भारत में बच्चों का वैक्सीनेशन शेड्यूल
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भारत में बच्चों का वैक्सीनेशन शेड्यूल

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चलिए इस ब्लॉग में पूर्ण जानकारी प्राप्त करें। इसके साथ-साथ आपको नवजात शिशु टीकाकरण चार्ट भी मिल जाएगा, जिससे उन माता-पिता को वैक्सीनेशन शेड्यूल को अच्छे से समझने में मदद मिलेगी। 

छोटे बच्चे दुनिया में आते ही ढेर सारी खुशियां लाते हैं, लेकिन साथ ही वह कई सारी बीमारियों के घेरे में भी आ सकते हैं। चिकित्सीय रूप से यह सच है कि छोटे बच्चों का इम्यून सिस्टम भी पूरी तरह विकसित नहीं हो पाता, जिससे उन्हें वायरस और बैक्टीरिया का जोखिम ज्यादा रहता है। इनमें खसरा, डिप्थीरिया, पोलियो जैसी गंभीर बीमारियां शामिल है।

लेकिन आपको यहां घबराने की आवश्यकता नहीं है। टीकाकरण की सहायता से आपके बच्चे कई खतरों से दूर रह पाते हैं। आंकड़ों की माने तो समय पर टीकाकरण हर साल दुनियाभर में 30 लाख से ज्यादा बच्चों की जान बचाता है। वहीं भारत सरकार बहुत सारे वैक्सीनेशन ड्राइव चला रहे हैं, जिससे माता-पिता टीकाकरण के संबंध में जागरूक हो रहे हैं। लगभग सभी अस्पतालों और क्लीनिक में टीकाकरण की सुविधा उपलब्ध है। लेकिन फिर भी लगभग 22 मिलियन से अधिक बच्चों को उचित और पूर्ण टीकाकरण नहीं मिलता है। 

चलिए इस ब्लॉग में पूर्ण जानकारी प्राप्त करें। इसके साथ-साथ आपको नवजात शिशु टीकाकरण चार्ट भी मिल जाएगा, जिससे उन माता-पिता को वैक्सीनेशन शेड्यूल को अच्छे से समझने में मदद मिलेगी। 

बच्चों का टीकाकरण चार्ट 2024

नेशनल वैक्सीनेशन शेड्यूल के तहत, भारत में बच्चों का टीकाकरण अनुसूची नीचे उल्लिखित है।

नवजात शिशु टीकाकरण: क्या करें और क्या ना करें 

टीकाकरण हर बच्चे के जीवन का एक महत्वपूर्ण भाग है, लेकिन कभी-कभी यह थोड़ा चिंताजनक हो सकता है। कभी-कभी, टीके के बाद बच्चों को थोड़ी सी समस्या हो सकती है, जैसे हल्का बुखार, लाल चकत्ते या थोड़ा दर्द। छोटे बच्चे अपनी समस्याओं के बारे में बता नहीं सकते हैं, लेकिन वह लगातार रोते रहते हैं। सभी माता-पिताओं की चिंता को हम अब खत्म कर देंगे। हम यहां आपकी मदद के लिए हैं! 

हम आपको एक गाइड देंगे जिससे सभी माता-पिता को इस बात की जानकारी मिल जाएगी कि टीकाकरण के पहले और बाद में क्या करनी चाहिए और क्या नहीं जिससे बच्चों को किसी भी प्रकार की समस्या न हो।

टीकाकरण से पहले:

टीकाकरण से पहले इन बातों का रखें विशेष ख्याल - 

  • शिशु टीकाकरण कार्ड साथ ले जाएं।
  • बच्चे को आरामदायक कपड़े पहनाएं, जिससे टीकाकरण के दौरान उन्हें उतारने में दिक्कत न हो।
  • ध्यान रहे कि 12 महीने से कम उम्र के बच्चों को जांघों में टीका लगाया जाता है, वहीं इससे बड़े बच्चों को आस्तीन या फिर हाथ पर टीका लगाया जाता है। 
  • टीकाकरण के दौरान बच्चे को दर्द हो सकता है, तो उस दौरान उन्हें संभाल लें। 
  • यदि किसी भी कारणवश कोई इंजेक्शन छूट जाता है, तो पेडियाट्रिक्स डॉक्टर से बात करें और उसे लगवाएं। 
  • इंजेक्शन के बाद बच्चों को बुखार का सामना करना पड़ सकता है। उस दौरान उन्हें खूब सारा पानी पिलाएं। 
  • बुखार कम करने के लिए लिक्विड पेरासिटामोल या इबुप्रोफेन दे सकते हैं। इसके लिए डॉक्टर से एक बार बात ज़रूर करें। 

