  • MMR वैक्सीन: दो डोज़ की यह वैक्सीन 9-12 महीने तक बच्चों को खसरे से बचाती है।
  • टीकाकरण का पालन सुनिश्चित करें: निर्धारित समय पर वैक्सीन लगवाना जरूरी है।
  • स्वच्छता और सुरक्षा: बच्चों को साफ-सफाई का पालन करना सिखाएं और संक्रमण से बचाएं।
  • सार्वजनिक जागरूकता: खसरे के लक्षणों और बचाव के बारे में समाज को जागरूक करना भी महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष

खसरा एक बचाव योग्य और गंभीरता से निपटने वाली बीमारी है। सही समय पर पहचान, तत्काल इलाज और सबसे महत्वपूर्ण, नियमित वैक्सीनेशन से बच्चों एवं वयस्कों के जीवन को सुरक्षित रखा जा सकता है। अगर आपके बच्चों में खसरे के लक्षण दिखें, तो इस स्थिति को अनदेखा न करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। जागरूकता और सावधानी ही हमें इस जानलेवा बीमारी से बचा सकती है।

खसरा से संबंधित अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या खसरा और चिकन पॉक्स एक जैसी बीमारियां हैं?

नहीं, खसरा और चिकनपॉक्स दोनों अलग-अलग वायरल संक्रमण हैं। खसरा तेज बुखार और लाल चकत्तों से होता है, जबकि चिकन पॉक्स में खुजली और छोटे फफोले होते हैं।

खसरा होने पर कितने दिन तक बुखार रहता है?

आमतौर पर तेज बुखार 4 से 7 दिनों तक रहता है, जिसके बाद चकत्ते शरीर पर फैलते हैं।

क्या खसरा दोबारा हो सकता है?

सामान्यत: खसरा एक बार हो जाने के बाद पुनः नहीं होता क्योंकि शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बन जाती है।

खसरा से बचाव के लिए कौन सा टीका लगता है?

MMR वैक्सीन खसरा, मंप्स और रूबेला से बचाव करती है और यह बच्चे को दो डोज़ में दी जाती है।

खसरा बच्चों में ज्यादा क्यों होता है?

बच्चों का प्रतिरक्षा तंत्र विकसित नहीं होता इसलिए वे अधिक सेंसिटिव होते हैं और खसरा उनमें जल्दी फैलता है।

Written and Verified by:

Dr. Biswajit Bhaduri

Dr. Biswajit Bhaduri

Consultant - Pediatric Surgeon Exp: 27 Yr

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