टीकाकरण के बाद की सावधानियां:

टीकाकरण के बाद इन बातों का रखें विशेष ख्याल - 

  • 16 साल से कम उम्र के बच्चों को बिना डॉक्टर के पर्चे के दर्द और बुखार की दवा न दे।
  • बुखार में उन्हें अच्छे से कपड़े पहनाए, लेकिन ज्यादा कपड़े भी न पहनाएं जिससे उन्हें त्वचा की समस्या भी हो जाती है।
  • किसी भी टीकाकरण को मिस न करें और टीकाकरण के समय का विशेष ध्यान रखें।
  • यदि कोई समस्या आती भी है तो जल्दबाजी न करें और इलाज के सही विकल्पों का चयन करें।

टीकाकरण का महत्व

बच्चों, नवजात शिशुओं और किशोरों के लिए टीकाकरण बहुत ज्यादा आवश्यक है। यदि सही समय पर सारे टीकाकरण हो जाते हैं, तो बच्चा कुछ बीमारियों से दूर रहता है जैसे - 

  • डिप्थीरिया
  • काली खांसी
  • टेटनस
  • पोलियो
  • हेपेटाइटिस B
  • खसरा
  • रूबेला

इनके सिवाय भी बहुत सारी समस्याएं होती हैं, जो एक बच्चे को परेशान करती है, इसलिए समय पर टीकाकरण बहुत ज्यादा आवश्यक होता है। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, लोगों को समझने की आवश्यकता है कि बच्चों को सभी टीके 5 साल से पहले लगाए जाने चाहिए। इससे बच्चों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है। इसके लिए माता-पिता को टीकाकरण के संबंध में पूर्ण जानकारी होनी चाहिए। 

अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

 

टीकाकरण के बाद शिशु की देखभाल कैसे करें?

  • डॉक्टर के द्वारा दी हुई टीकाकरण चार्ट पढ़ें
  • सूजन या लालिमा कम करने के लिए हल्का गीला और ठंडा कपड़ा लगाएं
  • हल्के बुखार की कोई चिंता न करें
  • तरल पदार्थों के सेवन को बढ़ाएं
  • शिशु के खाने पर ध्यान दें
  • नियोनेटोलॉजी डॉक्टर से संपर्क में रहें

क्या टीकाकरण के बाद बच्चे को नहलाया जा सकता है?

बिल्कुल! टीकाकरण के बाद बच्चे को हमेशा की तरह नहलाया जा सकता है। ध्यान दें कि अगर इंजेक्शन लगने वाली जगह लाल हो गई है और छूने से गर्माहट का एहसास हो तो आप उस जगह को ठंडे गीले तौलिये से सेक सकते हैं। लेकिन बर्फ की थैली का इस्तेमाल न करें और टीकाकरण के बाद बच्चे को बहुत सारे कंबल या कपड़े न पहनाएं।

बच्चे को पहला टीका कब लगता है?

सभी नवजात शिशुओं को जन्म के 24 घंटों के भीतर हेपेटाइटिस बी का पहला टीका लगाया जाता है। 

क्या मैं टीकाकरण से पहले और बाद में बच्चे को दूध पिला सकती हूं?

हां, 1 साल तक के अधिकांश बच्चों में टीकाकरण से पहले और बाद में स्तनपान कराने से दर्द कम करने में मदद मिल सकती है। 

नवजात शिशु को कितने टीके लगते हैं?

भारत के राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत नवजात शिशुओं को 12 अलग-अलग टीके लगते हैं। यह सारे टीके आपको किसी भी अस्पताल में मिल जाएंगे जहां पर बच्चों का इलाज होता है। 

5 साल के बच्चे को कौन सा टीका लगता है?

  • डीपीटी बूस्टर
  • पोलियो बूस्टर
  • खसरा-कण्ठमाला-रूबेला (एमएमआर) बूस्टर
  • जेई (जापानी इंसेफेलाइटिस) बूस्टर
  • टाइफाइड
  • हेपेटाइटिस ए

किस आयु में कौन सा टीका लगता है?

अलग-अलग उम्र में बच्चों को अलग-अलग टीका लगाया जाता है जैसे - 

  • 16-24 महीने - डीपीटी बूस्टर
  • 16-24 महीने - पोलियो बूस्टर
  • 4-6 साल - एमएमआर बूस्टर
  • 16-24 महीने और 4-6 साल - जेई बूस्टर
  • 1-15 साल - टाइफाइड
  • 1-15 साल - हेपेटाइटिस ए

Written and Verified by:

Dr. Saugata Acharya

Dr. Saugata Acharya

Consultant Exp: 20 Yr

Pediatrics

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